विज्ञान और अंधविश्वास की जंग हमेशा से ही होती रही है। 'मानो या न मानो' के आधार पर यह विषय हमेशा से ही विवादास्पद रहा है। भूत, डरना मना है, वास्तुशास्त्र आदि डरावनी फिल्में बना चुके रामू की फिल्म 'फूँक' अंधविश्वास और काले जादू पर आधारित है। इस नए विषय को लेकर फिल्म बनाने वाले निर्देशक रामगोपाल वर्मा से वेबदुनिया की हुई भेंटवार्ता के कुछ महत्वपूर्ण अंश।प्रश्न :- आपकी फिल्म 'फूँक' की कहानी में क्या खास है? उत्तर :- 'फूँक' काले जादू पर आधारित एक फिल्म है। काले जादू में आज भी कई लोग यकीन करते हैं। यदि आपसे किसी को दुश्मनी है तो वो आपको मारने या नुकसान पहुँचाने के लिए इस प्रकार के जादू-टोने का उपयोग करता है। कुछ लोग सामने से तथा कुछ लोग पीठ पीछे किसी का बुरा करने के लिए इस काले जादू का उपयोग करते हैं। फिल्म 'फूँक' की कहानी में भी अंधविश्वासों पर यकीन न करने वाला आदमी है लेकिन उसके साथ ऐसी घटना घटित होती है, जिससे वह सकते में आ जाता है। विज्ञान और डॉक्टर भी इस बारे में कुछ भी सफाई नहीं दे पाते हैं। प्रश्न :- आपकी 'काले जादू' के बारे में क्या राय है? क्या हकीकत में ऐसी कोई अदृश्य शक्ति होती है?उत्तर :- मेरी फिल्म यह नहीं कहती कि अंधविश्वास या काला जादू सही है या गलत। जिसके साथ या उसके किसी पड़ोसी या रिश्तेदार के साथ कोई ऐसी अजीबोगरीब घटना होती है तो वह इस पर विश्वास करने लगता है और जिसके साथ ऐसा नहीं होता है वह इसका विरोध करता है। यह तो मानो या न मानो वाली बात है।
प्रश्न :- आपने अपनी फिल्म के लिए इसी विषय को क्यों चुना?
उत्तर :- काले जादू पर अब तक किसी ने फिल्म नहीं बनाई है। यह विषय नया है और मैं इस पर ऐसी फिल्म बनाना चाहता था, जिसे देखने वाले हर व्यक्ति को लगे कि यह सब कुछ मेरे परिवार के साथ हो रहा है। इस फिल्म का विषय ऐसा है जिस पर काफी वाद-विवाद और बहस की जा सकती है। मेरे अनुसार यह बहुत ही अच्छा विषय है।
प्रश्न :- इस फिल्म में नए कलाकारों को लेने की वजह?
उत्तर :- कलाकारों का चयन मैं फिल्म की कहानी के मुताबिक करता हूँ। ‘फूँक’ में मुझे ऐसे कलाकार चाहिए थे, जिनकी कोई इमेज न हो। जिन्हें ज्यादा दर्शक न जानते हों। इसलिए मैंने ‘फूँक’ में नए कलाकारों को लिया है।