जिन सेवाओं के लिए कंपनी सेक्रेटरी को प्रशिक्षण दिया जाता है, उनकी श्रृंखला काफी विस्तृत है। वास्तविक व्यवहार में यह उस कंपनी के आकार पर निर्भर करेगा जिसमें कंपनी सेक्रेटरी कार्य करते हैं। कंपनी के कार्यकलाप की प्रकृति भी कंपनी सेक्रेटरी द्वारा की जाने वाली सेवाओं को प्रभावित करती है। कानून के अनुसार कंपनी सेक्रेटरी किसी भी कंपनी का प्रमुख अधिकारी होता है। अपने प्रशिक्षण के दौरान कंपनी सेक्रेटरी जो ज्ञान अर्जित करते हैं, वह उन्हें वित्त, लेखा, विधि प्रशासन तथा कार्मिक प्रभाग जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के कार्य करने के लायक बना देता है। बतौर कंपनी सेक्रेटरी प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रत्याशी कंपनी निगमीकरण, निर्माण, प्रवर्तन, सम्मिश्रण, संविलयन पुनर्संगठन या बंद करने के लिए जरूरी विधिक पहलुओं से निपटने के लिए तैयार रहता है। यदि कोई कंपनी सार्वजनिक बनने जा रही हो तो पब्लिक इश्यू की जिम्मेदारी कंपनी सेक्रेटरी के दायरे में आती है।इंटर कॉर्पोरेट इन्वेस्टमेंट और ऋण की सारी विधिक औपचारिकताएँ कंपनी सेक्रेटरी द्वारा ही देखी जाती हैं। कंपनी सेक्रेटरी ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बैठक से संबंधित दायित्वों का निर्वाह करते हैं। वे बैठक के सारे सदस्यों से परामर्श कर बैठक का कार्यक्रम तैयार करते हैं। बैठक का आयोजन कर बैठक से संबंधित सारे अभिलेखों का रखरखाव भी करते हैं। कंपनी की आवश्यकतानुसार कंपनी सचिव सेंट्रल/ राज्य करों, एक्साइज कानून, श्रम कानूनों तथा कॉर्पोरेट लॉ संबंधी मामले देखते हैं। |
कंपनी के कार्यकलाप की प्रकृति भी कंपनी सेक्रेटरी द्वारा की जाने वाली सेवाओं को प्रभावित करती है। कानून के अनुसार कंपनी सेक्रेटरी किसी भी कंपनी का प्रमुख अधिकारी होता है। अपने प्रशिक्षण के दौरान कंपनी सेक्रेटरी जो ज्ञान अर्जित करते हैं। |
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प्रबंधन नियुक्ति हेतु आवेदनों की प्रोसेसिंग और उनके पारिश्रमिक की जिम्मेदारी भी कंपनी सेक्रेटरी की होती है। इंस्टीट्यूशनल फाइनेंस का काम कंपनी सेक्रेटरी ही देखते हैं। इस बारे में कंपनी सेक्रेटरी प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाते हैं, संबंधित लाइसेंस प्राप्त करते हैं, परमिट लेते हैं मोनोपॉलिग एंड रेस्ट्रिक्टिव ट्रेड प्रैक्टिस एक्ट तथा फेरा और अन्य संबंधित विधिक प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यक पूर्तियों का दायित्व भी कंपनी सचिव के ऊपर ही होता है। कंपनी की वार्षिक विवरणिकाओं पर हस्ताक्षर करने के लिए कंपनी सेक्रेटरी प्राधिकृत होते हैं तथा जब और जहाँ आवश्यकता होती है, कंपनी सचिव ही कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कौन बन सकता है ?
कंपनी सेक्रेटरी के रूप में फाउंडेशन कोर्स के लिए न्यूनतम आवश्यक पात्रता 10+2 या समतुल्य परीक्षा है। कॉमर्स के स्नातक अथवा स्नातकोत्तर या फाइन आर्ट्स को छोड़कर किसी भी विषय के स्नातक फाउंडेशन की परीक्षा में छूट पाकर सीधे इंटरमीडिएट परीक्षा हेतु अपनानामांकन करवा सकते हैं। यह छूट उन प्रत्याशियों को भी दी जाती है जिन्होंने आईसीडल्ब्यूए या सीए परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो।
जो लोग बेहतर करियर के आकांक्षी हैं, उन्हें कास्ट वर्क्स एंड अकाउंटेंसी या इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया कोर्स या दोनोंकोर्सों के साथ कंपनी सचिव का कोर्स करना चाहिए। इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) विभिन्न स्तरीय परीक्षाओं का आयोजन करती है। इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने वाले प्रत्याशियों को आईसीएसआई की सदस्यता प्रदान की जाती है और वेबन जाते हैं कंपनी सेक्रेटरी।
क्या है प्रक्रिया ?
कंपनी सचिव बनने की प्रक्रिया निम्नानुसार है :-
* 10+2 अथवा समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण करें।
* फाउंडेशन कोर्स के लिए द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया में पंजीयन कराएँ।
* अनिवार्य पोस्टल कोचिंग पूर्ण करें।
* फाउंडेशन परीक्षा उत्तीर्ण कर इंटरमीडिएट परीक्षा हेतु पंजीयन कराएँ।
* आईसीडब्ल्यूए- आईसीएसआई से उत्तीर्ण छात्र सीधे इंटरमीडिएट कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं।
* इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए अनिवार्य पोस्टल कोचिंग पूरी करें।
* इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण कर फाइनल कोर्स के लिए नामांकन प्रस्तुत करें।
* फाइनल कोर्स हेतु अनिवार्य पोस्टल कोचिंग पूरी करें।
* इसी अवधि के दौरान छात्रों को मैनेजमेंट ट्रेनिंग या इंस्टीट्यूट द्वारा मान्यता प्राप्त कंपनी से अप्रेंटिसशिप लेनी आवश्यक है। ट्रेनिंग की अवधि 12 से 24 माह होगी।
* अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण करें।
* चार माह की प्रेक्टिकल ट्रेनिंग लें।
* अब छात्र इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज के सदस्य बनकर कंपनी सेक्रेटरी के रूप में करियर आरंभ कर सकते हैं।