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एमबीबीएस नहीं है मेडिकल का क्षितिज

प्लेब और आइलेट द्वारा दिखा सकते हैं यूके में जलवा

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- राहुल मिश्रा

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आज की युवा पीढ़ी का एक शौक है चुनौतियों को स्वीकारना। शायद इसीलिए मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी आज देश के डॉक्टर मोटी रकम वाली नौकरियों को छोड़ यूके की प्लेब (प्रोफेशनल एंड लिंग्युस्टिक अससेमेंट बोर्ड) और आइलेट (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) जैसी प्रतिभापरक परीक्षाओं में जोश के साथ हिस्सा लेते हैं।

परीक्षा पास करने वाले डॉक्टरों को यूके जैसे विकसित देश न केवल आकर्षक पैकेज देते हैं, बल्कि समय-समय पर सम्मानित भी करते हैं। लेकिन इस सुनहरे सपने को पूरा करने के लिए कड़ा संघर्ष करना होता है, क्योंकि ये विकसित देश सामान्य देसी मेडिकल डिग्रियों के आधार पर प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं देते हैं।

प्लेब और आइलेट जैसी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाली संस्था पीटी एजुकेशन के संस्थापक संदीप मानुधने ने बताया कि यूके ने प्रवासी डॉक्टरों को प्रैक्टिस की इजाजत देने के लिए एक पैमाना बनाया है जिसे जीएमसी (जनरल मेडिकल काउंसिल) क्रियान्वित करती है। ये संस्था प्रवासी डॉक्टरों की योग्यता और ज्ञान का कई स्तरों पर परीक्षण करती है और अंत में उनको प्रैक्टिस करने के लिए आमंत्रित करती है।

वहीं देश की सबसे तेजी से उभरती मंत्रा कंसल्टेंसी की प्रबंधक लीला चक्रवती जोर देकर बताती हैं कि आज पश्चिमी देशों में भारतीय डॉक्टरों की योग्यता में पहली वरीयता प्लेब की हो गई है। पिछले दो वर्षों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि यूके और यूएस में अनुभव अधिक होने के बावजूद सामान्य डॉक्टर की तुलना में प्लेब प्रमाणित डॉक्टर ज्यादा प्रतिष्ठित पदों पर हैं।

यूनाइटेड किंगडम में प्रैक्टिस करने के लिए प्लेब परीक्षा पास करनी होती है। प्लेब टेस्ट में सफल होने का अर्थ है कि आप इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेजुएट हैं और आपके अंदर यूके में मेडिसिन की प्रैक्टिस करने की आवश्यक योग्यताएँ हैं।

प्लेब परीक्षा दो भागों में होती है, भाग-1 की परीक्षा यूके सहित ऑस्ट्रेलिया, बुल्गारिया, दुबई, मिस्र, भारत, ईरान, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और वेस्टइंडीज में आयोजित होती है। यूके में एक साल में यह परीक्षा चार बार होती है- जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर जबकि अन्य देशों में दो बार- जुलाई और जनवरी।

सामान्य तौर पर प्लेब परीक्षा केंद्र कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और नई दिल्ली में होते हैं। पहले चरण की परीक्षा की बुकिंग फीस 145 रु. है जबकि दूसरे चरण की परीक्षा यूके में ही होती है। पहले चरण को पास करने के बाद दूसरे चरण की परीक्षा को तीन साल के अंदर पास करना होता है। दूसरे चरण की सभी परीक्षाएँ जीएमसी केंद्र लंदन में होती है और यह हर महीने होती रहती है। दूसरे चरण की बुकिंग फीस 430 रु. है।

क्या है योग्यता - प्लेब परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए डॉक्टर के पास प्राइमरी मेडिकल शैक्षणिक योग्यता के साथ कम से कम बारह महीनों की संतोषप्रद इंटर्नशिप होनी चाहिए या जीएमसी द्वारा निर्धारित समतुल्य अन्य अनुभव। प्लेब परीक्षा के पहले जीएमसी आइलेट परीक्षा द्वारा प्रतिभागी के अंग्रेजी ज्ञान को परखती है। प्रतिभागी को कुल मिलाकर 7 अंक अर्जित करने होते हैं जिसमें सुनने, एकेडमिक पढ़ने और लिखने के सेशन में कम से कम 6 अंक तथा लिखने के सेशन में 7 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है।

कैसा होता है पेपर - प्लेब परीक्षा पत्र के दो चरण होते हैं। पहला लिखित परीक्षा का होता है जिसमें एक्सटेंडेड मैचिंग क्वैश्चन्स और सिंगल बेस्ट एन्सवर क्वैश्चन्स शामिल रहते हैं। लगभग 200 सवालों वाले इस प्रश्नपत्र में तस्वीर संबंधी प्रश्न भी आ सकते हैं। प्रश्नपत्र को हल करने के लिए कुल तीन घंटे का समय दिया जाता है।

एसबीए और ईएमक्यूज की संख्या का अनुपात बदलता रहता है, लेकिन एसबीए कुल प्रश्न का तीस प्रतिशत से कम नहीं होता है। पहले चरण की परीक्षा में संस्था प्रतिभागी की डायग्नोसिस योग्यता, इन्वेस्टिगेशन, मैनेजमेंट ट्रीटमेंट की क्षमता सहित क्लिनिकल प्रैक्टिस में कुशलता को जाँचती है।

एक्सटेंडेड मैचिंग क्वैश्चन्स के अंतर्गत कई थीम समूहों में बँटे रहते हैं। हर थीम का एक शीर्षक होता है जो प्रश्न के बारे में बताता है। हर थीम के साथ तीन से छह के बीच में कई निर्देश (आइटम) होते हैं और संबंधित प्रश्नों को आपको हल करना होता है।

दूसरा चरण ऑब्जेक्टिव स्टक्चर्ड क्लिनिकल एक्जामिनेशन (ओएससीई) पर आधारित होता है जिसके माध्यम से क्लिनिकल योग्यता और बोलचाल में कुशलता परखी जाती है।

प्लेब में सफल होने के लिए आपकी अंग्रेजी धुआँधार होनी चाहिए। न केवल अंग्रेजी लिखने में बल्कि बोलने में भी प्रतिभागी को निपुण होना चाहिए। संदीप मानुधने का मानना है कि अंग्रेजी शब्दों को याद करने के साथ लिखकर भी अभ्यास करें और अपनी बोलचाल में उसका प्रयोग अवश्य करें। इससे न केवल ज्यादा से ज्यादा शब्द याद होंगे बल्कि उनको उच्चारित करने का अभ्यास भी होगा।

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