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डॉ. श्रीपाद काले
उदारीकरण एवं भूमंडलीकरण के फलस्वरूप समूचे विश्व में व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियों का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। विदेशी पूँजी निवेश एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आविर्भाव ने, जिसमें हमारे देश की कंपनियों का भी योगदान है, इस प्रक्रिया की तीव्रता में अत्यधिक वृद्धि की है।प्रतियोगिता के वर्तमान युग में सफलता के लिए यह अत्यावश्यक है कि उपलब्ध सभी भौतिक एवं मानव संसाधनों तथा क्षमताओं का सुचारु एवं सक्षम ढंग से उचित प्रबंधन हो, जिसके लिए योग्य और कुशल प्रबंधकों की महती आवश्यकता है। मात्र उद्योग एवं व्यवसाय ही नहीं अपितु अन्य क्षेत्रों जैसे कृषि, सहकारिता, परिवहन, ऊर्जा, जल संसाधन, वन, संचार आदि में भी उचित प्रबंधन की महत्ता को स्वीकार किया जा रहा है, जिसके कारण अच्छे प्रबंधकों की माँग और अधिक बढ़ गई है। आज प्रत्येक होनहार और महत्वाकांक्षी विद्यार्थी का स्वप्न होता है कि किसी अच्छे प्रबंध संस्था से एमबीए करके एक उच्चस्तरीय संस्थान में प्रबंधक के महत्वपूर्ण पद पर अच्छे वेतन पर कार्य करना। आज प्रत्येक संस्थान में बहुधा सभी उच्च पदों पर एमबीए ही नियुक्त किए जाते हैं, जिसकी वजह से प्रबंधन विद्यार्थियों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। भारत में प्रबंधन शिक्षा का आगमन 60 के दशक में हुआ जब भारत सरकार ने भारतीय प्रबंधन संस्थानों की स्थापना की। इसके पश्चात निजी क्षेत्र में कई औद्योगिक घरानों ने प्रबंध संस्थान खोले। 90 के दशक में उदारीकरण के फलस्वरूप देश में प्रबंध संस्थानों की बाढ़-सी आ गई है। |
उदारीकरण एवं भूमंडलीकरण के फलस्वरूप समूचे विश्व में व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियों का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। विदेशी पूँजी निवेश एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आविर्भाव ने, जिसमें हमारे देश की कंपनियों का भी योगदान है। |
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प्रबंधन शिक्षा के कई आयाम हैं। विद्यार्थी अपनी रुचि और क्षमता के अनुरूप वित्त (फाइनेंस), विपणन (मार्केटिंग), मानव संसाधन (एचआरएम), उत्पादन (प्रोडक्शन), आईटी आदि क्षेत्रों में विशेष योग्यता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अब देश में ऐसे प्रबंध संस्थान खुल गए हैं जो किसी एक क्षेत्र विशेष जैसे सहकारिता, वन, कृषि, ग्रामीण विकास, रक्षा आदि में उच्चस्तरीय पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
प्रबंधन के क्षेत्र में उपलब्ध अपार संभावनाओं के उपरांत भी यह आवश्यक है कि विद्यार्थी सफल होने के लिए पूर्णतः व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाएँ। प्रबंधन कोई परीक्षा या उपाधि नहीं है अपितु एक सोच, कौशल एवं कार्य संपादन का तरीका है जिसे प्राप्त किए बिना प्रबंधन शिक्षा व्यर्थ है। (लेखक आईपीएस एकेडमी, इंदौर के आईबीएमआर विभाग के विभागाध्यक्ष हैं)