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छत्तीसगढ़ में कैबिनेट का गठन बड़ी चुनौती

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रवि भोई

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह के लिए कैबिनेट का गठन कठिन चुनौती होगी। इस चुनाव में कई दिग्गज जीत कर आए हैं, उनमें अधिकांश मंत्री बनना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ में 13 से अधिक मंत्री नहीं बनाए जा सकते। यही वजह है कि 12 दिसंबर को रमनसिंह अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनने के लिए भी कोई दिग्गज तैयार नहीं हैं। 2003 व 2008 में रमनसिंह ने पूरे मंत्रिमंडल के साथ शपथ ली थी।

इस बार 2003 से 2008 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमप्रकाश पांडे चुनाव जीतकर आए हैं, लेकिन इस बार वे विधानसभा अध्यक्ष की जगह मंत्री बनना चाहते हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रामसेवक पैकरा भी मंत्री बनने की दौड़ में हैं। पहले मंत्री रहे अजय चंद्राकर इस बार भी मंत्री बनना चाहते हैं। रमन कैबिनेट में पिछली बार मंत्री रहे अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, केदार कश्यप, विक्रम उसेंडी, पुन्नूलाल मोहिले व दयालदास बघेल कतार में पहले से ही हैं।

मुख्यमंत्री को इस बार मंत्रिमंडल गठन में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। मसलन अग्रवाल विधायक बृजमोहन, अमर, रोशन व गौरीशंकर में किसी मंत्री बनाया जाए। चारों ही भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। इसी तरह जैन समुदाय से चुनकर आए राजेश मूणत, लाभचंद बाफना व संतोष बाफना में से किसे मंत्री बनाया जाए? मूणत व संतोष बाफना वरिष्ठ हैं, वहीं लाभचंद नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे को हराकर विधानसभा पहुंचे हैं।

आदिवासी वर्ग से इस बार केदार कश्यप, रामसेवक पैकरा, विक्रम उसेण्डी के अलावा महेश गागड़ा भी कैबिनेट में आना चाहते हैं। गागड़ा पिछली बार संसदीय सचिव रह चुके हैं। अजजा वर्ग से इस बार कई नए चेहरे भी जीतकर आए हैं। अजा वर्ग से मंत्रिमंडल सदस्य का चयन भी डॉ. रमन के लिए आसान नहीं होगा। पुन्नूलाल मोहिले व दयालदास बघेल के अलावा कई नए लोग भी इस वर्ग से चुनकर आए हैं, जिनकी बदौलत छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बन रही है।

सामान्य वर्ग से प्रेमप्रकाश पांडे के अलावा युद्धवीरसिंह व बद्रीधर दीवान भी मंत्री बनने की लाइन में हैं। पिछड़े वर्ग से साहू व कुर्मी जीतकर आए हैं। इस बार दोनों की संख्या लगभग बराबर है, ऐसे में इस वर्ग को भी प्रतिनिधित्व देना होगा। मुस्लिम व सिख समुदाय से कोई चुनकर नहीं आया है, लेकिन सिंधी समुदाय से पहली बार श्रीचंद सुंदरानी जीतकर आए हैं। वे छत्तीसगढ़ चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष भी हैं, सिंधी समुदाय व व्यापारी वर्ग उन्हें मंत्री बनाने की मांग अंदरूनी तौर पर कर रहा है।

कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल गठन का मामला पेचिदा होने के कारण फिलहाल रमनसिंह अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हाईकमान से चर्चा व मंत्रिमंडल की सूची फायनल करवाकर अन्य मंत्रियों को शपथ दिलवाएंगे।

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