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गर्दिश में हैं भाजपा के सितारे

संभलने में लगेगा वक्त

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भारतीय जनता पार्टी के सितारे फिलहाल गर्दिश में हैं। ग्रह-नक्षत्र और कुंडली का हिसाब-किताब कहता है कि इन हालात से उबरने में अभी पार्टी को समय लगने वाला है। ज्योतिष, वास्तु और अंक विद्या के जानकारों का दावा है कि अगर भाजपा को फिर से सत्ता में आना है तो उसे अपनी विचारधारा और व्यवहार में बड़ा परिवर्तन लाना होगा। जहाँ तक भविष्य के चेहरे का सवाल है इस विद्या के ज्यादातर जानकारों का कहना है कि सुषमा स्वराज का रुतबा बढ़ने वाला है।

भाजपा के भविष्य को लेकर अजय भांबी का कहना है, 'यदि पार्टी फिर से सत्ता में आना चाहती है तो उसे निक्कर और डंडे से निकलकर अपनी विचारधारा को बदलना होगा। अपनी छवि बदलनी होगी क्योंकि दोहरे चरित्र के साथ उसे जनता का भरोसा हासिल नहीं हो सकता और सत्ता में आने के लिए यह सबसे जरूरी है।'

भाजपा का लग्न मिथुन है। वर्तमान में शुक्र की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है जो 19 जून, 2011 तक चलेगी। यह अच्छा है। इसके लग्न का स्वामी बुध नवम भाग्य स्थान में है जो कि अच्छी स्थिति है लेकिन केतु के साथ होने से उसका दम निकला पड़ा है। लिहाजा पार्टी को अपनी विचारधारा में बदलाव लाना पड़ेगा। जब यह पार्टी सत्ता में नहीं होती तो मंदिर-मंदिर करती रहती है लेकिन जब सत्ता में आती है तो कुछ नहीं करती। इसी वजह से देश के आमजन का इस पार्टी पर यकीन नहीं रह गया है।

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दूसरे पार्टी का चरित्र राष्ट्रीय नहीं बन पाया है बल्कि कई बार तो यह क्षेत्रीय ही नजर आता है। हाँ, यह सही है कि वाजपेयी का व्यक्तित्व अंतर्राष्ट्रीय था। उनकी छाया में पार्टी पलती और चलती रही लेकिन इस छतरी के हटते ही पार्टी की दुर्गति सबके सामने है। दरअसल, पार्टी के साथ एक दिक्कत यह भी है कि यह पराक्रम तो दिखाती है लेकिन विचारधारा और व्यवहार के चलते वह पराक्रम बेनतीजा और खोखला साबित होता है।

हालाँकि अभी पार्टी के पास खुद को खड़ा करने का समय है लेकिन जब तक बौद्धिक स्तर में सुधार नहीं होगा तब तक पार्टी का भला होने वाला नहीं है। यदि भाजपा खुद को एक राष्ट्रीय पार्टी कहती है तो उसे उसी तरह से पेश भी आना होगा और कथनी और करनी एक करनी होगी। सुषमा स्वराज की कुंडली अच्छी है। उनका कद बढ़ा रहेगा और उनकी बात को पार्टी में गंभीरता से लिया जाएगा।

अंक गुरु अशोक भाटिया कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का अगली बार भी सत्ता में आना मुश्किल है। कम से कम निकट भविष्य में तो नहीं। पार्टी पर संघ का असर और दखल रहने वाला है यानी यह अपने दम पर नहीं चलने वाली। सुषमा स्वराज की पार्टी में चलेगी लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी तक उनका पहुँच पाना कठिन है। जहाँ तक पार्टी में नए चेहरे की बात है तो वरुण गाँधी हमेशा विवादों में ही रहते हैं इसलिए उनका आगे निकलकर आना मुश्किल ही लगता है।

वास्तु, फेंगशुई और अंक ज्योतिष के जानकार विनय सिंघल का मानना है कि भाजपा का भविष्य बहुत बढ़िया नहीं है। अभी तो पार्टी और भी नीचे जाएगी। गिरावट का यह दौर दो साल तक रहने वाला है इसके बाद संभलने की स्थिति बन सकती है। पार्टी का प्रधान कोई पुरुष ही रहेगा और ताकत दो जगह बंटी रहेगी पार्टी में सुषमा स्वराज का वर्चस्व रहेगा। चूँकि पार्टी में किसी महिला की बात वजनदार रहने वाली है इसलिए सुषमा का दबदबा रहेगा।

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