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एकता को ग्रहों ने बनाया निर्माता

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हमें फॉलो करें ग्रह स्टार निर्माता एकता कपूर
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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

प्रसिद्ध सुपर स्टार जितेंद्र की पुत्री व मेगा सीरियल निर्माता सुपर स्टार एकता कपूर का जन्म 7 जून 1975 को मुंबई में धनु लग्न वृश्चिक नवांश में हुआ। धनु लग्न वाले जातक मध्यम कद काठी के होते हैं। लग्न पर शनि की शत्रु दृष्टि व लग्नेश गुरु को दशम दृष्टि से देखने के कारण एकता मध्यम कद की, स्थूल शरीर होने के साथ ही साथ उनकी सुंदरता में भी कुछ कसर रह गई है।

धनु लग्न गुरु प्रधान है इसकी दूसरी राशि चतुर्थ भाव में होती है। चतुर्थ भाव जनता, परिवार, कुर्सी से संबंध रखता है। चतुर्थेश यदि बलवान हो तो जनता, भूमि, परिवार की ओर से सुख मिलता है व जातक जनता के बीच प्रसिद्ध होता है। गुरु, धर्म, न्याय पृथक्करण का कारण है।

आपकी पत्रिका में गुरु लग्नेश होकर सुख चतुर्थ भाव में है, वहीं पंचमेश मनोरंजन का कारक मंगल स्वामी द्वादशेश मंगल भी चतुर्थ भाव में गुरु की मित्र राशि में बैठा है।

यही कारण है कि आप कई पारिवारिक सीरियल्स की निर्माता हैं जिनमें 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी', 'कहानी घर-घर की', 'कसौटी--', 'कुसुम', राष्ट्रीय चैनल पर चल रहे 'कयामत' शामिल हैं। गुरु के कारण आपको अच्छी सूझबूझ मिली वहीं मंगल ने मनोरंजन के प्रति रुझान दिया। इन ग्रहों के सुखेश व चतुर्थ परिवार भाव में होने के कारण आपने पारिवारिक सीरियलों में मुकाम बनाया।

पंचमेश मंगल गुरु के पूर्ण प्रभाव में है, एक तो मंगल चतुर्थ भाव में गुरु की मीन राशि पर गुरु के साथ है, वहीं गुरु की मंगल की राशि वृश्चिक पर पूर्ण दृष्टि है। इनकी पत्रिका में शनि-मंगल का दृष्टि संबंध है जो ठीक नहीं है यही कारण है कि इनके सीरियलों में एक नायक की दो-दो पत्नियां बताई जाती हैं।

इनके सीरियल लंबे अवश्य होते हैं, लेकिन प्रेरणादायक नहीं, बल्कि ये घर फोडू मानसिकता से प्रेरित लगते हैं। कुछ भी हो शनि-मंगल का दृष्टि संबंध इनके वास्तविक जीवन में भी ठीक नहीं रहेगा। कहीं न कहीं यह योग बाधा बनेगा ही।

इनका वैवाहिक जीवन भी कुछ ठीक नहीं रहेगा। अभी उम्र के 30 वर्ष पार कर चुकी है, व 31 वें वर्ष में चल रही हैं। गोचर ग्रहों से देखा जाए तो अभी गुरु कन्या में होकर मीन राशि चतुर्थ भाव पर पूर्ण दृष्टि डाल रहा है अतः धन की कमी नहीं रहेगी। इनके सीरियलों में 'क' नाम अधिक रहता है। 'क' मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरणवाला अक्षर है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल है वहीं इनकी राशि भी मंगल प्रधान मेष है। यही कारण है कि 'क' नाम इनके लिए अधिक सफल सिद्ध हुआ।

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