उसने बताया कि 'अंकल, मुझे टीम लीडर बनाया जा रहाहै।' मैं जानता था कि वह इसके लायक है। आगे चलकर वह ग्रुप लीडर बनेगा और मुझे आश्चर्य नहीं कि कुछ ही समय बाद वह मार्केटिंग का प्रमुख ही बन जाए।
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मित्रों, इस छोटी-सी सच्ची कहानी के जरिए मैं आपसे केवल तीन बातें कहना चाह रहा हूँ। पहली बात तो यह कि आप वही करने की मत सोचिए, जो आपको अच्छा लगता है। बल्कि आप उसको करने की सोचिए, जिसे करने की क्षमता ईश्वर ने, प्रकृति ने आपको दी है।
इस क्षमता का संबंध केवल डिग्री से नहीं होता। हजारों, लाखों ऐसे गुण हैं, जिनमें से किसी एक को पकड़कर आप पूरी दुनिया के सरताज बन सकते हैं। अपने प्रकृति प्रदत्त इस महान गुण की उपेक्षा करने की गलती कभी मत कीजिए। आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि 'मेरे पास जो है मैं उसी को लाखों गुना बढ़ाऊँगा।'
कुछ दिनों पहले ही भोपाल हाट में नितिन मुकेश नाइट हुई थी। नितिन इसलिए गायकी के क्षेत्र में अपना विशिष्ट मुकाम नहीं बना पाए, क्योंकि उन्होंने मुकेश को दोहराने का फैसला कर लिया। काश! उन्होंने अपनी ही आवाज को माँजा होता।
दोस्तों, दूसरी बात यह है कि अपने ईगो से उबरने की कोशिश कीजिए। आप इसे स्वाभिमान, गर्व, इज्जत तथा आत्मसम्मान जैसा कोई भी अच्छा नाम देकर इसकी तरफदारी कर सकते हैं। लोग करते ही हैं, लेकिन विश्वास कीजिए कि यह तथ्य आपको सफलता के किसी भी पड़ाव तक नहीं पहुँचाएगा न तो भौतिक जीवन में और न ही आध्यात्मिक जीवन में।
मेरी तीसरी और अंतिम बात यह है कि पहली बार में आपको जो कुछ भी करने को मिल रहा है आप उसे स्वीकार कर लें, बिना इस बात की परवाह किए कि आप उसे करना चाह रहे हैं या नहीं। यदि सामने वाला आपको कोई काम दे रहा है, तो स्पष्ट है कि वह आपको इसके लायक समझ रहा है। आपके लिए तो इतना ही पर्याप्त होना चाहिए।
यदि एक बार आप उस काम में लग जाएँगे, बशर्ते कि प्रसन्ना मन से लगें, तो आप देखेंगे कि किस प्रकार यह काम आपके सुनहरे जीवन की एक खूबसूरत शुरुआत बन गया है। अपने पहले काम को आप अपने प्रथम प्रेम की तरह ही अत्यंत पवित्र और प्रमुख मानें।
(लेखक पत्र सूचना कार्यालय, भोपाल के प्रभारी हैं)