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डॉ. विजय अग्रवाल
मौसम बदल गया है। ठंडी हवाओं ने धीरे-धीरे गर्म रुख अख्तियार करना शुरू कर दिया है। हरे पत्तों पर हल्दी का रंग चढ़ने लगा है। साफ-सुथरी सड़कों पर सूखे हुए पत्ते खड़खड़ाहट के साथ चहलकदमी करने लगे हैं। आपकी ड्रेस भी बदल चुकी है। पानी की तलब अधिक होने लगी है और आइस्क्रीम की दुकानों पर खड़े रहने वाले झुंडों का आकार क्रमशः बड़ा होने लगा है और मजेदार बात यह कि इन बाहरी परिवर्तनों के साथ-साथ आपके अंदर भी काफी कुछ बदल गया है।
कुछ लोगों की परीक्षाएँ शुरू हो चुकी हैं। जिनकी अभी शुरू नहीं हो पाई है, उनकी कुछ दिन शुरू बाद हो जाएँगी। सच तो यह है कि आपके लिए यह महीना बसंत का महीना न होकर परीक्षा का ही महीना है, जो लगभग दो-ढाई महीने तो चलेगा ही।
परीक्षा के इस महीने में आप किस तरह का और कैसा अनुभव कर रहे हैं? मन एक प्रकार के अनजाने भय से भर गया है। लग रहा है कि पता नहीं क्या होगा? चूँकि मन भय से भर गया है, इसीलिए वह अंदर से अस्थिर भी हो गया है। मन उखड़ा-उखड़ा रहता है, इसलिए किसी एक बात परटिकता ही नहीं। छोटी-छोटी बात पर बिना मतलब के ही गुस्सा आने लगता है। कोई जरा-सा भी रोके-टोके यह तो नाकाबिले बर्दाश्त है। लग रहा है कि 'हे भगवान जो भी होना हो, जैसा भी होना हो, जल्दी से जल्दी हो जाए और इस तनाव से मुक्ति मिले? भूख कम हो गई है। कभी-कभी तो लगती ही नहीं। नींद आती तो है, लेकिन उखड़ी-उखड़ी सी। सब कुछ उड़ा-उड़ा और बिखरा-बिखरा लग रहा है।
मैं जानता हूँ कि आपकी ऐसी स्थिति क्यों हुई है? परीक्षा की तैयारी और उसके परिणाम की चिंता ने अंदर से आपको उलट-पलट दिया है। जब भी हमारे मन पर दबाव पड़ता है और जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, मन की अस्थिरता वैसे-वैसे बढ़ती चली जाती है। विश्वास रखिए कि आपको कोई भी बीमारी नहीं हुई है। यह एक अस्थायी स्थिति है, जो परीक्षा समाप्त होने के साथ ही समाप्त हो जाएगी। लेकिन आपके लिए चिंता की बात यह है कि अभी आपको परीक्षा देना है।
परीक्षा में अच्छी सफलता मिले, इसके लिए यह निहायत ही जरूरी है कि आपका मन स्थिर हो। आपका स्वास्थ्य ठीक हो। आपको भूख लगे और अच्छी नींद आए। आप अपने अंदर आत्मविश्वास महसूस करें। गड़बड़ी यह हो रही है कि अभी जिन चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत है, वही चीजें आपके पास नहीं हैं। तो आइए, देखते हैं कि कैसे आप अपनी इस अस्थिरता, चिंता और चिड़चिड़ाहट से मुक्ति पा सकते हैं।
पहली बात तो यह कि यह सब कुछ शरीर के स्तर पर नहीं हो रहा है, बल्कि मन के स्तर पर हो रहा है। जो घटना घट रही है वह मन में घट रही है। उसका परिणाम शरीर को भुगतना पड़ रहा है। तो आपके लिए जरूरी है कि आप अपने इस मन पर नियंत्रण रखें।
मैं यह तो नहीं कहूँगा कि मन पर नियंत्रण रखना कोई सरल काम है, लेकिन इतना तो जरूर कहना चाहूँगा कि यह बहुत कठिन भी नहीं है। इसके लिए कुछ तरीके इस प्रकार हो सकते हैं-
1. इस बात पर विश्वास करें कि चिंता करने से कुछ नहीं होता है। काम करने से होता है। इसलिए पढ़ाई करें। अपने आपको पढ़ाई में जितना अधिक झोंक देंगे, चिंता करने की गुंजाइश उतनी कम रह जाएगी।
2. परीक्षा के भय को मन से निकाल दें। यह बिलकुल मत सोचिए कि परीक्षा में न जाने क्या पूछा जाएगा। आप अभी तक न जाने कितनी परीक्षाएँ दे चुके हैं। क्या आप बता सकते हैं कि उनमें ऐसा कुछ पूछा गया था, जो कोर्स से बाहर था? यदि आप उस समय पास हो गए हैं तो इसबार भी पास होंगे। जो भी पूछा जाता है लगभग-लगभग कोर्स से ही पूछा जाता है। इस तथ्य पर विश्वास रखिए।
3. जब भी आपका मन परीक्षा के बारे में सोचकर बेचैन होने लगे, अपने सोचने की दिशा को बदल दीजिए। कुछ और सोचने लगें और वह भी अच्छा-अच्छा।
आपकी चिड़चिड़ाहट का कुछ संबंध आपके खान-पान और नींद से भी होता है। आपने देखा होगा कि भूखा बच्चा चिड़चिड़ाता है। आपने देखा होगा कि नींद से भरा हुआ बच्चा भी चिड़चिड़ाता है। आपको भले ही इस बात का अहसास न हो, लेकिन सच्चाई यही है कि अभी आपकी भूख भी कम हो गई है और नींद भी, जबकि अभी आप ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। इसलिए आपके शरीर को अधिक ऊर्जा चाहिए। साथ ही चूँकि आप अधिक मेहनत कर रहे हैं, इसलिए आपको नींद भी अच्छी आना चाहिए।
चूँकि आप खाना ठीक से नहीं खा पा रहे हैं, इसलिए नींद भी अच्छी नहीं आ पा रही है। अतः यदि आपको अपने को संतुलित रखकर परीक्षा में अच्छे नंबर लाने हैं तो आपके लिए यह जरूरी होगा कि आप अपने खान-पान पर ध्यान दें और सोने पर भी। आप इस गलत-फहमी में न रहें कि इस दौरान जितना अधिक पढ़ लेंगे, उतने ही अधिक नंबर मिलेंगे। शरीर और मस्तिष्क के विज्ञान की यह माँग है कि आप उनसे उतना ही काम ले सकते हैं, जितने के लायक वे बने हैं। आपकी जोर-जबर्दस्ती से कुछ होने वाला नहीं है।
इस दौरान आप किसी भी तरह का कोई व्यवधान बर्दाश्त नहीं कर पाते; चाहे यह व्यवधान आपके बीमार पड़ने से हो रहा हो या बीमारी की तीमारदारी करने से हो या फिर घर में मेहमानों के आ जाने से। एक तो मेहमानों को इस समय खुद भी समझना चाहिए और यदि वे नहींसमझते हैं तो आप मेहमानों के बहुत जरूरी काम निपटाकर अपनी पढ़ाई में लग जाएँ। अनावश्यक रूप से चिड़चिड़ाए नहीं। मेहमान के सामने पूरी विनम्रता के साथ अपनी स्थिति का खुलासा कर दें। उनके बेहद जरूरी कामों को निपटा दें। इस दौरान आप मेहमानदारी के काम को अपना मनोरंजन समझ लें।
यदि आप प्रसन्न मन से मेहमान के कामों को पूरा करेंगे, तो आप देखेंगे कि आपको एक अजीब तरह का संतोष मिलेगा और आपका मन स्थिर हो जाएगा। आखिर काम तो आप करेंगे ही, चाहे चिड़चिड़ाकर करें या खुश मन से करें। तो क्यों न इसे प्रसन्न मन से ही किया जाए। मुझे लगता है कि इन कुछ तरीकों क