रायपुर। विधानसभा चुनाव में दिग्गजों के भाग्य का फैसला करने के लिए इस बार मतदाताओं में खास उत्साह नहीं देखा गया है। वीआईपी मानी जाने वाली सीटों में पिछले चुनाव के मुकाबले कम वोट पड़े। इसके पीछे लोग कई तरह के तर्क दे रहे हैं। कुछ लोग इसकी वजह परिसीमन को मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि ऐसा कोई बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं था, जिससे मतदाता मतदान केंद्रों में टूट पड़ते। वहीं, कुछ आदिवासी सीटों पर रिकार्ड मतदान हुआ है, जहाँ पहले कम वोट पड़ते थे।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निर्वाचन क्षेत्र मरवाही में इस बार मात्र 75.14 प्रतिशत मतदाताओं ने ही वोट डाले, जबकि पिछले चुनाव में यहाँ 78.16 प्रतिशत मतदान हुआ था। कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जोगी ने भाजपा के नंदकुमार साय को 54 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी थी। तब साय नेता प्रतिपक्ष और जोगी मुख्यमंत्री की हैसियत से मैदान में थे। इस चुनाव में परिस्थितियाँ काफी बदली हैं। जोगी के खिलाफ भाजपा ने दिग्गज उम्मीदवार को टिकट देने के बजाय नया चेहरा ध्यानसिंह पोर्ते को मैदान में उतारा। इसकी वजह से मुकाबला रोचक नहीं हो पाया।
नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा के निर्वाचन क्षेत्र दंतेवाड़ा में भी पाँच प्रतिशत कम मतदान हुआ है। पिछले चुनाव में यहाँ 60.30 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो घटकर 54.68 प्रतिशत रह गया। यहाँ भी राजनीतिक परिस्थितियाँ पिछले चुनाव की तुलना में अलग हैं। तब कर्मा मंत्री की हैसियत से चुनाव मैदान में थे। इस बार वे विपक्ष में हैं और नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे सलवा जुड़ूम अभियान के अगुवा भी हैं। बस्तर में सलवा जुडूम ही मुख्य चुनावी मुद्दा रहा है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू के निर्वाचन क्षेत्र अभनपुर में भी 5.48 प्रतिशत कम वोट पड़े हैं। यहाँ पिछले चुनाव में 81.65 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार 76.17 प्रतिशत। साहू पिछली बार मंत्री की हैसियत से चुनाव मैदान में थे। इस बार वे विधायक के साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदेव साय के निर्वाचन क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। वहाँ पिछले चुनाव में 75.27 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो इस बार बढ़कर 77.33 प्रतिशत पहुँच गया। उनका इस बार भी कांग्रेस से पूर्व मंत्री रामपुकार सिंह से है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय के निर्वाचन क्षेत्र भिलाईनगर में भी कम वोट पड़े। यहाँ 2003 में 63.41 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस चुनाव में 62.93 प्रतिशत मतदान हुआ।
रमन मंत्रिमंडल के दिग्गज मंत्री अमर अग्रवाल के क्षेत्र में भी कम लोग मतदान के लिए घरों से निकले। यहाँ इस बार 60.84 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले, जबकि पिछले चुनाव में 62.40 प्रतिशत वोट पड़े थे। राजस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निर्वाचन क्षेत्र रायपुर दक्षिण के मतदाताओं में भी उत्साह कम देखा गया। यहाँ केवल 62 फीसदी ही मतदान के लिए निकले, जबकि परिसीमन में विलुप्त सीट रायपुर शहर में पिछली बार 67 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था।
चंद्राकर व पटेल के क्षेत्र में रिकार्ड मतदान : रमन मंत्रिमंडल के चर्चित मंत्री अजय चंद्राकर के निर्वाचन क्षेत्र कुरुद में रिकार्ड 86.55 प्रतिशत मतदान हुआ। पिछले चुनाव में यहाँ 84.07 प्रतिशत वोट पड़े थे। वहाँ इस अधिक मतदान का राजनीतिक प्रेक्षक कई मतलब निकाल रहे हैं।
इसी प्रकार कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री नंदकुमार पटेल के निर्वाचन क्षेत्र खरसिया में भी रिकार्ड 84.05 प्रतिशत मतदान हुआ है। पिछली बार यहाँ 83.19 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे। इस चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की पहली व अंतिम चुनावी सभा यहाँ हुई है। कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन में भी अधिक मतदान हुआ है, जहाँ 77.90 के स्थान पर 79.04 प्रतिशत वोट पड़े। यही स्थिति लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र की है, जहाँ कांग्रेस से पूर्व मंत्री चनेशराम राठिया की प्रतिष्ठा दाँव पर है। दूसरे चरण में यहाँ सबसे अधिक 85.34 प्रतिशत मतदान हुआ है। पिछली बार 77.19 प्रतिशत मतदान हुआ था।
सीएम के क्षेत्र में इजाफा : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगाँव में भी मतदान के प्रतिशत में इजाफा हुआ है। यहाँ इस बार 78.32 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि पिछले चुनाव में 76.61 प्रतिशत मतदान हुआ था। तब चुनाव मैदान में कांग्रेस से उदय मुदलियार और भाजपा से लीलाराम भोजवानी आमने-सामने थे। इस बार डॉ. सिंह के खिलाफ भी कांग्रेस से उदय मुदलियार ही चुनाव समर में हैं। (नईदुनिया)