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अनूठा करि‍यर ईपीओ के माध्‍यम से

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- अशोक सिंह

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ईपीओ के महत्व को समझाने के लिए यही बताना काफी होगा कि किसी भी देश के चहुँमुखी विकास को प्रशस्त करने के लिए जिस इन्फ्रास्ट्रक्चर की बड़े पैमाने पर जरूरत पड़ती है उसके निर्माण कार्य में ईपीओ का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

ईपीओ यानी इंजीनियरिंग प्रोसेस आउटसोर्सिंग के माध्यम से आर्किटेक्चर, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इलेक्ट्रिकल एनवायरनमेंटल इंजीनियारिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, सिविल इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट इत्यादि के क्षेत्रों में आवश्यक जानकारी का आदान-प्रदान किया जाता है।

इसमें खासतौर से आर्किटेक्चर, इंजीनियर और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है। इस क्षेत्र का महत्व समझने के लिए तत्कालीन वाणिज्य मंत्री कमलनाथ के एक बयान को इंगित करना ही पर्याप्त होगा कि देश के ईपीओ पेशेवर समूचे विश्व का इस क्षेत्र का 25 प्रतिशत हिस्सा हथियाने की क्षमता रखते हैं। उनके अनुसार विश्व की ईपीओ इंडस्ट्री लगभग 70 अरब डॉलर के बराबर उस वक्त वर्ष 2007 थी।

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति को अगर माने तो वर्ष 2015 तक देश का ईपीओ कारोबार 30 अरब डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा इतना ही नहीं, विश्व का ईपीओ कारोबार भी 110 अरब डॉलर के करीब अगले पाँच वर्षों में पहुँच जाएगा। यहाँ यह बताना भी आवश्यक है कि ईपीओ की वार्षिक विकास दर 30 से 35 प्रतिशत से ज्यादा लंबे समय से बनी हुई है।

अब प्रश्न उठता है कि आखिर ईपीओ क्या है और इसका फायदा देश के प्रोफेशनल कैसे उठा सकते है? मोटेतौर पर यह कहा जा सकता है कि जिस तरह बिजनेस से संबंधित सूचनाएँ, जानकारियाँ और अन्य सॉल्यूशन की आउटसोर्सिंग बीपीओ के जरिए की जाती है ठीक उसी प्रकार इंजीनियरिंग से जुड़ी सेवाएँ देशी एवं विदेशी कस्टमर को आईटी की मदद से दूर बैठे प्रोफेशनल उपलब्ध कराते हैं।

जाहिर है, इस क्षेत्र में इंजीनियरिंग की बैकग्राउंड वाले लोगों के लिए ही खासतौर से अवसर हैं। देश में आईआईटी से लेकर अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों का व्यापक नेटवर्क है और प्रति वर्ष भारी संख्या में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स पास आउट लेते हैं। जरूरी नहीं कि सभी इंजीनियर मैन्यूफैक्चरिंग, प्रोडक्शन और संबंधित क्षेत्रों में ही रोजगार की तलाश करें।

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इसके अतिरिक्त वे नामी एवं प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग एवं कंस्ट्रक्शन कंपनियों के लिए ईपीओ के जरिए अपनी सेवाएं आकर्षक फीस की एवज में प्रदान कर सकते हैं। अनुभवी इंजीनियरों के लिए ऐसे तमाम अवसर प्रोजेक्ट अथवा डांट्रैक्चुअल आधार पर उपलब्ध हो सकते हैं।

आईटी का सहारा लेकर ये प्रोफेशनल अपनी विशेषज्ञताओं की आउटसोर्सिंग दूर-दराज बैठकर बड़े-बड़े प्रोजेक्टस के लिए करते हैं। इस क्षेत्र में एक और खासियत है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अन्य ट्रेडिशनल जॉब्स या प्रोफेशन की तरह इसमें काम की एकरसता नहीं है। प्रत्येक जॉब अपने आप में अनूठी और अलग प्रकार की चुनौती लिए होती है। इसका सबसे बड़ा फायदा वृहद अनुभव और देश-विदेश के कार्य वातावरण को समझने के रूप में भी सामने आता है।

यहां यह बताना भी कम दिलचस्प नहीं होगा कि ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर साख बनाने वाले हमारे देश में विश्व की तमाम ऑटोमोबाइल कंपनियों की उत्पादन इकाइयां स्थापित हो चुकी हैं और इसके लिए भी डिजाइनिंग से लेकर उत्पादन तक के समस्त उपक्रम में ईपीओ सेक्टर की भागीदारी दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है।

ऐसे इंजीनियर जो परंपरागत शैली के इंजीनियरिंग जॉब्स को नहीं अपनाना चाहते या अपनी क्रिएटिविटी तथा नॉलेज को विशिष्ट रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं, निस्संदेह उनके लिए अपनी प्रतिभा को निखारने व आगे बढ़ने का विशिष्ट अवसर ईपीओ के माध्यम से मिल सकता है। ऐसे तमाम ईपीओ कंपनियों के बारे में इंटरनेट के द्वारा जानकारियां जुटाकर उनसे पार्ट टाइम या फुल टाइम जुड़ा जा सकता है और बेहतरीन भविष्य बनाया जा सकता है।

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