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एमपी पीईटी परीक्षा का समय उचित है?

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, सोमवार, 30 जून 2008 (11:03 IST)
- गिरजेश राठौर (चैतन्या एकेडमी, इंदौर)

सन्‌ 1984 से पहले जब M.P. बोर्ड के अधीन (11+3) प्रणाली के अन्तर्गत हायर सेकंडरी की परीक्षा होती थी तब कक्षा 11वीं (एम. पी. बोर्ड भोपाल) के प्रतिशत के आधार पर राज्य के इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में प्रवेश होता था, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए एम. पी. पी.एम.टी. के माध्यम से ही प्रवेश दिया जाता था जिसके लिए न्यूनतम अर्हता भी हायर सेकंडरी नहीं वरन किसी भी विश्वविद्यालय की B.Sc. प्रथम वर्ष की परीक्षा होती थी। इस विसंगति को दूर करते हुए 1984 से ही व्यापम ने इंजीनियरिंमहाविद्यालयों में भी प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा की व्यवस्था की और प्रदेश भर में PET आयोजित होने लगी।

एक दो वर्षो में ही PET ने प्रदेश की एक प्रतिष्ठापूर्ण परीक्षा के रूप में स्थान हासिल कर लिया और 80 के दशक में इस परीक्षा को उर्त्तीण करना उस समयकालीन विद्यार्थियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण और प्रतिष्ठित माना जाता था। इसके भी दो कारण थे एक तो प्रदेश में इंजीनियरिंग महाविद्यालयों की संख्या कम थी तथा उसमें उपलब्ध सीट्स जिनकी संख्या (लगभग 1600, 1700 ) से भी कम होती थी

  अब सबसे बड़ी समस्या और सवाल M.P. PET परीक्षा के समय को लेकर है। मध्यप्रदेश में यह परीक्षा जून माह के तीसरे या चौथे सप्ताह में आयोजित की जाती है। जो मेरे विचार से सर्वथा अनुचित है। इस संदर्भ में, मैं कुछ तथ्य प्रस्तुत करना चाहूँगा।      
दूसरा उस समय में प्रादेशिक विद्यार्थियो के पास राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों जैसे IIT’s के बारे में जागरूकता का अभाव था, कई विद्यार्थी IIT’s के बारे में अनभिज्ञ थे या कुछ पता ही नही था अतः जिन विद्यार्थियोका सपना इंजीनियर बनना होता था वे सिर्फ PET पर ही आश्रित थे और उनका प्रथम लक्ष्य या तो जीएसआईटीएस इन्दौर या रीजनल इंजीनियरिंकॉलेज भोपाल (जो आजकल NIT हैं) होता था।

PET की यह प्रतिष्ठा 90 दशक के पूर्वाध तक तो कायम रही पर फिर धीरे-धीरे लोग IIT से अवगत होने लगे और विद्यार्थियों का रूझान अब प्रादेशिक स्तर से राष्ट्र स्तर के इंजीनियरिंग महाविद्यालयों की तरफ बढ़ने लगा और 21 वीं सदी आते-आते तो PET बहुत पीछे छूट गई चारों और IIT-JEE की गूँज सुनाई देने लगीं तथा बाकी की कसर फिर AIEEE ने पूरी कर दी।

राष्ट्रीय स्तर पर AIEEE होने लगी तो PET लगभग ओझल सी हो गई क्योंकि AIEEE के माध्यम से जिन 20 NIT’s और 5 IIT’s में प्रवेश होता है। उनमें भी IIT की तरह बी.टेक दिया जाता है। जबकि PET के अन्तर्गत आने वाले महाविद्यालयों में आज भी B.E. की Degree मिलती हैं। जहाँ IIT से निकलने वाले विद्यार्थियों का औसत वेतन 6-8 लाख रुपए सालाना होता हैं। वही NIT’s में यह औसत 4-5 लाख रुपए सालाना तथा प्रादेशिक महाविद्यालयों में यही वेतन औसत 2.5 से 3 लाख रुपए सालाना होता हैं। अतः विद्यार्थियोमन में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने आप ही वर्ग बन गए सर्वोच्च -IIT, मध्य-AIEEE और न्यूनतम PET

लेकिन आज भी PET परीक्षा की आवश्यकता और उपयोगिता दोनों है। आवश्यकता इस संदर्भ में, कि सर्वोच्च न्यायलय का आदेश है कि प्रोफेशनल महाविद्यालयों में प्रवेश बिना प्रवेश परीक्षा के नहीं दिया जा सकता। ( कुछ दिन पूर्व एक अफवाह फैली थी की PET समाप्त हो रही है। लेकिन वो महज एक अफवाह ही थी क्योंकि इस परीक्षा को समाप्त किया ही नहीं जा सकता ऐसा करना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहैलना होगी ) और उपयोगिता इसलिि IIT और AIEEE से सम्बद्ध सारे इंजीनियरिंमहाविद्यालयों की कुल सीट्स की संख्या राष्ट्रस्तर पर लगभग 20 से 25 हजार है। जबकि इंजीनियर बनने की चाह रखने वालों की प्रतिवर्ष संख्या राष्ट्रस्तर पर लगभग 4 लाख के आसपास होती है।

अतः 20 से 25 हजार तो IIT’s और NIT’s में चले जाते हैं। शेष विद्यार्थियों के लिए आखिरी विकल्प राज्य स्तरीय महाविद्यालय होते हैं। जिनमें प्रवेश राज्य स्तरीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है। जो हमारे प्रदेश में M.P. PET के रूप में जानी जाती है।

अब सबसे बड़ी समस्या और सवाल M.P. PET परीक्षा के समय को लेकर है। मध्यप्रदेश में यह परीक्षा जून माह के तीसरे या चौथे सप्ताह में आयोजित की जाती है। जो मेरे विचार से सर्वथा अनुचित है। इस संदर्भ में, मैं कुछ तथ्य प्रस्तुत करना चाहूँगा।

(1) इस वर्ष M.P. PET . 21 जून को आयोजित की गई जब तक तो IIT और AIEEE के Result भी आ चुके थे। IIT का 30 मई और AIEEE का 3 जून को! अब जिन विद्यार्थियों ने अप्रैल माह में IIT और AIEEE दोनों की परीक्षा दी थी और अपने चयन को लेकर आश्वस्त थे, तो उन्होने इस परीक्षा को कोई महत्व नहीं दिया जिससे एक अच्छे स्तर की प्रतिस्पर्धा इस परीक्षा मे नहीं हुई और इसका स्तर और गिर गया। यदि यही परीक्षा IIT और AIEEE के साथ अप्रैल में होती तो चूँकि यह एक तीसरा विकल्प है तो सभी विद्यार्थी उक्त दोनों परीक्षाओं के साथ PET भी पूर्ण गंभीरता से देते और प्रतिस्पर्धा गुणात्मक होती।

(2) जैसा मैं ऊपर व्यक्त कर चुका हूँ कि यह इंजीनियरींग के क्षेत्र में IIT, AIEEE के बाद तीसरा विकल्प है। तो उन विद्यार्थियों के लिए जिनका या तो IIT में चयन ही नहीं हुआ है। या बहुत पीछे की रेंक पर चयनित हुए हैं। PET एक बेहतर विकल्प है। और इस वर्ष तो व्यापमं ने उन विद्यार्थियों से जो IIT में पीछे की रेंक पर चयनित हुए हैं, ये विकल्प छीन ही लिया, क्योंकि IIT की IIT में काउंसिलिंग 17 जून से 21 जून थी। अब जिनके रेंक 6000 के आसपास थी उन्हे 21 जून को मुबई में में कांउसलिंग मे उपस्थित होना था और उसी दिन प्रदेश में PET की परीक्षा थी जबकि इसी श्रेणी के विद्यार्थियोको PET की सर्वाधिक आवश्यकता थी विद्यार्थी तो PET परीक्षा में सम्मिलीत होने से ही वंचित रह गए और उपलब्ध विकल्प खो दिया।

(3) जिन विद्यार्थियों का प्रथम प्रयास में चयन नहीं होता है। वे एक वर्ष ड्राप लेकर वर्ष भर IIT, AIEEE और PET की तैयारी करना चाहते हैं। लेकिन PET परीक्षा इतने विलंब से और इसका परिणाम और देरी से आने के कारण वे विद्यार्थी भी जल्द से जल्द ड्राप का निर्णय नही ले पाते और PET के Result का इंतजार करते हैं। जिससे उनका भी समय बर्बाद हो जाता है।

(4) PET परीक्षा इतने विलंब से होने और परिणाम देरी से आने के कारण विभिन्न इंजीनियरिंग महाविद्यालयों का नवीन शिक्षा सत्र भी अगस्त तक प्रारंभ नहीं हो पाता और प्रथम सेमिस्टर का शैक्षणिक कार्यक्रम ही गडबड़ा जाता है क्योंकि परीक्षा तो दिसम्बर में होना ही तय हैं।

हमारे पडोसी राज्य आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ आदि में तो राज्य स्तरीय परीक्षाओं में परिणाम भी आ चुके हैं। और वहाँ नवीन शिक्षा सत्र के प्रवेश की प्रक्रिया भी होने लगी है। हमारे M.P. में तो अभी-अभी PET सम्पन्न हुई है। क्या व्यापमं और प्रदेश सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी कि PET अप्रैल में होना चाहिए ना कि जून अंत में।

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