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छठ पूजा : खरना के शुभ मुहूर्त, क्या करते हैं इस दिन जानिए

हमें फॉलो करें छठ पूजा : खरना के शुभ मुहूर्त, क्या करते हैं इस दिन जानिए
, शुक्रवार, 17 नवंबर 2023 (18:02 IST)
Kharana chhath puja 2023: कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पूजा का त्योहार रहता है। इस दिन सूर्य देव एवं छठी मैया की पूजा की जाती है। इस बार छठ पर्व 17 नवंबर से 20 नवंबर 2020 के मध्य मनाया जाएगा। चार दिन के इस पर्व में पहला दिन नहाय खाये, दूसरा दिन खरना, तीसरा धर्म सांध्य अर्घ्‍य चौथे दिन उषा अर्घ्य का कार्य किया जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का प्रचलन और उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। मान्यता अनुसार इस दिन निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं छठ मैया।
  • 17 नवंबर : नहाय खाये (चतुर्थी) 
  • 18 नवंबर : खरना (पंचमी)
  • 19 नवंबर : संध्या अर्घ्य (षष्ठी)
  • 20 नवंबर : उषा अर्घ्‍य (सप्तमी)
 
खरना (दूसरा दिन) : दूसरे दिन खरना अर्थात पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करते हैं। इस पूरे दिन जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। संध्या को खाया जाता है उसे घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
 
सूर्यास्त समय : शाम 05:26 पर।
अमृत काल पूजा मुहूर्त : 18 नवंबर 2023 शाम 06:01 से 07:33 के बीच।
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खरना कैसा होता है | Chhath puja kharna 2022:
 
1. खरना का अर्थ साफ और शुद्ध करना और शुद्ध खाना खाना। खरना को लोहंडा भी कहते हैं। इस दिन भोजन, प्रसाद बनाने में शुद्धता का पालन किया जाता है।
 
2. खरना के दिन से ही 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाता है।
 
3. खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी को रहता है। इस दिन खरना का भोजन और छठ का प्रसाद बनाया जाता है।
 
4. इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है, जिस पर साठी के चावल, दूध और गुड़ की खीर बनाई जाती है।
 
5. खरना में पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करते हैं। इसके बाद व्रत प्रारंभ हो जाता है। 
 
6. इस पूरे दिन जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। इसके बाद जब भोजन करते हैं तो अच्‍छे से शुद्ध जल ग्रहण करते हैं। 
 
7. खरना का प्रसाद और भोजन जो बच जाता है उसे घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
 
8. संध्या के समय नदी या तालाब पर जाकर सूर्य को जल दिया जाता है और इसके बाद छठ का कठिन व्रत आरंभ हो जाता है।

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