Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कैंपस का चुनावी शो

Advertiesment
हमें फॉलो करें करियर
- दि‍ल्‍ली से अनुपम कुमार

ND
ND
कैंपस में चुनावी शो का बिगुल बज गया है। शो की शुरुआत नामांकन के साथ हुई। रंग-बिरंगी कारों का काफिला, लाल और काले रंग की खुली जीप में नाचते-गाते सैकड़ों समर्थकों के साथ छात्र नेता बारी-बारी से नामांकन करने पहुँचे। छात्र नेताओं के स्वागत में कहीं 'जीतेगा भाई, जीतेगा' के नारे तो कहीं 'हमारा नैता कैसा हो रोहित चहल जैसा हो', खूब गूंजे। नारे के साथ कहीं आसमान में फोटो वाले पैंफ्लेट तो कहीं एक साथ कई तख्तियाँ नजर आईं। नेताजी के गुजरने के साथ ही कैंपस की सड़कें पैंफ्लेट और पोस्टर से रंगीन हो गईं। आने जाने वाले हर किसी की नजर सड़क पर पड़े पैंफ्लेट्स पर गई। इस मौके पर ढोल-नगाड़े ने भी खूब रंग जमाया। मंगलवार को कैंपस में चुनाव का यह शो करीब तीन घंटे का था। अगला शो दो दिन बाद यानी गुरुवार को हुआ जब विभिन्न संगठनों के प्रत्याशी अंतिम लिस्ट निकलते ही गाड़ियों में प्रचार के लिए निकले।

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ यानी डूसू के लिए शो की यह शुरुआत नामांकन के आखिरी समय से हुई। सफेद शर्ट, सफेद पैंट या जींस और गले में माला पहने छात्र नेता बारी-बारी से पर्चा दाखिल करने पहुँचे। नामांकन के लिए एबीवीपी के रोहित चहल, एनएसयूआई के अक्षय कुमार और दीपक नेगी जैसे कई नेताओं के समर्थक नामांकन कराने पहुँचे और दर्शकों के रूप में कैंपस में चुनाव का नजारा देखने के लिए आम छात्र नहीं, दिल्ली देहात और गाँव के युवक पहुँचे थे। लड़कियों में एनएसयूआई की ओर से दीपिका देशवाल, आशा किरण और प्रिया बजाज अपने समर्थकों के साथ नामांकन करने पहुँची थीं। हालाँकि चुनावी शो में लड़कियों की तादाद इस बार कम दिखी।

चुनाव के इस मौके पर मेट्रो स्टेशन से क्रांति चौक तक आने वाली सड़क पर सिर्फ कारें नजर आईं। एक छात्र नेता का काफिला गुजरता तो उसके पीछे-पीछे दूसरे छात्र नेता अपने समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन के लिए पहुँचता। हर छात्र नेता के साथ नारा लगाते करीब पाँच सौ समर्थक और करीब पचास गाड़ियाँ। जहाँ भी देखो गाड़ियाँ ही गाड़ियाँ। गाड़ियों की लंबी-लंबी कतार से जगह-जगह जाम भी लग गया। रामजस कॉलेज का छात्र रोहित कुमार कहता है, इतनी गाड़ियाँ तो हमने विधायक और सांसद के चुनाव में भी नहीं देखीं। नामांकन करने वाले छात्र नेता कुलपति कार्यालय तक अपने समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करने पहुँचे। वहाँ नारे लगाने की खूब होड़ लगी। जिसके जितने समर्थक उसके पक्ष में उतनी ऊँची आवाजें गूंजी। प्रशासन लोकतंत्र की पाठशाला में इस शक्ति प्रदर्शन को मूक दर्शक बनकर देखता रहा। चुनाव कार्यालय में पर्चा भरने के समय भी बाहर खूब मजमा लगा। बारी-बारी से अपने समर्थकों के साथ नेताजी पर्चा भरने गए। चुनाव कार्यालय में जाते वक्त और आते वक्त बाहर खड़े समर्थकों ने नारे लगाए। माला पहनाईं और कंधों पर बैठाकर इधर-उधर खूब घुमाया। तीन घंटे तक यह शो छाया रहा। चुनाव का एक और शो गुरुवार को होगा।

webdunia
ND
ND
कहने को ही हैं छात्र

पहनावा हो या चाल-ढाल, डूसू में पर्चा दाखिल करने वाले ज्यादातर प्रत्याशी कहने को ही छात्र थे। किसी ने चुनाव लड़ने के लिए दाखिला लिया है तो कोई चुनाव लड़ाने के लिए कैंपस में आम छात्र की तरह सक्रिय हो गया है। एबीवीपी और एनएसयूआई के कई छात्र नेताओं ने तो स्नातक की पढ़ाई पहले ही पूरी कर ली है लेकिन डूसू नेता बनने का ख्वाब अभी अधूरा ही रह गया है। इस अधूरे ख्वाब को पूरा करने के लिए किसी ने एमए में तो किसी ने बीए में दाखिला लिया है। उसे चुनाव लड़ाने के लिए पिता या भाई भी खासा सक्रिय हैं। कैंपस में डूसू का नेता कैसे बने इसके लिए वे अभी से दिन रात रणनीति तैयार कर में जुट गए हैं। रणनीति ही नहीं, अपने बेटे या भाई के ऊपर पैसा भी खूब खर्च कर रहे हैं।

ढोल वाले ने बजाया खर्च सीमा का बैंड

कैंपस के चुनाव में युवकों को थिरकाने के लिए ढोल का भी अच्छा-खासा इंतजाम किया गया था। घड़ौली के ढोल वालों से छात्र नेताओं ने पूरे दिन की बुकिंग कराई थी। छह ढोल रह-रहकर बजते और युवाओं को थिरकाते। ढोल बजाने का यह काम कैंपस में ही नहीं, नेताजी के घर आने से लेकर जाने तक का था। इसकी एवज में रेट पूछा गया तो उसने बताया कि छह ढोल के आठ हजार रुपए। कीमत पर सवाल उठाने पर कहता है, यह दिल्ली है बाबू, इससे कम में यहाँ कुछ नहीं होता। प्रधानजी ने पूरे दिन की बुकिंग कराई है। ढोल वाला डूसू में प्रत्याशी बनने की लाइन में खड़े एनएसयूआई के अक्षय कुमार के साथ आया था। चुनाव खर्च की सीमा पाँच हजार रुपए है लेकिन ढोल वाले ने ही इस खर्च को एक झटके में धता बता डाला।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi