मुश्किलों और बाधाओं को हटाएँ-
संजय जैन
दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जिसने मुश्किलों का सामना नहीं किया हो। हर आगे बढ़ने के रास्ते पर बाधाएँ होती हैं। मुश्किलों का सामना कर उन्हें हराने वाले आगे बढ़ जाते हैं और उनसे डरने वाले वहीं रह जाते हैं। हर मुश्किल, हर बाधा के साथ एक पुरस्कार होता है, जो उसे हराने वाला प्राप्त कर लेता है। जितनी बड़ी मुश्किल, उतना बड़ा पुरस्कार।मुश्किलें एक तरह से हमें आगे बढ़ने का अवसर देती हैं। मुश्किलें हर एक के साथ हैं। यदि जीवन है तो ये भी हैं, ये नहीं हैं तो समझ लें कि जीवन नहीं है। ऐसा नहीं है कि बाधाओं को पार पाना असंभव होता है, बल्कि हमेशा संभव होता है। आपको केवल सोचना होता है और सोचकर सबसे अच्छे प्रयास पर काम करना शुरू कर देना होता है। हमेशा जिस तरह मुश्किल होती है, उसी तरह उससे निपटने का एक उपाय भी होता है। मुश्किल कोई भी हो, उसका हल हमेशा संभव होता है। हमें केवल उसे खोजना होता है। मुश्किल कोई भी हो शांत मन से उस पर विचार करें, उसका हल जरूर मिलेगा। यह प्रकृति का नियम है। और एक बात और, हर मुश्किल अपने साथ एक मौका लेकर आती है और यह मौका आपके लिए प्रकृति का वरदान होता है। इस मौके को पहचानने की जरूरत होती है। |
दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जिसने मुश्किलों का सामना नहीं किया हो। हर आगे बढ़ने के रास्ते पर बाधाएँ होती हैं। मुश्किलों का सामना कर उन्हें हराने वाले आगे बढ़ जाते हैं और उनसे डरने वाले वहीं रह जाते हैं। हर मुश्किल, हर बाधा के साथ एक पुरस्कार होता है। |
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इसके लिए हमें मुश्किलों के सामने हार मानकर हिम्मत नहीं हारना होगी, बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण रखना होगा। जब हम सकारात्मक तरीके से सोचते हैं तो हम मुश्किलों को अलग नजरिए से देखने लगते हैं। मुश्किलों को देखने का नजरिया करता है कि हम उन्हें हराएँगे या वे हमें हराएँगी। मुश्किलें जिंदगी में आती हैं, पर जब जाती हैं तो वरदान देकर जाती हैं। मुश्किल दौर हर इंसान की जिंदगी में आते हैं, पर जो इनका सामना करता है, वह आगे बढ़ जाता है। किसी भी मुश्किल के आने पर हम किस तरह की प्रतिक्रिया करेंगे, यह हमारे हाथ में होता है।
यदि हम सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे तो हम मुश्किल का हल ढूँढ लेंगे। किसी भी मुश्किल से कैसे निपटेंगे, यह आप पर निर्भर करता है। किसी भी स्थिति में मुश्किलों से निपटने की अपनी क्षमता को कम नहीं आँकें। इसी तरह मुश्किलों को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं आँकें। कुछ लोग इस मामले में अतिशयोक्ति कर देते हैं। वे तिल का ताड़ या राई का पहाड़ बना देते हैं। अपनी छोटी-सी समस्या उन्हें महान विपत्ति नजर आती है। इसलिए मुश्किल कोई भी हो, उसका आकलन वास्तविकता के धरातल पर करें। अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा रखें।
मुश्किल के वक्त में हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठें। केवल इंतजार नहीं करें, क्योंकि इंतजार मुश्किल को और गंभीर बना देता है। मुश्किलों से पार पाने के लिए अपने पर विश्वास रखें और उपाय खोजें, क्योंकि अभी तक ऐसी कोई मुश्किल नहीं बनी जिससे निपटा न जा सके। सबसे पहले तो मुश्किल या मुश्किलों को स्पष्ट करें कि वे किस तरह की हैं। उनके कारणों पर विचार करें, फिर अपने आपको प्रेरित करें कि आप इससे निपट सकते हैं।
अपने जीवन में आप पहले भी मुश्किलों से निपटे होंगे। उन क्षणों को फिर याद करें। आपको अपने सामने खड़ी मुश्किल से निपटने की प्रेरणा मिलेगी। फिर इस मुश्किल से निपटने के अपने उपायों पर विचार कर लें। कहीं सुधार की गुंजाइश हो तो सुधार करें, फिर पूरी शक्ति से मुश्किल का हल करने में जुट जाएँ।
मुश्किलों से निपटने में किसी की मदद की जरूरत हो तो उसे प्राप्त करें। अपने को मदद से वंचित नहीं करें, क्योंकि कई बार मदद मिलने से मुश्किलों से निपटने में आसानी हो जाती है। एक बात का ध्यान रखें कि नकारात्मक शक्तियों या व्यक्तियों से अपने आपको दूर रखें, क्योंकि ये आपकी मुश्किलों को और बढ़ा देंगे। ये आपको हतोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
ये कई मिसालें देते हुए आपको बताएँगे कि क्यों मुश्किलों से पार नहीं पाया जा सकता। पर आप इनकी बातों को गंभीरता से नहीं लें और इनसे दूर रहें। मुश्किलों से निपटने के लिए आप सारे संभावित हल एकसाथ लिख लें फिर सारे हलों पर विचार करें, आपको समाधान मिल जाएँगे। आप उसे तुरंत क्रियान्वित करने में लग जाएँ।
याद रखें, मुश्किलें जीवन के अस्थायी दौर हैं, स्वयं को निराश नहीं होने दें। जहाँ सड़क का अंत नजर आता है, वहीं एक नया मोड़ होता है।