Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गोचर के मंगल ने जिताया धोनी को

हमें फॉलो करें गोचर के मंगल ने जिताया धोनी को
webdunia

पं. अशोक पँवार 'मयंक'

PTIPTI
किसी भी खिलाड़ी के लिए जरूरी है कि लग्नेश और भाग्येश प्रबल हो। अगर लग्नेश मंगल है ‍जो कि खेल जगत का कारक है तो अति उत्तम। महेंद्रसिंह धोनी के खाते में नई उपलब्धियाँ जुड़ना तय था, क्योंकि गोचर में मंगल वृश्चिक राशि में है और वृश्‍चिक का स्वामी मंगल है। इस तरह मंगल स्वग्रही कहलाता है।

मंगल ग्रहों में सेनापति माना जाता है इस तरह यह अत्यंत पराक्रमी और आत्मविश्‍वासी बनाता है। 7 जुलाई 1981 को जन्में महेंद्रसिंह धोनी की चंद्र कुंडली में गजकेसरी योग भी उन्हें जुझारू और नेतृत्व क्षमता से धनी बनाते हैं। पहले ट्वेंटी-20, फिर एकदिवसीय क्रिकेट में फतह और अब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जैसी प्रतिष्ठित श्रृंखला में विजयश्री हासिल होना राँची के इस राजकुमार के बुलंद सितारों की बानगी आसानी से पेश करते हैं।

दक्षिण अफ्रीका में ट्‍वेंटी-20 विश्व कप में पाकिस्तान की टीम को हराकर विश्व कप जीतकर लाने वाले महेंद्रसिंह धोनी का जन्म चंद्र लग्न कन्या में राँची (झारखंड) में हुआ। 24 वर्ष पहले कपिल देव के नेतृत्व में बहुत उम्मीद थी, लेकिन महेंद्रसिंह धोनी ने पिछली टीस को समाप्त कर दिया।

webdunia
Devendra SharmaND
2004 में बांग्लादेश के खिलाफ अपने करियर की शुरुआत करने वाले धोनी ने मात्र तीन वर्षों में विश्‍व कप लाकर ‍भारत की शान को वापस खड़ा कर दिया। आपकी चंद्र कुंडली में गुरु जगकेसरी योग लेकर बैठा है। अत: आपको राज सुख तो मिलना ही था। साथ ही शनि-चंद्र का मिलन भी आपके लिए उत्तम है। शनि पंचमेश होकर लग्न में आयेश के साथ है। अत: खेल को अपना करियर बनाकर धन लाभ प्राप्त करने वाले बने। उधर, भाग्येश शुक्र जो धनेश का है, कर्क राशि में होकर राहु के साथ एकादश भाव में स्थित है।

चंद्र लग्न में एकादशेश है। लग्नेश बुध पंचमहापुरुष योग में से एक भद्रयोग बनाकर दशम भाव में द्वादशेश सूर्य के साथ बुधादित्य बनाकर राज्य भाव, कर्म भाव में बैठा है। अत: आपको भद्रयोग ने अच्छी सूझबूझ दी वही गुरु लग्न में है। अत: पृथक्करण की क्षमता व तुरंत निर्णय लेने की क्षमता होकर चंद्र ने भाग्येश शुक्र व राहू का प्रभाव लेकर नेतृत्व क्षमता को ‍िवकसित कर दिया। गुरु चतुर्थेश व सप्तमेश भी है।

चतुर्थ भाव जनता, भूमि-भवन से संबंधित रहता है। वही प्रसिद्धि का कारक भाव भी है। जो लग्न में खेल से संबंधित पंचम भाव का स्वामी लग्न में मित्र बुध की राशि के साथ है। मंगल तृतीयेश पराक्रम, साझेदारी, मि‍त्र भाव का स्वामी व अष्टमेश मंगल नवम भाव में शुक्र ‍की वृषभ राशि में है। मंगल की चातुर्य दृष्टि द्वादश भाव पर सिंह राशि पर पड़ रही है वही पराक्रमेश पर स्वदृष्टि पड़ने से आपका पराक्रम बढ़ा-चढ़ा रहा व आगे भी रहेगा।

चतुर्थ भाव पर मित्र दृष्टि मंगल की पड़ने से आप खेल जगत में जनता के प्रिय हो गए। गुरु की भी मंगल पर पूर्ण दृष्‍टि पड़ने से आपमें जोश की कमी नहीं रही वहीं आपकी‍ नेतृत्व क्षमता‍ सिद्ध हो गई। यदि पत्रिका में कोई अशुभ ग्रह जैसे शनि-मंगल का दृष्‍टि संबंध, अमावस्या योग व कालसर्प योग न हो तो ऐसा जातक निश्चित ही सफलता के शिखर पर पहुँचता है। वैसे आप पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है लेकिन शुभ मित्र राशि में होने से आप पर इसका प्रभाव नहीं रहेगा। यदि आगे भी आपको अच्छी सफलता बरकरार रखना है तो पन्ना व हीरा पहनना अति शुभ रहेगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi