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सफल पीआरओ बनने का मूलमंत्र

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हमें फॉलो करें पीआरओ दिलीप चेरियन
- दिलीप चेरिय

अब से पाँच साल पहले तक भारत में पीआर के बारे में लोग ज्यादा कुछ जानते नहीं थे, लेकिन जब से भारतीय अर्थव्यवस्था ने करवट बदली और इसने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की खोल उतारकर बाजारोन्मुखी अर्थव्यवस्था का जामा पहना और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ कदमताल करना आरंभ किया, पीआर का क्षेत्र अचानक विकास की सीढ़ियों पर छलाँगें लगाने लगा।

कार्पोरेट भारत और भारत में प्रवेश करने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक संगठनों दोनों में बाहरी जनसंपर्क अधिकारियों अर्थात पीआर की माँग बढ़ने लगी। नतीजतन पीआर प्रोफेशनल के रूप मेंकरियर बनाने वालों की होड़ लग गई। ऐसी बात नहीं है कि जनसंपर्क के क्षेत्र का यह ज्वार क्षणिक है, विशेषज्ञों का मानना है कि अगले दस वर्षों तक यह सिलसिला यूँ ही जारी रहेगा यानी कि पीआर की माँग बढ़ती रहेगी।

यदि पीआर के प्रोफेशनल की बढ़ती माँग का आकलन किया जाए तो पता चलेगा कि इसके मुकाबले अन्य दूसरा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें इतनी तेजी से करियर निर्माण के अवसर बढ़े हों। पीआर के रूप में करियर निर्माण के मामले में यदि इसकी द्रुतगामी माँग को छोड़ भी दिया जाए तो भी यह क्षेत्र इतना संभावनाओं से परिपूर्ण है कि यह व्यक्तिगत प्रगति का अचूक वादा करता है।

जिन लोगों ने पीआर के क्षेत्र में प्रतिबद्धता दिखाई है, उन्हें इसके अनुरूप पुरस्कार भी मिला है। यदि कोई इस क्षेत्र की आवश्यकताओं को सीखने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखता है और जॉब करते हुए अथवा औपचारिक प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से प्रशिक्षण लेता है तो उसके लिए बतौर पीआर एक सफल करियर निर्माण करना कोई मुश्किल काम भी नहीं है।

इस कार्य के लिए क्या शैक्षणिक योग्यता होना चाहिए?
1. वैसे तो किसी भी विषय में अच्छी डिग्री से काम चल जाएगा, क्योंकि इसके लिए किसी विशेष डिग्री को नहीं देखा जाता है। हमने पाया है कि जनसंपर्क अथवा जनसंचार की डिग्री से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है और न ही इससे कोई खास मदद ही मिलती है।

2. पीआर के रूप में करियर आरंभ करने से किसी तरह के पूर्ववर्ती अनुभव की आवश्यकता भी नहीं होती है।

3. यदि किसी को यह जानकारी हो कि भारत में मीडिया कैसे काम करता है तो उसके लिए यह एक पूँजी के समान होगा और यदि उसके मीडिया में संबंध है तो यह उसकी योग्यता में पंख लगा देगा।

4. प्रवेश स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति जागरूकता लाभप्रद हो सकती है, लेकिन उच्च स्तर पर इसका ज्ञान एवं जानकारी होना अपेक्षित ही नहीं, बल्कि आवश्यक योग्यता मानी जाती है।

5. पब्लिक रिलेशन में उच्च जॉब के लिए अच्छे व्यवसाय प्रक्रियाओं को अपनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी सहित महत्वपूर्ण उद्योगों के साथ-साथ उनके द्वारा भारत में जिन चुनौतियों का सामना किया जा रहा है, उनकी जानकारी कोर्स के समतुल्य है।

6. चूँकि अँगरेजी सारे दुनिया के व्यवसाय की भाषा है, इसलिए हम चाहते हैं कि हमारे लोगों में अँगरेजी लिखने तथा बोलने का माध्यम से लेकर उच्च स्तरीय प्रावीण्यता हो। फ्रेंच, स्पेनिश, जापानी या अन्य किसी विदेशी भाषा का ज्ञान सोने पर सुहागा माना जाएगा।

यह ध्यान में रखें कि जनसंपर्क का अर्थ केवल लोगों से मेल-मुलाकात करना या समाज से जुड़ने का कौशल ही नहीं है, इसमें त्वरित विश्लेषण करने, मसविदा तैयार करने तथा नए कोर्स से अनुसंधान करने की कला भी आवश्यक है। हम ऐसे लोग चाहते हैं, जो लीक से हटकर सोच सकें तथा विषय की जड़ तक पहुँच सकें। पीआर के रूप में सफलता का एक मूलमंत्र यह भी है कि चुनौतियों से जितनी जल्दी हो सके, उबरकर ऊपर उठा जाए और उसका माकूल जवाब देते हुए जनसंपर्क की राह में आगे बढ़ा जाए।

(लेखक परफेक्ट रिलेशंस के कंसलटिंग पार्टनर हैं। आप बिजनेस इंडिया तथा ऑर्ब्जवर समाचार-पत्र के पूर्व संपादक होने के साथ चर्चित स्तंभकार तथा जाने-माने व्यवसाय विश्लेषक हैं।)

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

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