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जानिए सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस

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सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस पर लिखी गई लोकप्रिय पुस्तक 'मेकिंग सेंस ऑफ सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस' के लेखक राधव एस. नंदयाल के अनुसार गुणवत्ता एक छिपा हुआ गुण या लक्षण है जो किसी उत्पाद अथवा सेवा के उपयोग के लिए उसकी उपयोगिता तथा मूल्य को परिभाषित करता है। यह केवल विस्तृत जाँच के अंतर्गत ही प्रकाश में आता है।

सॉफ्टवेयर क्वालिटी सॉफ्टवेयर की छिपी उपयोगिता का आयाम है। सॉफ्टवेयर क्वालिटी को सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि शुरू से ही इसे सॉफ्टवेयर उत्पाद के रूप में निर्मित कर लिया जाए। सॉफ्टवेयर क्वालिटी को उत्पाद में निर्मित करने के शीघ्रतम अवसर समय की आवश्यकता है।

क्वालिटी के कुछ गुणों में स्पष्टता, यर्थाथता, पूर्णता तथा परीक्षण योग्य होना आदि शामिल हैं। जब किसी आवश्यक सॉफ्टवेयर उत्पाद की जटिलता पता होती है तो इन गुणों से परिणाम प्राप्त होने की संभावना बन जाती है। चूँकि सॉफ्टवेयर क्वालिटी अधिकांश समय दिखाई नहीं देती है, इसलिए किसी उत्पाद में समीक्षा निरीक्षण अथवा परीक्षण की सहयोगी गतिविधि के रूप में। सॉफ्टवेयर क्वालिटी की सुनिश्चितता के अवसर भी बहुत कम होते हैं। सॉफ्टवेयर क्वालिटी उत्पाद विकास के प्रत्येक चरण में उत्पाद के साथ निर्मित होनी चाहिए।

किस तरह हुआ विकास : सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस के विकास को संभवतया पहले सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट के समय ही खोज लिया गया होगा तथापि सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस के लिए टाइम लाइन को परिभाषित करने के लिए सबसे बेहतर यही होगा कि खुद सॉफ्टवेयर के विकास को खोजा जाए। जहाँ तक सॉफ्टवेयर के विकास का प्रश्न है, ऐसा माना जाता है कि 1960 के दशक में बिजनेस कम्प्यूटर को बनाते समय संयोग से ही सॉफ्टवेयर का विकास हो गया था।

कुछ लोग इसे एक एक्सीडेंट भी मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि शुरुआती कम्प्यूटर के लिए जो सॉफ्टवेयर बनाया गया था, वह आज के मापदंड के लिहाज से अत्यधिक सरल था। साठ के दशक में सॉफ्टवेयर एक डिस्पोजेबल असेट माना जाता था, क्योंकि यह कस्टममेड था। इसका एप्लिकेशन उसी कम्प्यूटर पर काम करता था जिसके लिए इसे लिखा जाता था। तब यदि हार्डवेयर बदलता था तो उसके अनुरूप सॉफ्टवेयर को भी बदलना पड़ता था।

सबसे पहला ज्ञात सॉफ्टवेयर, जिसे बनाया गया वह ऑपरेटिंग सिस्टम था। आईबीएम का ओएस/ 360, जिसे 1968 में बनाया गया था, संभवतया पहला अभिलेखित सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन था। जिसका जीवनकाल अनपेक्षित रूप से काफी लंबा था। इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस काफी हद तक हार्डवेयर क्वालिटी एश्योरेंस की तरह होता है, जिसकी जड़ें 1970 के आसपास तक फैली हैं।

ऐसा माना जाता है कि शुरुआती सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस ग्रुप रिसर्च ओरिएंटेड थे तथा भूलचूक से यह तथ्य स्थापित हो गया कि उच्च गुणवत्तायुक्त सॉफ्टवेयर साल्यूशंस के लिए केवल टेस्टिंग मात्र ही पर्याप्त नहीं है। इसलिए उन्होंने सॉफ्टवेयर निरीक्षण का प्रयास किया।

जब निरीक्षणों को सॉफ्टवेयर निरीक्षण के ज्ञात स्वरूपों के साथ मिलाया गया तो दोष निवारण की 99 प्रतिशत दक्षता प्राप्त हुई। आईबीएम में रॉन रेडिस तथा माइक फेगान की सॉफ्टवेयर निरीक्षण पर शुरुआती अनुसंधान की रिपोर्ट ही अब तक की एकमात्र सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस का अब तक का सबसे पुराना ज्ञात इतिहास है।

क्या सॉफ्टवेयर क्वालिटी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमारी आईटी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना पड़ेगा : अधिकांश मामले जटिल प्रणालियों से संबंधित हैं जो कि डायनामिक काम्पलेक्सिटी के साथ काम करते हैं। उनमें प्रभावी रूप से सुधार लाने के लिए सीधी सोच की बजाय पाँचवें अनुशासन अर्थात सोच-विचार की प्रणाली की आवश्यकता होगी।

सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस के लिए किस तरह का कौशल सबसे ज्यादा जरूरी है : सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस प्रोफेशनल्स के रूप में सफलतम करियर निर्माण के लिए युवाओं में संगठनात्मक विकास की श्रेणियों, कुशाग्रता तथा अभिरुचि प्रदर्शन के साथ-साथ प्रक्रिया प्रबंधन की सक्षमता होनी चाहिए।

ऐसे आलराउंडर व्यक्ति जिन्होंने प्रोजेक्ट से जुड़े सभी पदों पर कार्य किया है तथा जो टेस्ट इंजीनियर से अपना करियर आरंभ कर सॉफ्टवेयर डेवलपर से प्रोजेक्ट लीडर और वहाँ से आगे बढ़ते हुए प्रोजेक्ट मैनेजर के पदों पर पहुँचे हैं। और जिन्होंने प्रक्रिया सुधार में सकारात्मक योगदान करते हुए बिजनेस को सफलतापूर्वक व्यवस्थित किया है, वे सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस प्रोफेशनल की भूमिका का अच्छी तरह से निर्वाह कर सकते हैं।

सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरर बनने के लिए क्या उपलब्ध अलग-अलग सर्टिफिकेशन कोर्स में अंतर है? इन्हें करने में खर्च कितना आता है : सॉफ्टवेयर क्वालिटी अभिलाषी के लिए सॉफ्टवेयर इंस्टीट्यूट का एससीएएमपीआई सर्टिफिकेशन एप्राइजर ऑथोराइजेशन प्रोग्राम को सर्वाधिक अधिमान्य सर्टिफिकेशन कोर्स माना गया है। इस प्रमाणन को प्राप्त करने की प्रक्रिया अत्यधिक कठिन है। एससीएएमपीआई लीड एप्राइजर प्रशिक्षण की कुल लागत 15 हजार डॉलर है। इसके लिए आवश्यक तीन ट्रेनिंग कार्यक्रम हैं। इंट्रोडक्शन टू सीएमएमआई या पीपल सीएमएम, इंटरमीडिएट कंसेप्ट ऑव सीएमएमआई या पीपल सीएमएम तथा एससीएएमपीआई लीड एप्राइजर ट्रेनिंग।

सीएमएमआई तथा पीपल सीएमएम क्या है? तथा इनका सर्टिफिकेशन कब तक वैध रहता है : संक्षिप्त में कहा जाए तो सीएमएम इंजीनियर मेच्योर सॉफ्टवेयर प्रोसेस का अच्छी तरह से प्रलिखित मॉडल है। पीपल सीएमएम किसी भी संगठन की सक्षमता, अधोसंरचना को परिभाषित करने में अत्यधिक मददगार है तथा यदि कोई अपने संगठन को दौड़ में आगे रखना चाहता है तो उसे इसे सीएमएमआई के साथ ही उपयोग में लाया जाना चाहिए।

सीएमएमआई की रचना सॉफ्टवेयर प्रक्रिया के स्थानीय परिप्रेक्ष्य में की जाती है, जबकि पीपल सीएमएम की एप्रोच कुछ ज्यादा होलिस्टिक होती है। पीपल सीएमएम निश्चित ही एक संगठनात्मक विकास अधोसरंचना है।

यदि सीएमएमआई के कार्यान्वयन को बाएँ मस्तिष्क की विचारधारा माना जाए तो पीपल सीएमएम का कार्यान्वयन निश्चित ही दाएँ मस्तिष्क की विचारधारा मानी जाएगी। संगठन में दोनों तरह की विचारधाराओं की आवश्यकता होती है अर्थात सीएमएमआई और पीपल सीएमएम एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जहाँ तक एससीएएमपीआई अप्राइजल्स की वैधता का प्रश्न है, यह तीन साल की अवधि के लिए वैध होता है।

यह एससीएमआई अप्राइजल्स की क्लास, मैन पॉवर, कास्ट तथा लगने वाले समय पर निर्भर करता है। सामान्यतः यह सही है कि एससीएमपीएआई क्लास सी अप्राइजल्स क्लास बी की तुलना में सस्ता है तथा क्लास बी अप्राइजल्स एससीएएमपीआई क्लास ए की तुलना में सस्ता होता है।

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