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लालकृष्ण आडवाणी : जीत जाएंगे मगर....

आडवाणी के चुनावी सितारे

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

लालकृष्ण आडवाणी का प्रधानमंत्री बनने का सपना शनि ने धूमिल किया। इस बार उनका जीतना तय है लेकिन पुन: उच्च पद की अभिलाषा अधूरी रहेगी।

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आखिर आप उच्च पद तक क्यों नहीं पहुंच पाए? क्या आगे भी आपका सपना पूरा होगा या कोई उच्च पद मिलेगा? जानते हैं सितारों के इशारों से-

आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को वृश्चिक लग्न, मेष राशि में हुआ। राशि स्वामी मंगल लग्नेश व षष्टेश होकर शुक्र की राशि तुला में है। शनि नीच के सूर्य व बुध के साथ होकर व्यय यानी 12वें भाव में है यही योग उच्च पद की प्राप्ति में बाधक बने हैं।

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लग्न में शनि की उपस्थिति दशम यानी राज्यभाव पर शत्रु दृष्टि से देख रही है। दशम भाव का स्वामी सूर्य भी नीच का होकर द्वादश भाव में है यह संयोग भी आपकी अभिलाषा को पूरा नहीं होने दे रहा है।


ग्रहों का कमाल देखें कि मोदी का जन्म लग्न व राशि भी वृश्चिक है वहीं आडवाणी का जन्म लग्न वृश्चिक है व राशि मेष है यानी राशि स्वामी दोनों का ही मंगल है।

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आडवाणी के जन्म के समय मंगल शुक्र की राशि तुला में है तथा मोदी का मंगल स्वराशि वृश्चिक का है अतः उनका पराक्रम आपसे ज्यादा है।


लग्न में शनि के साथ केतु आडवाणी के स्वभाव को जिद्दी बनाता है अतः आप रूठने पर जल्दी नहीं मानते। वैसे केतु मतांतर से उच्च का माना जाता है।

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आपको उत्तम सफलता हेतु केसर का लंबा तिलक लगाना चाहिए। लग्नस्थ उच्च का केतु सफलता के लिए ठीक रहता है तभी आप लोकसभा में गांधीनगर से पहुंचते रहे लेकिन इस बार अंतिम बार ही पहुंच पाएंगे।

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