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पावर क्षेत्र में सृजित होते रोजगार

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- अशोक सिंह

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विकास, उद्योगीकरण और शहरीकरण के साथ देश में ऊर्जा की मांग बढ़नी स्वाभाविक है। इसमें ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का उपयोग शामिल है यानी पेट्रोल, हाइड्रो-इलेक्ट्रिक, थर्मल पावर, न्यूक्लियर पावर, विंड पावर, सोलर एनर्जी इत्यादि। यही कारण है कि सरकारी कंपनियों के साथ बड़े पैमाने पर नीजि कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं।

इनमें जे पी इंडस्ट्रीज, रिलायंस पावर, टाटा पावर, इंडिया टूल्स पावर, सृजलॉन एनर्जी सरीखी अनेक कंपनियों का नीजि क्षेत्र में उल्लेख किया जा सकता है। दिलचस्प पहलू यह है कि चंद वर्षों पहले जहाँ पावर को मोटे निवेश और कम रिटर्न का सौदा समझते हुए नि‍जी कंपनियाँ इससे दूर भागती थीं वहीं अब ठीक इसके उलट देखा जा सकता है।

इस तथ्य को पुख्ता करने के लिए यही बताना पर्याप्त होगा कि गत दो वर्षों में पावर क्षेत्र की कंपनियों ने आईपीओ के माध्यम से 27 हजार करोड़ रुपए जनता से इकट्ठे किए हैं। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी ऑथोरिटी की मानें तो देश को आगामी दशक के दौरान पावर सेक्टर के लिए लगभग 8 लाख ट्रेंडकर्मियों की जरूरत पड़ेगी। ध्यानपूर्वक देखा जाए तो ये आंकड़े किसी भी अन्य क्षेत्रों में सृजित होने वाले रोजगार के अवसरों से कहीं ज्यादा हैं। रिपोर्ट के अनुसार आगामी दशक तक देश की ऊर्जा आवश्यकता वर्तमान की तुलना में दोगुनी हो जाएगी। अगर आंकड़ों की भाषा में बात की जाए तो 20 जी डब्ल्यू।

चालू पंचवर्षीय योजना में 78 हजार मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है और इसी के अनुसार वित्तीय प्रावधान किए गए हैं। प्रोफेशनल्स की जरूरतें देखें तो सबसे पहले इंजीनियरों की बात की जा सकती है। इनमें इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और इंस्ट्रूमेंटेशनल इंजीनियरों की संख्या सर्वाधिक है। यह संख्या 40 हजार के आसपास होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इनके अतिरिक्त डिप्लोमाधारक इंजीनियर, टेक्नीशियन और सेमी-ट्रेंड मैनपावर की भी बात की जा सकती है।

इनके अलावा भी विविध प्रकार के प्रोफेशनल्स की आवश्यकता पावर कंपनियों में पड़ती है जिनमें प्रशासन, मार्केटिंग, एकाउंट्स, डिस्ट्रिब्यूशान, आई टी आदि का खासतौर से उल्लेख किया जा सकता है। यही नहीं, पावर कंपनियों के दक्ष प्रबंधन के लिए पावर मैनेजमेंट पर आधारित कई प्रकार के कोर्सेज भी देशा में संचालित किए जाते है। जिनके बारे में बहुधा लोगों को जानकारी भी नहीं है।

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भारत सरकार द्वारा इस प्रकार की विशिष्ट ट्रेनिंग उपलब्ध कराने के लिए पहले पहल शुरुआत की गई। इसमें नेशानल पावर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का नाम शीर्ष पर है। यहां पर 4 वर्षीय बी टेक के अलावा दो वर्षीय एमबीए और अन्य संबंधित डिप्लोमा कोर्सेज भी संचालित किए जाते हैं। इसी प्रकार यूनीवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज का भी नाम लिया जा सकता है। यह एशिाया की पहली और ऊर्जा क्षेत्र की इकलौती यूनीवर्सिटी है यहां पर ऑयल एंड गैस, पावर इत्यादि पर आधारित कोर्सेज हैं। इसके अलावा पावर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट का नाम है जिसे एनटीपीसी द्वारा स्थापित किया गया है।

पावर इंजीनियरों का काम विद्युत उत्पादन से संबंधित संयंत्रों, उपकरणों, बॉयलरों इत्यादि का रखरखाव और संचालन पर आधारित होता है। इसके अतिरिक्त इंडस्ट्रियल इकाइयों में भी इनके संबंधों की जरूरत पड़ती है। आने वाले समय में देश ही नहीं, विदेशों में भी इस प्रकार के विशिष्ट कर्मियों की मांग में तेजी आई है।

प्राइवेट कंपनियों के बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में उतरने की वजह से वेतनमान भी पहले की तुलना में कहीं अधिक आकर्षक हो गए हैं। यह भी एक कारण है कि युवाओं का ध्यान पावर क्षेत्र की विभिन्न जॉब्स की ओर गया है। इस उभरते क्षेत्र में करियर निर्माण के अवसर आने वाले समय में बहुत अधिक होंगे इसीलिए एंट्री का यह वक्त बिलकुल उपयुक्त कहा जा सकता है।

पावर पर आधारित विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग देने वाले संस्थान

नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट

यूनीवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज

पावर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट

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