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होटलों में शेफ की बढ़ी माँग

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- अशोक सिंह

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पंचसितारा होटलों से लेकर नामी रेस्तराओं तक में इस वक्त अच्छे शेफ पाने की होड़ लगी है। किसी भी होटल समूह की पहचान बनाने में महज आरामदायक माहौल, उपलब्ध सुविधाओं और ग्लैमर की ही भूमिका नहीं होती है। इसके अलावा जायकेदार, देसी-विदेशी व्यंजनों की उपलब्धता, स्पेशल खान-पान और स्वादिष्ट भोजन का भी हाथ होता है होटल के नाम को चमकाने में।

अमूमन होटलों की भव्यता और आलीशान तड़क-भड़क की आड़ में इस महत्वपूर्ण आयाम को नजरअंदाज कर दिया जाता है। कई बार तो होटलों की पहचान ही उनके जायकेदार व्यंजनों से होती है। इस छवि को बनाने में सिर्फ और सिर्फ होटल के शेफ और खान-पान विभाग की ही अहम भूमिका होती है।

अगर सच मानें तो देश-विदेश में शेफ की माँग निरंतर बढ़ रही है और नामी होटल समूहों में एक-दूसरे के शेफ को हथियाने की होड़ तेजी पकड़ती जा रही है। इसी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि माँग की तुलना में कहीं कम संख्या में शेफ की उपलब्धता के कारण ज्यादा वेतन और भत्तों के लालच में ये बहुत जल्दी-जल्दी नौकरियाँ बदलते रहते हैं।

ऐसे में कम समय में मुँहमाँगा वेतन हासिल करना अब इस पेशे से जुड़े दक्ष लोगों के लिए बड़ी बात नहीं रह गई है। इसी आपाधापी का नतीजा है कि प्रायः होटलों के किचन में कुक तो बड़ी संख्या में नजर आ जाते हैं पर शेफ इक्का-दुक्का ही दिखाई पड़ते है। विशेषतौर पर फाइव स्टार होटलों को इस परेशानी का ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। इस इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के अनुसार लग्जरी होटलों के किचन स्टाफ का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा हर दो महीने में बदल जाता है।

इसमें भी जूनियर स्तर। (कॉमिस स्तर के पद) और शेफ के पोर्ट (सुपरवाइजर स्तर ) के पदों पर यह दर और ज्यादा देखी जा सकती है। ब्रांडेड शेफ बनने के बाद तो वेतनमान का स्तर आकाश को छूने लगता है और विदेशी महंगे होटलों तक में इनके लिए रोजगार पाना मुश्किल नहीं रह जाता है।

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ऐसा नहीं कि देश में होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग ट्रेनिंग के संस्थान नहीं हैं या युवाओं का ध्यान कुकरी की ओर से विमुख हो चुका है। लेकिन यह सत्य है कि इनमें से अधिकांश युवा इतना धैर्य नहीं रख पाते कि वे स्वयं को इस दिशा में दक्ष बनाएँ और अपनी पाक कला को निखार सकें। इसका नतीजा उनके द्वारा अपने प्रोफेशन को बदलने के रूप में सहजता से देखा जा सकता है। शेफ प्रोफेशनल्स की कमी के पीछे कई और कारण भी गिनाए जा सकते हैं।

इनमें शिपिंग इंडस्ट्री द्वारा मोटे वेतनमानों पर नामी शेफ को बड़ी संख्या में आमंत्रित करना, रेस्तरां समूहों का देश-विदेश में विस्तार करना और शेफ प्रोफेशनल्स द्वारा अपने नाम को कैश करते हुए ब्रांडेड फूड जायंटस की शुरुआत करना इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है। इसका लाभ ग्राहकों को कहीं कम रेट पर नामी शेफ के विशिष्ट व्यंजनों की उपलब्धता सुनिश्चित होने के रूप में मिलता है तो दूसरी ओर रेस्तरां समूहों को इन शेफ के नाम पर ग्राहकों को बड़ी संख्या में आकर्षित करने के तौर पर फायदा होता है।

विशेषज्ञों द्वारा यह भी बताया गया है कि प्रत्येक वर्ष इस प्रकार की डिग्री पाने वाले युवाओं में से मात्र 10 प्रतिशत ही कुशल की श्रेणी में रखे जा सकते हैं और 25 प्रतिशत कामचलाऊ। जबकि शेष 65 प्रतिशत क्वालिटी की दृष्टि से किसी योग्य नहीं होते हैं। यही कारण है कि पास होने वाले अधिकांश युवा करियर निर्माण के लिए अन्य प्रोफेशनों की ओर सहज आकर्षित हो जाते हैं।

फिक्की द्वारा हाल में जारी एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार आगामी वर्षों में फाइव स्टार होटलों की तेजी से बढ़ती संख्या के कारण होटल इंडस्ट्री के तमाम अन्य प्रोफेशनल्स के साथ शेफ की भी मांग में बढ़ोतरी होगी।

सर्वे के अनुसार इस समय विभिन्न मेट्रोपोलिटन शहरों में 100 से अधिक फाइव स्टार होटलों के निर्माण का कार्य जोरों पर है। इनमें मुंबई (19 होटल), दिल्ली (27 होटल), चेन्नई (14 होटल) तथा बेंगलुरु (27 होटल) का नाम खासतौर से लिया जा सकता है। तो ऐसे युवा जिनकी दिलचस्पी कैटरिंग, व्यंजन बनाने, विशिष्ट डिश तैयार करने अथवा इंडियन-कॉण्टिनेंटल-चाइनीज तथा अन्य इंटरनेशनल पकवान बनाने में है उनके लिए शेफ का प्रोफेशन निश्चित रूप से एक बेतरीन कॅरिअर विकल्प सिद्ध हो सकता है।

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