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ग्रेडिंग सिस्टम, कैसे चुनें सुपर स्टूडेंट

स्कूल प्रशासन के लिए बनी चुनौती

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ग्रेडिंग सिस्टम को शुरू करने के पीछे सीबीएसई का उद्देश्य भले ही स्टूडेंट्स में कॉम्पीटिशन के दबाव को कम करना है, लेकिन इससे कई तरह की समस्याएँ सामने आ रही हैं। मसलन, एडमिशन में दिक्कतें, सुपर स्टूडेंट्स चुनने में परेशानी और टैलेंटेड स्टूडेंट्स को अपेक्षाकृत सम्मान न मिलने का मलाल इत्यादि।

अमूमन सभी स्कूलों में किसी भी कक्षा के सर्वश्रेष्ठ 5 या 10 स्टूडेंट्स को सम्मानित करने की परंपरा होती है। ग्रेडिंग सिस्टम लागू होने के पहले यह प्रक्रिया आसान थी। बोर्ड एग्जाम में प्राप्त अंकों के आधार पर उन्हें पुरस्कृत किया जाता था, लेकिन अब ग्रेडिंग सिस्टम लागू के होने के बाद स्कूल प्रशासन के सामने सर्वश्रेष्ठ स्टूडेंट्स चुनने की चुनौती खड़ी हो गई है। वह इसलिए कि इस बार मार्कशीट में सिर्फ ग्रेड दिया गया है, परीक्षा में प्राप्त अंकों का विवरण नहीं। हालाँकि स्कूल प्रशासन ग्रेडिंग प्रणाली से खुश हैं।

सीबीएसई के नियम के अनुसार स्टूडेंट्स चाहे तो एक आवेदन कर प्राप्त अंकों का ब्यौरा मंगा सकते हैं। स्कूल प्रशासन को भी यह अधिकार है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर अंकों का विवरण मंगाने के लिए न तो उसके पास समय है और न ही संसाधन। ऐसे में स्कूल प्रशासकों ने अपने-अपने तरह से सुपर स्टूडेंट्स चुनने का फैसला किया है।

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यदि 10 स्टूडेंट्स को 'ए ग्रेड' मिला है। इसमें से आपको किसी पाँच का चुनाव करना है, तो यह मुश्किल भरा काम है, क्योंकि यदि अपने हिसाब से स्टूडेंट्स का चयन करते हैं, तो बाकी बच्चों का मनोबल टूट जाएगा।

सुपर स्टूडेंट्स के सलेक्शन के लिए सीबीएसई की गाइड लाइन का सहारा लिया जाएगा। इसमें बच्चों के विषय का ग्रेड देखा जाएगा।

सीबीएसई के नियम ने वाकई स्‍कूल प्रशासन को को परेशानी में डाल दिया है। चूँकि ग्रेड के बूते सुपर स्टूडेंट्स नहीं चुना जा सकता, इसलिए अब वर्ष भर के परफार्मेंस के आधार पर सर्वश्रेष्ठ स्टूडेंट चुने जाएँगे।

प्रवेश में भी दिक्कतें
ग्रेडिंग सिस्टम ने स्टूडेंट्स के एडमिशन को लेकर भी दिक्कतें खड़ी कर दी है। 10 वीं पास कई स्टूडेंट्स को ग्रेड की वजह से उनके पंसदीदा सब्जेक्ट में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है। सीबीएसई ने एडमिशन प्रोसिजर लागू किया है। इसके तहत एडमिशन के लिए पहले ग्रेड देखकर कंपलसरी लैंग्वेज के ग्रेड, साइंस व मैथ्स की ग्रेड प्वाइंट एवरेज देखी जाएगी।

कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेड के साथ साइंस, सोशल साइंस, मैथ्स व कंपलसरी लैंग्वेज के ग्रेड प्वाइंट्स देखे जाएँगे। कॉमर्स बिना मैथ्स स्ट्रीम में एडमिशन के समय कंपलसरी लैंग्वेज, सोशल साइंस व सेकंड लैंग्वेज के अंक भी देखे जाएँगे।

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