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अरविंद केजरीवाल : कालसर्प योग से परेशान

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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अरविंद केजरीवाल का जन्म हरियाणा के हिसार में 16 अगस्त 1968 को कर्क लग्न मेष राशि कृतिका नक्षत्र में हुआ। अरविंद ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान शुरू किया।

अरविंद केजरीवाल की नाम राशि व जन्म राशि एक ही है। नक्षत्र स्वामी सूर्य, कर्क यानी चन्द्र की राशि में होकर पंचम (विद्या व बुद्धि) के मालिक मंगल के साथ है। मंगल जहां साहस का प्रतीक है, वह नीच भंग का होकर राशि परिवर्तन भी कर रहा है। यही वजह है कि अरविंद में अपार साहस व ऊर्जा है। कर्क लग्न वाले जातक भावुक प्रवृत्ति के होते हैं।

दशम (राज्य भाव) का स्वामी नीच का होकर लग्न में है। मंगल का नीच भंग अरविंद को राजनीति में प्रभावशाली बनाएगा।
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नवम भाव (भाग्य) का स्वामी गुरु द्वितीय भाव (वाणी) में चतुर्थेश शुक्र व तृतीयेश बुध के साथ है और इस कारण से अरविंद की वाणी से निकला एक-एक शब्द तीर के समान विरोधी पार्टी को लगता है।

अरविंद के बयान ईमानदारी से जुड़े होते हैं, अत: दूसरे उसे नकार देते हैं। लेकिन जनता भाव का स्वामी शुक्र वाणी भाव में है। जो गुरु के साथ-साथ पराक्रमेश बुध के साथ है इसी वजह से अरविंद खुलकर चैलेंज भी करते हैं।

केतु के मध्य सारे ग्रह होने पर अरविंद को पूरी तरह आम जनता का साथ नहीं मिल पा रहा है।

अरविंद के जन्म के समय शनि नीच का है, लेकिन वक्री होने से शनि का फल उत्तम रहेगा। वैसे भी मंगल लग्न में होने से शनि का नीच भंग योग होता है। अगर जनता का अरविंद को भरपूर सहयोग मिल जाए तो निश्चित ही देश की काया पलट जाए। लेकिन कालसर्प योग बाधा देता है। ऐसे लोग अपने जीवन को अपने कार्यों से विशेष बना लेते हैं।

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