Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चंद्रयान द्वितीय से जुड़ी नई संभावनाएँ

हमें फॉलो करें चंद्रयान द्वितीय से जुड़ी नई संभावनाएँ
, शनिवार, 26 सितम्बर 2009 (16:58 IST)
-वेबदुनिया डेस्क
FILE
चाँद के वातावरण में भाप के कणों के रूप में पानी की मौजूदगी ने वैज्ञानिकों को चंद्रयान-1 से मिले आँकड़ों और निष्कर्षों के बाद नए सिरे से सोचने पर विवश कर दिया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि चाँद पर पानी की खोज से उसकी उत्पत्ति और वहाँ पाए जाने वाले खनिज पदार्थों के प्रभाव को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। इतना ही नहीं वे मानते हैं कि फिलहाल आप चाँद की सतह के एक टन हिस्से से मात्र 32 औंस ही पानी निकाल सकते हैं।

इस मामले पर इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि चाँद पर न केवल पर्याप्त पानी मिलने की संभावना है, वरन इस मिलने वाले पानी का उपयोग भी संभव है। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में करीब 312 दिन बिताए और इस अवधि में यान ने जो आँकड़े और तस्वीरें भेजी हैं उनका विश्लेषण अभी तक किया जा रहा है।

इसलिए वैज्ञानिक यह दावा कर रहे हैं कि चंद्रयान को जो काम करना था उसका 95 फीसदी काम उसने कर दिया और उसका यह अभियान 110 फीसदी तक सफल रहा है।

हालाँकि अमेरिकी अंतरिक्ष विज्ञानियों का कहना है कि चंद्रमा पर पानी की पुष्टि नासा के कैसिनी यान में लगे विजुअल एंड इन्फ्रारेड मैपिंग स्पेक्ट्रोमीटर ने और एपीओएक्सआई यान में लगे हाई रिजोल्यूशन इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर के आँकड़ों से भी हुई थी लेकिन सबसे पहले यह प्रमाण चंद्रयान-1 के मून इम्पैक्ट प्रोब (एमआईपी) ने देखे थे और नासा द्वारा इसकी पुष्टि करने से चार माह पहले ही यह जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों के पास थी कि चाँद पर भाप के कणों के रूप में पानी मौजूद है।

पानी के अणुओं की तरह हाइड्रॉक्सिल वहाँ सतह पर मौजूद है और सतह पर यह कुछ मिलीमीटर तक हो सकती है। एक और संभावना है कि चाँद के वायुमंडल में भी जल के कण मौजूद हो सकते हैं। इसके अलावा चाँद के जिन ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ पाई जाती है ऐसे इलाकों में भी जल के अणुओं की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi