रायपुर। प्रत्याशी चयन में सात में पांच संसदीय सचिवों को टिकट नहीं दिया गया है। इनमें संजीव शाह मुख्यमंत्री से संबद्ध रहे हैं। पार्टी सूत्रों का दावा है कि संसदीय सचिव देवलाल दुग्गा, संजीव शाह, रमशीला साहू, पूनम चंद्राकर और डॉ. त्रिविक्रम भोई का प्रदर्शन विधानसभा में संतोषजनक नहीं माना गया है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि जातीय व क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए इन विधायकों को संसदीय सचिव अवश्य बनाया गया, लेकिन प्रदर्शन को दखते हुए करीब छह महीने पहले ही उन्हें टिकट से वंचित करने की तैयारी कर ली गई थी। कुछ वरिष्ठ नेताओं की मानें तो संगठन ने उन्हें अपनी प्रदर्शन सुधारने का संकेत भी दिया था, जिसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया।
बताया गया है कि प्रशासनिक दृष्टि से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में भी इन विधायकों के बारे में विपरीत रिपोर्ट आई। उसके बाद संगठन ने एकात्म परिसर में हर विधानसभा क्षेत्र के मैदानी कार्यकर्ताओं की राय ली और फिर पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सौदान सिंह ने हर क्षेत्र में जाकर कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाताओं से राय-मशविरा किया। बताते हैं कि इनमें से किसी भी विधायक के बारे में सकारात्मक बात सामने नहीं आई। तकरीबन सभी विधायकों के प्रति क्षेत्र के मतदाताओं में खासी नाराजगी पाई गई। छोटे-छोटे काम के लिए लोगों को परेशान करने से लेकर नियुक्तियों व तबादलों में इन विधायकों की भूमिका से संगठन खफा था। संसदीय सचिव पद का विधायकों द्वारा फायदा उठाने की शिकायतें संगठन और मुख्यमंत्री के पास लगातार पहुँचती रही हैं।
टिकट से वंचित अधिकतर संसदीय सचिवों का मानना है कि उनके साथ अन्याय किया गया है। पार्टी के कई अन्य विधायकों व कुछ मंत्रियों का प्रदर्शन भी संतोषजनक नहीं रहा है। क्षेत्र के अलावा कुछ मंत्रियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में नाराजगी रही है, लेकिन उन्हें बख्श दिया गया। कुछ संसदीय सचिवों ने प्रत्याशी चयन के तरीके पर आपत्ति करते हुए कहा कि संग को बताना चाहिए कि किस विधायक का टिकट किन कारणों से काटा गया? इससे पार्टी को फायदा होगा, क्योंकि अन्य विधायक इससे गलतियाँ सुधार सकेंगे। (नईदुनिया)