sawan somwar

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अहम का दमन करें

Advertiesment
हमें फॉलो करें शिकायत आश्चर्य
webdunia
NDND
-डॉ. विजय अग्रवा
'अंकल, मुझे यह काम बिलकुल पसंद नहीं आ रहा है। उसकी यह शिकायत सुनकर मुझे बिलकुल आश्चर्य नहीं हुआ। आश्चर्य तो तब होता, जब वह आकर मुझसे कहता कि 'अंकल, बहुत मजा आ रहा है। मुझे पूछना ही था और मैंने पूछा भी कि -'क्यों'। उसका कहना था कि इसमें घर-घर जाकर दरवाजा खटखटाना पड़ता है। लोगों को बार-बार समझाना पड़ता है।

तब कहीं जाकर दस-बारह लोगों में से कोई एक आदमी सामान खरीदता है। समय भी सुबह साढ़े सात बजे से रात के नौ बजे तक देना पड़ता है और सबसे बड़ी बात यह है कि 'अंकल, भला यह भी कोई इज्जत का काम है।'

अंत में वह सही बात पर आ गया था। मैं पहले से ही जानता था कि यही होगा। सामान बेचने के काम को वह क्या, हम ज्यादातर हिन्दुस्तानी बेकार का काम एक गिड़गिड़ाने का काम समझते हैं।
हम सब एक ऐसे सामन्ती समाज में रहे हैं और इतने सारे परिवर्तनों के बावजूद आज भी लगभग उसी समाज में रह रहे हैं, जहाँ किसी से अनुरोध करना हमें अपमानजनक लगता है और किसी को आदेश देना सम्मानजनक।
webdunia


हम सब एक ऐसे सामन्ती समाज में रहे हैं और इतने सारे परिवर्तनों के बावजूद आज भी लगभग उसी समाज में रह रहे हैं, जहाँ किसी से अनुरोध करना हमें अपमानजनक लगता है और किसी को आदेश देना सम्मानजनक। मुश्किल यह है कि आप किसी को कोई भी सामान खरीदने का आदेश नहीं दे सकते। अनुरोध करने में आपको बुरा लगता है।

स्वाभाविक है कि ऐसे में आप मार्केटिंग के बाजार में चल ही नहीं सकते। आप बहुत जल्दी इससे बाहर हो जाएँगे और मैं समझता हूँ कि आज व्यापार की सबसे बड़ी जो चुनौती है, वह मार्केटिंग ही है।

निश्चित रूप से एक अच्छी वस्तु का उत्पादन करना भी आसान काम नहीं है, लेकिन यदि उस उत्पादन की मार्केटिंग अच्छी नहीं है, तो केवल अपनी गुणवत्ता के दम पर वह उत्पाद चल जाएगा और बाजार में टिका रह सकेगा कहना मुश्किल है अच्छे से अच्छे उत्पाद अपने से दोयम दर्जे के उत्पादों के सामने केवल इसलिए गायब होते देखे गए हैं, क्योंकि वे आक्रामक बाजार का सामना नहीं कर सके।

मैंने उसे समझाया कि 'मार्केटिंग का काम चूँकि सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण काम है, इसलिए तुम्हें इसी में रहना चाहिए। दुनिया तो यह सीखने के लिए शुल्क देती है। और एक तुम हो कि तुम्हें कंपनी इसके बदले में वेतन भी दे रही है।'

webdunia
WDWD
यह लड़का बातचीत करने में अच्छा है। इसकी कन्वेंसिंग पावर भी अपनी आयु वर्ग के हिसाब से काफी बेहतर है। इसी के चलते उसने एक महीने के टारगेट को केवल ग्यारह दिन में पूरा कर लिया था। इसके बावजूद यदि वह इस काम को छोड़ने के लिए मेरी अनुमति चाह रहा था, तो ऐसा करना मेरे लिए भला कैसे संभव था।

मैं जानता था कि उसकी मूल समस्या 'ईगो' की समस्या है। मैंने उसे समझाया कि गौतम बुद्ध धार्मिक आडम्बरों के बहुत बड़े विरोधी थे। इसके बावजूद उन्होंने बौद्ध भिक्षुकों के लिए कुछ आडम्बर तैयार किए थे। जैसे कि वे गेरुआ वस्त्र पहनेंगे। सिर मुड़ाकर रहेंगे। हाथ में भिक्षा पात्र लेकर घर-घर जाकर भिक्षा माँगेंगे और भिक्षा में प्राप्त वस्तुओं का ही सेवन करेंगे।

गौतम बुद्ध के इन नियमों के पीछे उद्देश्य केवल इन भिक्षुकों के अहम्‌ का दमन करना ही था। आप खुद सोचकर देखिए कि यदि पच्चीस साल का हट्टा-कट्ठा नौजवान आपके सामने 'भिक्षाम देहि' कहकर भीख का कटोरा फैलाए, तो क्या आप उसे पहले खरी-खोटी नहीं सुनाएँगे? उन भिक्षुओं के साथ भी यही होता था। इसके बावजूद इन भिक्षुओं को शांत रहना होता था और उनके द्वारा दिए गए दुत्कार और भिक्षा दोनों को समान भाव से स्वीकारना होता था।

मेरी बात शायद उसके समझ में आ गई, क्योंकि पाँच दिनों तक वह मुझसे नहीं मिला, किन्तु जब छठे दिन मिला, तो वह बहुत अधिक उत्साह में था। वह खुश था और उसकी आवाज में शिकायत के स्थान पर उपलब्धियों के शब्द थे। उसने बताया कि 'अंकल, मुझे टीम लीडर बनाया जा रहाहै।' मैं जानता था कि वह इसके लायक है। आगे चलकर वह ग्रुप लीडर बनेगा और मुझे आश्चर्य नहीं कि कुछ ही समय बाद वह मार्केटिंग का प्रमुख ही बन जाए।
उसने बताया कि 'अंकल, मुझे टीम लीडर बनाया जा रहाहै।' मैं जानता था कि वह इसके लायक है। आगे चलकर वह ग्रुप लीडर बनेगा और मुझे आश्चर्य नहीं कि कुछ ही समय बाद वह मार्केटिंग का प्रमुख ही बन जाए।
webdunia


मित्रों, इस छोटी-सी सच्ची कहानी के जरिए मैं आपसे केवल तीन बातें कहना चाह रहा हूँ। पहली बात तो यह कि आप वही करने की मत सोचिए, जो आपको अच्छा लगता है। बल्कि आप उसको करने की सोचिए, जिसे करने की क्षमता ईश्वर ने, प्रकृति ने आपको दी है।

इस क्षमता का संबंध केवल डिग्री से नहीं होता। हजारों, लाखों ऐसे गुण हैं, जिनमें से किसी एक को पकड़कर आप पूरी दुनिया के सरताज बन सकते हैं। अपने प्रकृति प्रदत्त इस महान गुण की उपेक्षा करने की गलती कभी मत कीजिए। आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि 'मेरे पास जो है मैं उसी को लाखों गुना बढ़ाऊँगा।'

कुछ दिनों पहले ही भोपाल हाट में नितिन मुकेश नाइट हुई थी। नितिन इसलिए गायकी के क्षेत्र में अपना विशिष्ट मुकाम नहीं बना पाए, क्योंकि उन्होंने मुकेश को दोहराने का फैसला कर लिया। काश! उन्होंने अपनी ही आवाज को माँजा होता।

दोस्तों, दूसरी बात यह है कि अपने ईगो से उबरने की कोशिश कीजिए। आप इसे स्वाभिमान, गर्व, इज्जत तथा आत्मसम्मान जैसा कोई भी अच्छा नाम देकर इसकी तरफदारी कर सकते हैं। लोग करते ही हैं, लेकिन विश्वास कीजिए कि यह तथ्य आपको सफलता के किसी भी पड़ाव तक नहीं पहुँचाएगा न तो भौतिक जीवन में और न ही आध्यात्मिक जीवन में।

मेरी तीसरी और अंतिम बात यह है कि पहली बार में आपको जो कुछ भी करने को मिल रहा है आप उसे स्वीकार कर लें, बिना इस बात की परवाह किए कि आप उसे करना चाह रहे हैं या नहीं। यदि सामने वाला आपको कोई काम दे रहा है, तो स्पष्ट है कि वह आपको इसके लायक समझ रहा है। आपके लिए तो इतना ही पर्याप्त होना चाहिए।

यदि एक बार आप उस काम में लग जाएँगे, बशर्ते कि प्रसन्ना मन से लगें, तो आप देखेंगे कि किस प्रकार यह काम आपके सुनहरे जीवन की एक खूबसूरत शुरुआत बन गया है। अपने पहले काम को आप अपने प्रथम प्रेम की तरह ही अत्यंत पवित्र और प्रमुख मानें।

(लेखक पत्र सूचना कार्यालय, भोपाल के प्रभारी हैं)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi