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मनोवैज्ञानिक लक्षणों को अनदेखा न करें

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अगर बच्चे को लगातार सिर में दर्द है, उलटियाँ हो रही है, खाना नहीं खा रहा है, सांस लेने में तकलीफ आदि की शिकायतें हो रही हैं तो उसे हल्के में न लें।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अभिभावकों को इन दिनों बच्चे के मनोवैज्ञानिक लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे बच्चे की पढ़ाई के साथ ही सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सीबीएसई ने भी अपने वेबसाइट में इसकी विस्तृत जानकारी दी है।

परीक्षा का तनाव अगर छात्रों को परेशान कर रहा है तो उनसे बात करें। डॉक्टरों का कहना है कि इन दिनों बच्चा स्कूल से ज्यादा घर में रहता है। परीक्षा का दबाव भी होता है। ऐसे में कई बार बच्चा इसे बोल कर जाहिर नहीं कर पाता है। लेकिन बच्चे को अगर कोई शारीरिक परेशानी हो रही है तो अभिभावकों को उसपर ध्यान देना चाहिए।

मनोवैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि इन दिनों बच्चे परीक्षा और आगे करियर को लेकर परेशान हैं और रोजना ऐसे मरीज अस्पताल पहुँच रहे हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह इन दिनों बच्चों में आ रहे बदलाव में ध्यान दें।

अगर बच्चों की चिड़चिड़ाहट, याद न कर पाने की क्षमता, भूख न लगना, अधिक सोना, बेचैनी पर ध्यान नहीं दिया जाए तो परेशानी बढ़ सकती है। बच्चों में तनाव के लिए शारीरिक लक्षण तो नजर आते हैं लेकिन यह सब मनोवैज्ञानिक कारण है। बारहवीं कक्षा के बच्चों को आगे दाखिले की चिंता और दसवीं के छात्रों को मनचाहे स्ट्रीम में दाखिले की बात परेशानी का कारण है।

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