Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

बदल गया है सिविल इंजीनियरिंग का स्वरूप

Advertiesment
हमें फॉलो करें सिविल इंजीनियरिंग
कल तक सिविल इंजीनियरिंग में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग को प्रधानता दी जाती थी, लेकिन रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट इमेज और ऑटो कैड (कम्प्यूटर एडेड डिजाइनिंग) ने सिविल इंजीनियरिंग का स्वरूप ही बदल डाला है। स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हुए विकास तथा इसमें सूचना प्रौद्योगिकी के घालमेल ने सिविल इंजीनियरिंग के पारंपरिक पाठ्यक्रम को बदलने के लिए बाध्य किया है।

80 तथा 90 के दशक में जब सारी दुनिया ऑटो कैड की बातें कर रही थीं हमारी स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग पर निर्भरता ने हमारे यहाँ सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ठहराव की स्थिति ला दी थी।

आईटी ने खोले नए दरवाजे
स्पेस एप्लीकेशंस ने सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में संभावनाओं ने नए द्वार खोले हैं। अत्यधिक उच्च रिजोलुशन रिमोट सैंसिंग सैटेलाइट्स, जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिसटम्स सॉफ्टवेयर और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने सिविल इंजीनियरिंग के सक्षम बनाते हुए निम्नलिखित क्षेत्रों में उसे चुनौतीपूर्ण अवसर प्रदान किए हैं।
  कल तक सिविल इंजीनियरिंग में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग को प्रधानता दी जाती थी, लेकिन रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट इमेज और ऑटो कैड (कम्प्यूटर एडेड डिजाइनिंग) ने सिविल इंजीनियरिंग का स्वरूप ही बदल डाला है।      


* पर्यावरण प्रबंधन * परिवहन प्रबंधन * जल संसाधन प्रबंधन * व्यवसाय एवं सेवा प्रबंधन * ऑटोमैटेड सिटी एंड रूरल एरिया रोड, नेटवर्क मेप * शहरी अधोसरंचना, अपशिष्ट प्रबंधन तथा समग्र नियोजन में अनुप्रयोग * संपत्ति बीमा तथा संकट प्रबंधन * आपदा प्रबंधन * व्हीकल रुटिंग ट्रेकिंगएंड मेपिंग * कृषि/वन्य प्रबंधन * टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण * डाटा सिमुलेशन विजुलाइजेशन * रियल इस्टेट, बैंकिंग, मीडिया, एंटरटेनमेंट, टूरिज्म * विद्युत ऊर्जा आपूर्ति संयंत्र नियोजन * दूरसंचार आदि

उपयुक्त सिविल इंजीनियरिंग कार्य निम्नलिखित विशिष्ट ज्ञान पर निर्भर हैं
* वृहद आँकड़ा अधिग्रहण एवं संचयन * आँकड़ों का प्रसंस्करण विश्लेषण तथा प्रदर्शन * जियो इंफॉर्मेटिक्स में संगणात्मक विधियाँ * जियो मार्फोलॉजी हजियोडेजी हडाटा कंवर्शन * संवधात्मक तथा लक्ष्योन्मुखी आँकड़ा प्रबंधन प्रणाली * वृहद अभियांत्रिकी सर्वेक्षण * डिजिटल रिमोट सैंसिंग की प्रगत विधियाँ * अखंड भूमि तथा पर्यावरण सूचना प्रणाली * डिजिटल फोटोगामेट्री * डिजिटल कार्टोग्राफी * जीआईएस के उपयोग द्वारा शहरी तथा क्षेत्रीय नियोजन * पर्यावरण प्रभाव आकलन * परिवहन में सूचना प्रणाली * भू-लागत तथा भू-उपयोग आकलन * जीपीएस प्रणाली द्वारासर्वेक्षण * जीपीएस नेटवर्क सर्वेक्षण * इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन प्रणाली * नेटवर्किंग हवेब आधारित जीआईएस * ई-कामर्स तथा जीआईएस अनुप्रयोग

इस आवश्यकता ने सिविल इंजीनियरिंग को मियोस्पारियल एनेबल्ड सिविल इंजीनियर बना दिया है। यह सब ज्ञान अर्जित कर आज का सिविल इंजीनियरिंग समाज की बदलती आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है।

स्रोत : नईदुनिया अवसर

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi