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सुशील कुमार शिंदे : बन सकते हैं प्रधानमंत्री!

ज्योतिषीय विश्लेषण

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सुशील कुमार शिंदे का जन्म 4 सितंबर, 1941 को शाम 7 बजे महाराष्ट्र के शोलापुर में हुआ। उनका जीवन, फैसले और बयान अक्सर चर्चा में रहते हैं। प्रस्तुत कुंडली के अनुसार गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की राशि कुंभ है और उनका जन्म भी इसी लग्न में हुआ है।

तृतीय स्थान में पराक्रम का प्रतीक मंगल मेष राशि का स्वग्रही है। चतुर्थ स्थान में शनि और गुरु हैं। सप्तम में राहु सूर्य के साथ हैं साथ ही अष्टम स्थान में शुक्र व बुध बैठे हैं। लग्न में केतु अधिष्ठित चन्द्र विराजित हैं।

संघर्षों के बाद उच्च पद पर पहुंचने वाले सुशील कुमार शिंदे अपने विवादास्पद बयानों से राजनीति में हलचल मचाते रहे हैं। पिछले दिनों कुछ ज्योतिषियों ने दावा किया है कि उनके प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के प्रबल राजयोग बन रहे हैं।

इस संबंध में हमने कुछ एस्ट्रोलॉजर से विमर्श किया। प्रस्तु‍त है एक ज्योतिष विश्लेषण :

पं. अंकित व्यास : अव्वल तो यह इस आदमी की कुंडली नहीं है। हो ही नहीं सकती। दशमेश मंगल स्वगृही हो कर पराक्रम भाव में बैठा है और दशम भाव को अष्टम दृष्टि से देख रहा है। यह ऐसा योग है, जो किसी फौजी की कुंडली में होना संभव है। शिंदे की कुंडली में तो कतई नहीं।

यह कुंडली शानदार है लेकिन मैं मान ही नहीं सकता कि शिंदे की है। कुंडली के 6 ग्रह केंद्र में, स्वग्रही बुध और स्वगृही मंगल। इस कुंडली के सितारे प्रबल राजयोग बना रहे हैं लेकिन व्यक्तित्व के तौर पर कुंडली का शिंदे से मिलान करें तो यह उनके साथ मैच नहीं करती।

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अगर यह सच में उनकी ही कुंडली है तो मुझे भी कहना होगा कि यह आदमी प्रधानमंत्री बन सकता है।

पं. सुरेंद्र बिल्लौरे भी मानते हैं कि बुध और गुरु का अन्तर्योग सुशील कुमार शिंदे को प्रधानमंत्री बना सकता है।

ज्योतिषी सीता शर्मा कहतीं है : सातवें घर में स्थित सूर्य और राहु प्रबल विलासिता के योग बनाते हैं लेकिन और नीच का शुक्र इसी विलासिता को विकृति में तब्दील कर देता है।

अगर यह कुंडली सुशील कुमार शिंदे की है तो प्रधान मंत्री पद के योग तो बन रहे हैं। खासकर केतु की महादशा चल रही है तब तो निश्चित रूप से यह योग दिख रहे हैं लेकिन केतु की शुभ स्थिति 2014 के मध्य तक ही है। इस बीच कुछ घट जाए और हमें इन्हें प्रधानमंत्री देखना पड़े यह संभव है।



पं. पुरस्वामी का दावा है कि उनकी ज्योतिषीय गणना के अनुसार जितना आगे शिंदे को अपनी कुंडली के दम पर पंहुचना था पंहुच चुकें।

अब और नहीं केतु की महादशा पर ज्यादा दावे नहीं किए जा सकते क्योंकि केतु अचानक सफलता और विफलता देता है हो सकता है केतु ही उन्हें धोखा दे जाए।


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