बराक ओबामा अमेरिका के नवनिर्वाचित अश्वैत राष्ट्रपति के रूप में 20 जनवरी को सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले राष्ट्र की शपथ लेने जा रहे हैं। आपका जन्म 4 अगस्त 1961 को यू.एस.ए. में होनोलूलू में तुला लग्न वृषभ नंवाश में हुआ।
तुला लग्न वाले जातक इकहरे शरीर के होते है। आपके जन्म के समय लग्नेश व अष्टमेश के साथ राशि स्वामी शुक्र नवम भाग्य भाव में, बुध की राशि मिथुन में है। वहीं भाग्येश व द्वादशेश बुध दशम कर्म, राज्य भाव में एकादशेश सूर्य के साथ बुधादित्य योग लेकर विराजमान है।
बुधादित्य योग वाला जातक बुद्धिमान, प्रतिष्ठित होता है। यह योग दशम में बनने से एवं पंचमहापुरुष योग में से एक शश योग नाम का राज योग होने से आपको शक्तिशाली राष्ट्र का नायक बनने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। साथ-साथ गुरु के नीच भंग होने से व कर्मेश के उच्च होकर बैठने से इस योग को और अधिक बल मिला है।
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आपकी पत्रिका में नवमेश पंचमेश का दृष्टि संबंध, केन्द्र त्रिकोण का भी संबंध बहुत महत्वपूर्ण रहा। इतने राजयोग रखने वाला जातक राजा तुल्य या राजा होता है। अब वर्तमान की स्थिति पर नजर डालें। जानें कि इनके लिए आगे की स्थिति कैसी रहेगी। गोचर ग्रहों के संकेत तो यही कहते हैं कि ओबामा को अमेरिका की स्थिति को सुधारने में काफी वक्त लगेगा।
वर्तमान में जन्मपत्रिका से देखा जाए तो जनता, सुख, स्थानीय भूमि व कुर्सी जहाँ जातक विराजमान होता है उस भाव का भावाधिपति शनि गोचर में इनकी पत्रिका से एकादश भाव से भ्रमण कर रहा है जो कि वहाँ बैठे मंगल, राहु का असर रखेगा। मंगल आपकी पत्रिका में धन की बचत का तथा सप्तमेश दैनिक व्यवसाय का भी स्वामी है, को प्रभावित करेगा। और यही कारण है कि अमेरिका की आर्थिक स्थिति को सुधारने में उन्हें काफी समय लगेगा।
जहाँ गुरु आपकी पत्रिका में नीच का है वहीं गोचर में भी नीच का चल रहा है। राहु का भ्रमण भी गुरु से चतुर्थ भाव से होने के कारण चाण्डाल योग बना रहा है। शपथ लग्न के समय ग्रहों की स्थिति भी मिलीजुली है, चन्द्र जहाँ स्वराशि का है वहीं मंगल की अष्टम नीच दृष्टि पड़ रही है।
गुरु की उच्च दृष्टि भी होने से शासन के क्षेत्र में मिलाजुला परिणाम देखने को मिलेगा। जन्म लग्न में शनि की उच्च दशम दृष्टि तथा गोचर से भी शनि की तृतीय लग्न पर उच्च दृष्टि पड़नें से आप हर क्षेत्र में सफलता पाने में समर्थ होगें। अभी आपको गुरु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा चल रही है। गुरु इनका पराक्रमेश है तथा सूर्य एकादशेश। इस तरह पराक्रमेश व षष्टेश में एकादशेश की अर्न्तदशा होने से पराक्रम के बल पर भी लाभ की संभावना बनती है।