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नक्सली हिंसा, कटघरे में रमन सरकार

सीआरपीएफ की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार गंभीर

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नई दिल्ली से मनोज वर्मा , सोमवार, 17 नवंबर 2008 (23:44 IST)
देशभर में भाजपा भले आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बना रही हो, लेकिन छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा ने राज्य के पुलिस तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि खुफिया तंत्र और संसाधनों की पूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ को केंद्रीय सहायता और अनुदान के रूप में भारी राशि देने के बाद भी जमीनी स्तर पर समस्या जस की तस बनी हुई है।

हाल ही में नक्सलियों द्वारा सेना के हेलिकॉप्टर पर गई गोलीबारी ने सरकार को चिंता में डाल दिया है, लिहाजा वह नक्सल प्रभावित इस राज्य की सुरक्षा व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा कर रही है।

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल यहाँ तक कहते हैं कि राज्य सरकार ने सीआरपीएफ की 17 बटालियनों का इस्तेमाल तक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नहीं किया। जो हालात उभर कर सामने आ रहे हैं, उससे तो यही लग रहा है कि स्थानीय स्तर पर पुलिस और खुफिया तंत्र को मजबूत बनाने के लिए काम ही नहीं किया गया।

सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने चुनाव से पहले राज्य सरकार से सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में जानकारी माँगी थी, तब राज्य सरकार ने यही कहा था कि स्थिति नियंत्रण में है, सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है।

सीआरपीएफ ने मंत्रालय को जो रिपोर्ट दी थी, उसने ही राज्य में सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोल दी थी। सीआरपीएफ ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पहले ही आशंका व्यक्त कर दी थी कि छत्तीसगढ़ में नक्सली मतदान के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा करने की फिराक में हैं, इसके बावजूद राज्य का पुलिस तंत्र सक्रिय नहीं हुआ।

रिपोर्ट के मुताबिक नक्सली हिंसा पर काबू पाने में इसलिए मुश्किल हो रही है, क्योंकि छत्तीसगढ़ पुलिस का खुफिया तंत्र ठीक नहीं है। समय पर न तो नक्सलियों के बारे में सूचना मिल पाती है और न ही उनके ठिकानों का पता लग पाता है।

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