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संजय दत्त : सफलता के साथ सावधानी जरूरी

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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फिल्म अभिनेता संजय दत्त का जन्म 29 जुलाई 1959 को वृश्चिक लग्न वृषभ राशि में कृतिका नक्षत्र के तृतीय चरण में मुंबई में हुआ। पत्रिका में जहां नक्षत्र स्वामी सूर्य जन्म के समय नवम भाव में अष्टमेश व एकादशेश बुध के साथ होने से ही संजय को कई सकंटों का सामना करना पड़ा। कई बार जेल भी जाना पडा़। संजय दत्त पर गंभीर आरोप भी लगे हैं।

संजय दत्त की पत्रिका में चतुर्थ भाव के स्वामी शनि तृतीयेश होकर द्वितीय भाव में हैं तथा चतुर्थ भाव पर तृतीय स्वदृष्टि है, इसी वजह से आप जनता के बीच बराबर बने रहे। वृश्चिक लग्न वाले जातक हष्ट-पुष्ट होकर उत्तम कदकाठी के होते हैं। उनमें साहस व महत्वाकांक्षा की भावना अधिक होती है।

लग्न का स्वामी मंगल मित्र राशि सिंह का होकर दशम भाव में है अत: पिता का सहयोग भी खूब मिला। शनि की दशम दृष्टि आय भाव पर बैठे राहु पर पड़ने से उन्हें आर्थिक नुकसान भी देखने को मिला।

जेल यात्रा के बाद भी संजय दत्त ने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी और लोगों ने उन्हें पसंद भी किया। संजय की पत्रिका में भाग्य का स्वामी उच्च का होकर सप्तम भाव में है । इस योग से दैनिक व्यवसाय पर असर नहीं पड़ता।

बीच-बीच में संजय दत्त के दिमाग बिगड़ने का कारण है- पंचम व द्वितीय (वाणी) भाव का स्वामी गुरु, शत्रु राशि तुला में होकर द्वादश (व्यय भाव) में है। पंचम पर बैठे केतु पर शुक्रयुक्त मंगल की पूर्ण दृष्टि भी है। वर्तमान में राहु वृश्चिक में होकर लग्न से भ्रमण कर रहा है, जो मानसिक चिंता का कारण बनता है।

तृतीय व चतुर्थ भाव का स्वामी शनि वक्री होकर (जन्मदिन के समय) मंगल के साथ युति करने के कारण असफलता का स्वाद भी चखा सकता है। गुरु का शुक्र की राशि वृषभ में स्थित होने से कुछ फिल्में असफल भी हो सकती है। इस दौरान स्वास्थ्य के प्रति सावधानी भी रखना होगी।

शनि के उच्च होते ही शत्रु पक्ष प्रभाव हो सकते हैं। चंद्र की नीच दृष्टि लग्न पर पड़ने से चिडचिड़ापन भी रह सकता है। वैसे संजय ने मोती व पुखराज धारण कर रखा है, जो काफी हद तक सहायक रहेगा।

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