मैनेजमेंट एप्टिट्यूट टेस्ट (मैट) तीन फरवरी 2008 को आयोजि की जाएगी। दिन बहुत ही कम बचे हैं और स्टूडेंट्स की जिज्ञासा है कि इस बार कैसा होगा मैट? हालाँकि मैट साल भर में चार बार आयोजित की जाती है, लेकिन हर बार इसकी प्रकृति अलग होती है। फरवरी, मई, सितंबर और दिसंबर में आयोजित होने वाली मैट एक्जाम में तगड़ा कॉम्पिटिशन है। पिछली बार की मैट एक्जाम में भाग लेने वाले स्टूडेंट्स को 250 से ज्यादा मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट/यूनीवर्सिटी ने दाखिला दिया।
कैसा रहेगा इस बार मैट- पिछले बार के पेपर पैटर्न को देखते हुए संभावना है कि इस बार भी मैट पिछली बार की तरह ही रहेगा। पिछले साल मई का पेपर मैट की परंपरा से बिलकुल अलग रहा था। इस पेपर में न तो सेक्शन थे और न ही कठिन प्रश्न पूछे गए। जिनके बेसिक कॉन्सेप्ट क्लीयर थे, उनके लिए यह मैट मई 2007 बेहद सरल साबित हुआ।
मैट टेस्ट पाँच भागों में विभाजित होता है। लैंग्वेज कॉम्प्रहेनशन, मैथेमेटिकल एप्टिट्यूट, इंटेलिजेंस एंड क्रिटिकल रीजनिंग, डाटा एनालिसिस एंड सफिशिएंसी और इंडियन एंड ग्लोबल इंवायरमेंट। सभी सेक्शन अनिवार्य होते हैं और पहले चार सेक्शनों की स्कोरिंग ही मानी जाती है। पाँचवें सेक्शन का स्कोर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट और यूनीवर्सिटी अपनी शर्तो पर स्वीकार करती हैं।
लैंग्वेज कॉम्प्रहेनशन- इस सेक्शन से मौटे तौर पर कुल 20 प्रतिशत प्रश्न पूछे जाते हैं। इस सेक्शन में रीडिंग कॉम्प्रहेनशन और इंग्लिश यूज से प्रश्न होते हैं। इनमें भी 40 प्रतिशत रीडिंग कॉम्प्रहेनशन और 60 प्रतिशत इंग्लिश यूज से प्रश्न पूछे जाते हैं।
मैथेमेटिकल स्किल्स- मैथेमेटिकल स्किल्स में अर्थमेटिक और ज्यामेट्री/मेंशुरेशन से प्रश्न पूछे जाते हैं। यूँ तो इस सेक्शन में निश्चित मापदंड नहीं है, लेकिन फिर भी मौटे अनुमान के मुताबिक मैथेमेटिक्स सेक्शन में अधिकांश प्रश्न अर्थमेटिक से पूछे जाते हैं।
डाटा एनालिसिस एंड सफिशिएंसी- इस सेक्शन में डाटा सफिशिएंसी, लॉजिकाल रीजनिंग, डाटा इंटरपिटेशन और डाटा कम्पेरीजन एंड कॉम्प्रोमाइज से 20 प्रतिशत पेपर बनता है।
इंटेलिजेंस एंड क्रिटिकल रीजनिंग- इंटेलिजेंस एंड क्रिटिकल रीजनिंग सेक्शन का पूरे पेपर में 20 प्रतिशत योगदान रहता है। नंबर सिस्टम, अर्सेशन टाइप, एनालिटिकल रीजनिंग, लॉजिकल रीजनिंग और डाटा एनालिसिस इस सेक्शन के मुख्य भाग हैं। इस सेक्शन के लिए विशेष तैयारी करनी होती है।
जनरल अवेयरनैस- यह मैट का पाँचवाँ सेक्शन है, जिसमें व्यापार जगत के सवाल, उत्पादों की पंच लाइन और अन्य इसी तरह के प्रश्न होते हैं। हालाँकि यह सेक्शन स्कोरिंग में शामिल नहीं होता है, लेकिन इसे अनदेखा करने की भूल नहीं करनी चाहिए। कुछ मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट और यूनीवर्सिटी इस सेक्शन के स्कोर पर ध्यान देती हैं। यह सेक्शन अपेक्षाकृत आसान होता है और इसमें स्टूडेंट्स को अधिकतम प्रश्न हल करने चाहिए।
मैट के लिए खास टिप्स-
1. मैट का कैट की अपेक्षा आसान है। अगर कैट में आप रुक गए हैं तो एक साल और इंतजार करने से बेहतर है कि मैट के जरिये किसी अच्छे मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट में दाखिला ले लिया जाए।
2. मैट में सेक्शन नहीं होते, लेकिन इसके प्रश्न इसके पैटर्न के मुताबिक वर्गीकृत होते हैं।
3. मैट का स्कोर सीईटी महाराष्ट्र में भी स्वीकार्य है। यह सुविधा महाराष्ट्र से बाहर रहने वाले स्टूडेंट्स के लिए है।
4. हालाँकि जनरल अवेयरनैस मैट का ही भाग है, लेकिन इसे ओवरऑल स्कोरिंग का हिस्सा नहीं माना जाता।
5. मई और सितंबर माह तक ज्यादातर इंस्टिट्यूट और यूनीवर्सिटी अपनी प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर चुकी होती हैं, इसलिए दिसंबर और फरवरी में होने वाली मैट पर खास ध्यान होना चाहिए।
साभार- पीटी एजूकेशन