Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

लता मंगेशकर : सेहत के प्रति रखें सावधानी

जन्मदिन शुभ हो...

Advertiesment
हमें फॉलो करें लता मंगेशकर
webdunia

पं. अशोक पँवार 'मयंक'

ND
सुश्री लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को रात 9 बजकर 50 मिनट में इंदौर में वृषभ लग्न, वृषभ नवांश, कर्क राशि, शनि के पुष्य नक्षत्र, सिद्ध योग में हुआ। आपके जन्म लग्न में एकादश भाव (आय) का स्वामी अष्टमेश होकर बैठा है। अतः स्वप्रयत्नों से आय के साधन मिलते है।

पत्रिका में लग्नेश शुक्र की राशि में है और शुक्र कला का कारक होने के साथ-साथ गायन से भी संबध रखता है। नवांश कुंडली भी वृषभ की है। वर्गोत्मक नवांश होने से शुक्र का फल उत्तम मिलता है।

जन्मकुंडली में शुक्र ने जन्म लग्न में नीचाभिलाषी होकर दाम्पत्य सुख से वंचित रखा। यह पारिवारिक कारण दर्शाता है। शुक्र चतुर्थ भाव (परिवार भाव) में है, वहीं नवांश कुंडली में तृतीय भाव (स्वर भाव) में चंद्र की राशि कर्क में है। इसी वजह से आपकी आवाज में वह कशिश है जो अन्य गायक कलाकारों में नहीं रही। चंद्र मन का कारक होने के साथ भावनात्मकता से भी जुडा़ रहता है।

जन्म लग्न में चंद्र तृतीय भाव में अपनी राशि कर्क में है, जो स्वर भाव के साथ पराक्रम भाव भी है। आपने काफी मेहनत कर उस जमाने की मशहूर सुरैया, नूरजहां, शमशाद ेगम जैसी हस्तियों के बीच रहकर अपनी पहचान बनाई, यह सहज काम नहीं था।

webdunia
PR
पत्रिका में धन भाव का स्वामी बुध उच्च का होकर पंचम (मनोरंजन भाव) में है साथ ही प्रसिद्धि भाव (चतुर्थ/जनता भाव) का भी स्वामी है। यहां सूर्य के साथ होने से जनता के बीच आपकी आवाज आश्चर्यजनक रूप से लोकप्रिय है। लता जी को लक्ष्मीनारायण योग भी हैं। यही वजह है कि जहां सरस्वती मेहरबान रही, वहीं लक्ष्मीजी की भी कृपा रही।

नवांश कुण्डली में पंचम भाव (विद्या व मनोरंजन) का स्वामी बुध वर्गोत्मक होने से आप लंबे समय से तक गायन के क्षेत्र में है। चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च का सूर्य नवांश में जाकर नीच के शनि के साथ है। यह भी हर प्रकार से लाभदायक रहा। शनि सूर्य साथ हो तो क्षति नहीं पहुंचाते, आमन- सामने हो तब क्षति का कारण बनते है। शनि जहां कर्मेश है वहीं भाग्येश होकर जन्म लग्न में अष्टम भाव में गुरु की राशि धनु में है, ऐसा योग उत्तम आयु देता है।

मंगल शत्रु राशि में होने से आपको कोई गंभीर रोग भी नहीं है। नवांश जीवनसाथी के बारे में जाना जाता है, वहां शनि-मंगल का समसप्तक योग बन रहा है। मंगल सप्तमेश भी है इस कारण विवाह नहीं हुआ। शनि-मंगल जिससे संबंध रखता है उस घर के कारक भाव को नुकसान पहुंचाता ही है।

16 नवंबर से शनि का गोचरीय भ्रमण षष्ट भाव से रहेगा। लता जी का मंगल भी वहीं है, अतः आपके लिए आगामी ढाई वर्ष सेहत के लिहाज से काफी सावधानी बरतने के रहेंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi