- नरसिंह कुण्डलवाल
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने तथा शिक्षा की व्यावसायिकता को रोकने एवं शिक्षा को धंधा बनाने वालों के लिए 10वीं बोर्ड को लोकल बोर्ड बनाने को कहा है जिसका कि कोई महत्व नहीं है।
पूरे देश में केवल 12वीं को बोर्ड बनाने का प्रस्ताव करना शिक्षा जगत के लिए सराहनीय कदम है। श्री सिब्बल स्वयं एक कानूनविद् होकर एक होनहार राजनीतिज्ञ हैं।
वर्तमान में कई प्रांतों के कई शहरों में जगह-जगह बोर्ड परीक्षा के दफ्तर खुल गए हैं, जो विद्यार्थियों को बड़े-बड़े लालच देकर तथा ऊँचे-ऊँचे सपने दिखाकर अच्छे नंबरों से पास करवाने के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं तथा उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करके उनके जीवन को अंधकारमय बना रहे हैं।
परीक्षा में असफल होने पर विद्यार्थी को दोषी बताते हैं और दूसरे बोर्ड से परीक्षा दिलवाने का आश्वासन देकर टाल देते हैं जिससे कि विद्यार्थी आत्मग्लानि के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। यदि देशभर का एक ही बोर्ड रहेगा तो इससे सभी विद्यार्थी एक जैसा अभ्यास कर सकेंगे और देश में कहीं भी उसे रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
अलग-अलग बोर्ड होने के कारण अभ्यास की किताबें भी अलग-अलग हैं जिसे इसके बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण परीक्षा पास करने के बाद भी व्यक्ति बेरोजगार है। जबकि एक बोर्ड व एक ही कोर्स की शिक्षा प्रणाली से रोजगार के अवसर खुलेंगे व बेरोजगारी खत्म होगी।
शिक्षा को धंधा बनाने की प्रवृत्ति समाप्त होगी। वैसे भी अलग-अलग बोर्ड शिक्षा के नियम के पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। इस प्रस्ताव से शिक्षा में एकरूपता आएगी व शिक्षा के नाम पर ठगी बंद होगी।