छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह की शान्त, सौभ्य एवं बेदाग छवि तथा उनकी सरकार की रियायती चावल की योजना ने मतदाताओं पर इस कदर करिश्मा किया कि भाजपा ने लगातार दूसरी बार जीत ही हासिल नहीं की, बल्कि यह भी साबित किया कि मरीजों के ही नहीं बल्कि राजनीतिक नब्ज के भी वह विशेषज्ञ हैं।
सत्ता विरोधी माहौल की आशंका को धता बताते मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने बस्तर में सलवा जुडूम को लेकर आदिवासियों में आक्रोश की अटकलों को खारिज कर कांग्रेस का इस इलाके में लगभग सूपड़ा साफ कर दिया। कांग्रेस की लोक लुभावनी चुनावी घोषणाओं पर यकीन करने की बजाय लोगों ने डॉ. सिंह के वादे पर ज्यादा यकीन किया।
बस्तर में आदिवासियों की नक्सलियों के खिलाफ शुरू की गई शान्ति मुहिम सलवा जुडूम के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर नियोजित ढंग से किए गए दुष्प्रचार ने भाजपा को नुकसान की बजाय लाभ पहुंचाया और इलाके की 12 में 11 सीटों पर उसने कब्जा कर लिया।
एक संसदीय एवं एक विधानसभा उप-चुनाव हारने के बाद लगभग निराश की स्थिति में पहुँच चुकी भाजपा को डॉ. सिंह ने बड़ी संजीवनी गरीबी रेखा के नीचे के लोगो को इस वर्ष के शुरू में तीन रुपए किलो रियायती चावल देने की योजना शुरू कर दी।
इस योजना की शुरू में आलोचना करने के बाद राज्य में मिले समर्थन के बाद कांग्रेस ने योजना को सत्ता में आने पर लागू करने का ऐलान किया पर लोगों ने विश्वास नही किया। भाजपा को बड़ी संख्या में नये उम्मीदवारों को उतारने की मुख्यमंत्री की सलाह का भी पूरा लाभ मिला।