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रेडियो जॉकी : एफएम तरंगो में करियर

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राहुल मिश्रा

भारत में टीवी आने के बाद रेडियो की घटती लोकप्रियता से किसी ने सोचा भी न था कि मिलेनियम की शुरुआत में रेडियो फिर से लोगो का पसंदीदा मनोरंजन का साधन बन जाएगा। यह कर दिखाया एफएम ने। आज हर जगह रेडियो मिर्ची, रेडियो सिटी, रेड एफएम, एआईआर एफएम, रेडियो मंत्रा जैसे चैनल की धूम है। जिस रफ्तार से नए-नए एफएम चैनल की संख्या बढ़ रही है, उसी गति से इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं में भी इजाफा हो रहा है।

जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन्स के निदेशक सत्य प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि साल के अंत तक लगभग एक सौ चालीस से अधिक नए एफएम चैनल आने की उम्मीद है। इस संभावना को देख युवाओं में एफएम में करियर चुनने का उत्साह बढ़ रहा है। जबकि एक चर्चित एफएम चैनल की मीडिया सलाहकार नेहा कौशिक ने बताया कि 300 करोड़ का एफएम व्यापार 2010 तक 1200 करोड़ का हो जाएगा। जिससे साफ है कि यह उभरता क्षेत्र भी आपको कामयाब व्यक्तियों की गिनती में शामिल कर सकता है।

आज का रेडियो सरकार की बंसी न हो कर केवल मनोरंजन का साधन बन गया है। और शायद यही वजह है कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इसके दीवाने हो गए हैं और इस पर होस्ट करने वाले रेडियो जॉकी हर उम्र के लोगो का दोस्त बन चुका है।

मुख्य अवसर- एफएम में कॅरियर को मुख्यतया दो भागों में बाँटा जा सकता है, प्रोगामिंग एवं सेल्स।

प्रोग्रामिंग सेक्टर के दो अंग है पहला प्रोड्यूसर, और दूसरा रेडियो जॉकी। एफएम में जो भी आप सुनते वह इन दोनों के काम का परिणाम होता है। प्रोड्यूसर का वर्किंग प्रोफाईल रेडियो जॉकी द्वारा बोलने वाले वाक्यों को लिखना होता है। इसके अलावा कार्यक्रमों के बनाने की जिम्मेदारी भी इनकी ही होती है। प्रोड्‍यूसर बनने के लिए आपको भाषा का अच्छा ज्ञान होने के साथ आज की युवापीढ़ी द्वारा बोली जाने वाली आम शब्दावली की भी समझ होनी चाहिए। वर्तमान जीवन शैली को सरल ढंग से कहने की कला आनी चाहिए और जॉकी के काम से तो सभी परिचित है। अपनी मनमोहक आवाज से प्रोड्यूसर द्वारा लिखे गए वाक्यों को भावानुसार पढ़ना।

रेडियो जॉकिंग उन जुझारू युवाओ के लिए चुनौतीभरा करियर है, जिनका शौक और जुनून केवल संगीत ही है। रेडियो जॉकिंग एकमात्र ऐसा कार्यक्षेत्र है जिसमे आपकी पहचान आपकी आवाज होती है। गाने सुनाना व बड़ी से बड़ी बात को आकर्षक व सरल तरीके से श्रोताओं तक पहुँचाना ही सफल आरजे का कार्य है। श्रोताओं की विशेष माँग पर गाने बजाना व चर्चित हस्तियों से साक्षात्कार करना व संगीत, मौसम व यातायात संबंधित सूचनाएँ देना भी इनके कार्यक्षेत्र में आता है। रेडिया जॉकी ही एक ऐसा शख्स होता है जो एक रेडियो स्टेशन को बुलंदियो पर पहुँचा सकता है या फिर उस एफएम चैनल को गर्दिश की धूल चटा सकता है।

इस क्षेत्र के लिए उन युवाओं के लिए विशेष मौके हैं, जिनकी सोच आधुनिक व कल्पनाशक्ति असीमित है और वे स्वयं में स्फूर्तिवान हों। देखा गया है कि प्रत्येक आरजे का अंदाज अलग होता है। श्रोताओ के दिलो पर अपनी छाप छोड़ने के लिए एक आरजे के पास अच्छी आवाज के साथ ही दोस्ताना स्वभाव व हाजिरजवाबी की कुशलता भी होनी चाहिए। अगर आपमे आरजे बनने का जुनून है तो आप एफएम ज्यादा से ज्यादा सुने और रेडियो संबंधित नए-नए कार्यक्रम बनाने का प्रयास करें।

रेडियो जॉकी को भाव के अनुसार आवाज के उतार-चढ़ाव का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। आज का रेडियो भी समाचार पत्र और टेलीविजन की तरह हो गया है अर्थात अगर रेडियो की भाषा श्रोता के पसंद की नहीं है तो श्रोता तुरंत चैनल बदल देता है। अतः एक चालाक जॉकी को श्रोता के टेस्ट का ज्ञान होना चाहिए।

योग्यता- योग्यतापरक क्षेत्र होने के कारण रेडियो जॉकी या प्रोड्यूसर लिए कोई विषेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है। केवल किसी भी संकाय में स्नातक होना अनिवार्य है। अगर आपने किसी संस्थान से प्रशिक्षण लिया है तो आपको वरीयता मिल सकती है।

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान-

जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन्स, नोयडा
ईयान स्कूल ऑफ मास कम्यूनिकेशन्स, नई दिल्ली
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मास मीडिया, नई दिल्ली

वेतनमान- कार्पोरेट सेक्टर होने के कारण आप चाहे सेल्स में हो या प्रोग्रामिंग में आपका प्रारंभिक वेतनमान 8000 रुपए से 15000 रुपए प्रतिमाह के मध्य रहता है। और अनुभव के साथ साथ वेतन में बढ़ोत्तरी भी होती जाती है। राजधानी में कामयाब आरजे औसतन 25000 रुपए प्रतिमाह कमा रहे हैं। जबकि सेमी मैटो के आरजे 15000 रुपए प्रतिमाह पा रहे हैं। तकनीकी जॉब के लिए आपको मार्केटिंग रणनीति और ब्रांड की अच्छी समझ होनी चाहिए।

एफएम का कार्यक्षेत्र तीन चरणों में बँटा होता है-

प्लानिंग या प्री-प्रोडक्शन- इस सेक्टर में कार्यक्रम चुनकर प्रोड्यूसर को सौपना, फाईनेंस कंट्रोलर, विज्ञापन के लिए एअरटाईम की मार्केटिंग और अन्य स्टेशनों के लिए कार्यक्रम बनाना शामिल है। कार्यक्रम सेलेक्ट होने के बाद शोध, पटकथा लेखन और सूचनाओं को एकत्र करना भी प्री-प्रोडक्षन का कार्य है।

प्रोडक्शन- इसकअंतरगर्त पूरी एफएम प्रोग्रामिंग आती है। डायरेक्टर की पूरी टीम कार्यक्रम को विजुलाईज एवं कांसेप्टुलाईज करती है। कलाकारो का चयन एवं लोकेशन की व्यवस्था, प्रस्तुतिकरण, एंकरिंग व रिकॉर्डिंग करवाना इत्यादि। इस सेक्टर में प्रोडक्शन असिस्टेंट, एग्जेक्यूटिव, साउंड रिकार्डिंग तकनीशियनों की अनुभवी टीम काम करती है।

पोस्ट प्रोडक्शन- इसमे रिकार्ड मैटेरियल को एडिट करना। साउंड इफेक्ट के जरिए कार्यक्रम को अंतिम रूप दे उसे एअर करना होता है।

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