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देरी से लिया गया सही निर्णय

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-आरसी खंदार

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा है कि 10वीं बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक करके 12वीं के लिए पूरे देश में एक बोर्ड बनाया जाने का विचार है जो कि देरी से लिया गया सही निर्णय है।

बोर्ड परीक्षा के दबाव व कम अंक आने व फेल हो जाने पर देशभर में हर वर्ष सैकड़ों किशोरवय छात्र/ छात्राएँ कुंठा से ग्रसित हो अपनी जान ले लेते हैं। वहीं लाखों छात्र 10वीं अनुत्तीर्ण होने से पढ़ना वहीं छोड़कर अपना जीवन का सपना अधूरा ही रहने पर मजबूर होते हैं।

10वीं बोर्ड परीक्षा को पूरे देशभर के बोर्डों को वैकल्पिक करके ऐसे लाखों छात्रों को राहत देकर उन्हें आगे पढ़ने व बढ़ने में मदद करना चाहिए। शिक्षकों के मध्य इस विषय पर चर्चा में पाया कि इससे शिक्षा का स्तर गिरेगा क्योंकि 5वीं, 8वीं में पहले से ही बोर्ड परीक्षा खत्म कर लोकल बना दिया है, ऐसे में कक्षा 1 से 9 तक कोई रोक नहीं है। ऐसे सभी शिक्षकगणों से कहना चाहूँगा कि यदि छात्रों को कक्षा में गुणात्मक अध्यापन कराकर उन्हें हर विषय में दक्ष कर दिया जाए तो आपकी चिंता स्वतः ही स्फूर्त हो जाएगी।

विभाग के अधिकारियों को भी चाहिए कि अध्यापन कार्य का हर स्तर से सघन अनुवीक्षण कर प्रत्येक कक्षा के शिक्षक को लक्ष्य देकर पूर्ण जवाबदेही तय की जाए। (भय बिन प्रीत ना ही का सिद्धांत लागू करना ही होगा बगैर किन्हीं बाहरी हस्तक्षेप के)।

विगत में राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा कक्षा 1 से 8 तक दक्षता संवर्धन लागू कर प्रत्येक छात्र की मासिक ग्रेडिंग कर रिपोर्ट कार्ड बनाया गया। आश्चर्यजनक रूप से जुलाई से दिसंबर-जनवरी माह तक जो छात्र डी ग्रेड प्राप्त था वह फरवरी-मार्च सत्रांत में ए ग्रेड प्राप्त हो गया, कैसे? केवल उसे कक्षा उन्नत करने के लिए?

ऐसे ही छात्र 10वीं बोर्ड तक जाते ही निढाल होकर चित्त हो जाते हैं। इन विसंगतिपूर्ण छिद्रों को बंद करना अतिआवश्यक है। कक्षा 12वीं के लिए संपूर्ण देश में एक ही बोर्ड बनाने से भी समानता रहेगी। मंत्रालय के इन निर्णय/ विचार पर सकारात्मक बहस पूरे देश में की जाकर इसे आवश्यक संशोधन के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए।

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