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रिक्त पद भरे जाएँगे पुलिस विभाग में

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- अशोक सिंह

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देश की कुल आबादी के मद्देनजर जनसंख्या और पुलिसकर्मियों का अनुपात अत्यंत कम है। इसमें बढ़ोत्तरी करने का मुद्दा 13वें वित्त आयोग के समक्ष रखा जा चुका है। अगर यह स्वीकार कर लिया जाता है तो भविष्य में काफी बड़ी संख्या में थाने ही नहीं खुलेंगे बल्कि पुलिसकर्मियों की भर्ती भी बड़े पैमाने पर की जा सकती है।

खेलों और अन्य शारीरिक बल आधारित स्पर्धाओं में दम-खम दिखाने को आतुर युवाओं के लिए भविष्य निर्माण हेतु सेना, अर्द्धसैन्य बलों और पुलिस विभागों में अवसरों की कमी नहीं है। आतंकवाद और कानून-व्यवस्था की समस्या से जूझ रहे समूचे देश में आम जनता के दिमाग से खौफ का माहौल निकालने के लिए प्रशासनिक स्तर पर पुलिस बल को मजबूत करने की नीति का ही प्रायः सरकारी स्तर पर अनुसरण किया जाता है। केंद्र ही नहीं, विभिन्न प्रादेशिक सरकारों के स्तर पर भी इस प्रकार की नीतियों के क्रियान्वयन हेतु बड़ी मात्रा में वित्तीय प्रावधान किए जाते हैं। जाहिर है, इस प्रकार की नियुक्तियों से देश के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों का बड़े पैमाने पर सृजन होता है।

इस बारे में यह गौरतलब है कि समूचे देश में वर्तमान में 2 लाख 30 हजार से अधिक स्वीकृ त पद विभिन्न राज्यों के पुलिस विभागों में खाली पड़े हैं। लंबे समय से खाली पड़े इन पदों को नहीं भर पाने के पीछे कभी वित्तीय संसाधनों का अभाव तो कभी अन्य प्रकार के राजनीतिक बहाने दिए जाते हैं लेकिन देश में हाल की नक्सली हिंसा और आतंकवाद की घटनाओं के कारण गृह मंत्रालय द्वारा न सिर्फ इन रिक्त पदों को भरने संबंधी निर्देश समस्त राज्यों को दिए गए हैं बल्कि नए पदों के सृजन पर भी गंभीरतापूर्वक विचार किया जा रहा है।

दसवीं से लेकर ग्रेजुएट युवक और युवतियों के लिए पुलिस संगठन से संबंधित विभिन्न पदों पर काम करने के मौके हो सकते हैं बशर्ते कि वे चयन प्रक्रिया की विभिन्न बाधाओं में सफल हों। चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा के अलावा अन्य शारीरिक मानदंडों पर खरा उतरना आवश्यक होता है। इसके अलावा शारीरिक क्षमताओं की जाँच दौड़, लॉन्‍ग जंप, हाई जंप व अन्य तौर-तरीकों से की जाती है। जाहिर है, कमजोर अथवा दुर्बल युवाओं के लिए इनमें सफल होना आसान नहीं होता है हालाँकि थोड़े समय के अभ्यास करने भर से निर्धारित जाँच में सफल होना मुश्किल नहीं होता है। वेतनमान और अन्य परिलब्धिओं की दृष्टि से पुलिस सेवा में पहले की भाँति अत्यंत न्यूनतम आय जैसी स्थिति अब नए वेतनमानों के लागू होने के बाद नहीं रह गई है। इसके अलावा सरकारी आवास तथा अन्य भत्ते भी मिलते रहते हैं।

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अपराधकर्मियों द्वारा अत्याधुनिक अस्त्रों के प्रयोग और अब सायबर क्राइम जैसे हथकंडों को अपनाने के कारण पुलिसकर्मियों को इनसे निपटने हेतु ड्यूटी से पहले पर्याप्त प्रशिक्षण भी दिया जाता है। बाद में वे अपने काम और विभागीय परीक्षाओं को पार करते हुए प्रोन्नति के नए शीर्ष को छू सकते हैं। गृह मंत्रालय के आँकड़ों पर अगर नजर दौड़ाएँ तो देश में पुलिसकर्मियों के फिलहाल 17,46,215 पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से मात्र 14,20,885 पद ही भरे हुए हैं तथा शेष रिक्त पदों पर भर्ती का मामला लंबे समय से लंबित है।
इस समय देश में कुल 13,057 थाने हैं। इनमें से 8290 गाँवों में है। कुल 7535 पुलिस चौकियों में से 43731 ग्रामीण इलाकों में हैं। हालाँकि देश की कुल आबादी के मद्देनजर जनसंख्या और पुलिसकर्मियों का अनुपात अत्यंत कम है। इसमें बढ़ोत्तरी करने का मुद्दा 13वें वित्त आयोग के समक्ष रखा जा चुका है। अगर यह स्वीकार कर लिया जाता है तो भविष्य में काफी बड़ी संख्या में थाने ही नहीं खुलेंगे बल्कि पुलिसकर्मियों की भर्ती भी बड़े पैमाने पर की जा सकती है।

ऐसे युवा जो किन्हीं कारणवश सशस्त्र सेना की नियुक्ति प्रक्रिया में स्थान नहीं प्राप्त कर सके या मन के किसी कोने में इस प्रकार का ख्वाब पाले हुए हैं, उनके लिए निश्चित रूप से यह एक अहम मौका होगा कि वे पुलिस सेवा में भर्ती हो सकें। यह समस्त प्रक्रिया आगामी महीनों में विभिन्न राज्यों में शुरू होने की उम्मीद की जा सकती है।

इच्छुक युवाओं को चाहिए कि वे इस बाबत अभी से तैयारियाँ शुरू कर दें ताकि चयन प्रक्रिया से पूर्व उन्हें पर्याप्त अवसर मिल सके खासतौर से लिखित परीक्षा और शारीरिक जाँच हेतु स्वयं को तैयार करने का। विभिन्न वेबसाइटों और गाइडों से इस बारे में विस्तृत एवं उपयोगी जानकारियाँ हासिल की जा सकती हैं। रोजगार समाचार के पिछले अंकों में भी इस आशय की भर्ती संबंधी सूचनाएँ मिल सकती हैं।

इसी क्रम में बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और अन्य अर्द्ध सैन्य बलों की भर्ती प्रक्रिया में भी हिस्सा ले सकते हैं। इनकी रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया से संबंधित विज्ञापन आए दिन विभिन्न समाचारपत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।

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