कहते हैं कलियुग में जगदम्बा दुर्गा और श्री गणेश ही प्रधान देव होंगे और यह प्रत्यक्ष दिख भी रहा है। जिस ऊर्जा और उत्साह से गणपति उत्सव एवं नवरात्रि मनाए जाते हैं, वैसे अन्य देव की तिथि, उत्सव या पर्व नहीं।
नए मूल्यों और मान्यताओं के हिसाब से भी ये समीचीन बैठता है, क्योंकि भगवती दुर्गा शक्ति की एवं श्री गणेश बुद्धि और युक्ति के देवता हैं और वर्तमान युग तकनीकी प्रतिभा, कौशल, बुद्धि, प्रयत्न सबसे यथासंभव अधिक से अधिक शक्ति प्राप्त करने का है।
प्रस्तुत लेख का उद्देश्य इस पावन पर्व के सर्वाधिक सदुपयोग, शक्ति संचय, पूजा-प्रार्थना के लिए दिखावे से बचने, कठिन अनुष्ठानों से यथासंभव बचने के लिए करने की चर्चा करने का है। ये काल है या दैव कि हमारे अमृत उत्सव अपने मूल अर्थों, नियमों, अनुष्ठानों से हटकर केवल व्यक्तिगत यश, दिखावे, अपव्यय, असंगत उत्सवों और शोर में बदल दिए गए हैं।