Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

दादा साहेब फालके : फिल्म जगत के मसीहा

30 अप्रैल जन्म दिवस

Advertiesment
हमें फॉलो करें दादा साहेब फालके : फिल्म जगत के मसीहा
webdunia

पं. अशोक पँवार 'मयंक'

भारतीय फिल्म जगत के मसीहा जिनके नाम से दादा साहेब फालके पुरस्कार से सम्मानित होकर कलाकार अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है, धुंडीराज गोविन्द फालके (जो दादा साहेब फालके के नाम से प्रसिद्ध हुए) का जन्म 30 अप्रैल 1870 को प्रसिद्ध तीर्थस्थल व द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक त्र्यंबकेश्वर में शास्त्री परिवार में हुआ। उनका जन्म वृश्चिक लग्न तुला नवांश मेष राशि में हुआ।

कौन जानता था कि इस छोटे से गांव से निकल कर फिल्म जगत को जन्म देने वाला होगा।

आइए जानते है कौन से ग्रहों के कारण दादा साहेब फालके को फिल्म जगत का जन्म दाता माना जाता है।

दादा साहेब की पत्रिका के अनुसार वृश्चिक लग्न में जन्म होने से वे भरे गाल वाले, हष्टपुष्ट, उत्तम कदकाठी के तथा अपने कार्य में प्रयत्नशील होकर सफल रहने वाले भी रहे। वृश्चिक लग्न स्थिर लग्न होकर जलतत्व वाला लग्न है। लग्न का स्वामी अष्टम भाव में होने से दादा साहेब को काफी संघर्ष करना पडा़, तब जाकर फिल्म निर्माण में सफल हुए।

webdunia
FILE
इधर पंचम भाव में कला का कारक शुक्र उच्च का होकर पंचम मनोरंजन भाव में स्थित है, वहीं पंचम भाव का स्वामी गुरु, शुक्र की राशि में होकर सप्तम भाव दैनिक व्यवसाय में स्थित है। इस प्रकार राशि परिवर्तन होने से दादा साहेब कला जगत के सृजनकार हुए।

उनकी पढ़ाई मुंबई के विल्सन कॉलेज में हुई और जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्‌स और बड़ौदा के कला भवन में रंगकर्म का पाठ सीखा। शुक्र चूंकि उच्च का पंचम मनोरंजन भाव में था, तो स्वाभाविक है कि आपको कला से लगाव रहा इस कारण आपने फोटोग्राफी में कई प्रयोग किए।

1903 में सरकारी नौकरी में लगे लेकिन स्वदेश प्रेम होने के कारण नौकरी छोड़ दी। इसका कारण लग्न का स्वामी षष्ट भाव रहने से यह सब हुआ।

गुरु की लग्न पर मित्र दृष्टि ने ही सोच-समझ की स्थिति के कारण एक मित्र के सहयोग से लंदन से फिल्म निर्माण की सामग्री लाए और फिर चल पडा़ फिल्म निर्माण का प्रारंभिक दौर...।

इन कठिनाइयों का सामना लग्न के षष्टेश से हुआ। लेकिन जब इरादे मजबूत हो तो राह भी आसान होती है। इसका कारण पंचमेश विद्या, बुद्धि का कारक गुरु की लग्न पर दृष्टी पड़ने से हुआ।

अष्टम में उच्च का राहु गुप्त विद्याओं का जानकार बना देता है, सो दादा साहेब फिल्म जगत के मसीहा के रूप में उभरे। कई कठिनाई व अभावों से गुजर कर फिल्मी दुनिया में अपनी राह बनाई। इसका कारण चंद्र-सूर्य के साथ अमावस्या योग बनना रहा। लेकिन लग्न को लग्नेश की दृष्टि ने ही बल दिया और आज फिल्म जगत बरगद बन गया है। जिसकी छांव में कई कलाकार पले-बढ़ें और आज खुद बरगद बन गए।

दादा साहेब फालके की पहली फिल्म प्रदर्शन के समय उच्च के राहु में लग्न पर पड़ने वाले ग्रह गुरु की दृष्टि के साथ-साथ भाग्येश चंद्र का प्रत्यंतर में शुष्म कला का कारक शुक्र अंतर था। फिर चल निकला फिल्मी सफर। जब तक फिल्म संसार रहेगा तब तक दादा साहेब का नाम अमर रहेगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi