-नरेन्द्र कुमार
'कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि, पक्का इरादा, अनुशासन'। देश में जिन दिनों आपातकाल लागू था, यह नारा खूब सुनाई और दिखाई पड़ता था। बसों, रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थलों पर इस नारे को जगह-जगह लिखा गया था तथा रेडियो पर यह नारा दिन में कई बार सुनाई पड़ता था। दरअसल, यह नारा श्रीमती इंदिरा गाँधी के 14 सूत्री कार्यक्रम का सूत्रवाक्य था।
यह सूत्रवाक्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि उन दिनों था। साथ ही यह सिर्फ सरकारी अभियान के लिए ही प्रेरणादायक नहीं है बल्कि सेल्फ इम्प्रूवमेंट में भी उतना ही सहायक है। अगर आप नौकरीशुदा हैं और आपकी शिकायत है कि कई वर्षों के बाद भी आपको पदोन्नाति नहीं मिली तो जरूर आपके कामकाज के ढंग में कोई दिक्कत है। यहाँ दिए जा रहे टिप्स आजमाइए, तरक्की जरूर मिलेगी-
1.समय के पाबंद बनिए: तरक्की की यह पहली सीढ़ी है। चाहे संस्थान छोटा हो या बड़ा, किसी भी संस्थान का बॉस नहीं चाहता कि उसका कोई कर्मचारी देर से आए। ऑफिस में समय से पहुँचने पर आप अपने बॉस की नजरों में तो चढ़ते ही हैं, काम में भी मन लगता है। आपका काम भी समय पर पूरा हो जाता है, जिससे पेंडिंग काम का तनाव नहीं रहता। समय की यह पाबंदी तब और महत्वपूर्ण हो जाती है, जब ऑफिस के दूसरे लोग समय से पहुँचने के अनुशासन पर खरे उतर रहे हों।
2. ऑफिस काम की जगह है, बतकही का अड्डा नहीं: समय पर ऑफिस पहुँचना तरक्की की मंजिल की अगर पहली सीढ़ी है तो ऑफिस में समय पर अपना काम निपटाना दूसरी महत्वपूर्ण सीढ़ी है। याद रखिए, वे कर्मचारी हमेशा मालिक या बॉस की 'गुड बुक' के अभिन्न अंग होते हैं, जो ऑफिस के समय अपना ध्यान काम पर लगाते हैं न कि ऑफिस को बतकही का अड्डा बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए अपने कैबिन या कुर्सी में ड्यूटी के दौरान बेमतलब की गपशप न करें।
3.संभलकर करें साधनों का उपयोग: याद रखें, फोन, इंटरनेट और फैक्स मशीन ऑफिस के काम के लिए है, न कि आपके निजी इस्तेमाल के लिए। कुछ लोग ऑफिस के फोन के साथ बेहद बेरहम होते हैं। बिलकुल बेतकल्लुफी से निजी फोन करते हैं। ऑफिस के समय ही सर्फिंग करते हैं।
इस सबसे काम का तो नुकसान होता ही है, ऑफिस में काम का माहौल भी नहीं बन पाता। बॉस ऐसे लोगों से खुश नहीं रहते, जो खुद तो काम करने से कतराते ही हैं, ऑफिस के माहौल को भी काम के लायक नहीं रहने देते।
4.बॉस से बहस? ना बाबा ना: अँगरेजी में एक कहावत है, 'बॉस इज ऑलवेज राइट' इस कहावत में थोड़ा अतिरेक हो सकता है। क्योंकि ज्यादातर बॉस तार्किक होते हैं और उन्हें यदि आप सही बात के लिए टोकें तो वे बुरा नहीं मानते। लेकिन कई लोग बात-बेबात बॉस से बहस करने की कोशिश करते हैं। इससे स्वाभाविक है कि बॉस को सही नहीं लगता। नतीजतन तरक्की या प्रमोशन की स्थितियाँ रुकती हैं।
5. पहल करने वाले बनें: अगर आपमें कोई टेलेंट हैं, और आपको लगता है कि आपके पास कोई आइडिया है, जो क्लिक कर सकता है या आप किसी दूसरे के मुकाबले किसी प्रोजेक्ट को ज्यादा बेहतर ढंग से बना सकते हैं, तो आगे बढ़कर इसकी पहल कीजिए। हो सकता है कोई बड़ा पुरस्कार आपकी प्रतीक्षा कर रहा हो।
अगर आपके पास कोई आइडिया है और बॉस के बजाय उसकी जानकारी आप अपने सहकर्मियों को देते हैं तो यह भी हो सकता है कि आइडिया आपका और उसका श्रेय किसी और को मिले। इससे सावधान रहें और अपनेबॉस को अपने आइडिया से परिचित कराएँ। हो सकता है वह बॉस के काम का न हो फिर भी इससे आप बॉस की नजर में टेलेंटेड लोगों की श्रेणी में आ जाएँगे और तरक्की के अवसर उपलब्ध होंगे।