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देवती करमा लड़ रही हैं विरासत की लड़ाई

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दंतेवाड़ा। ‘बस्तर टाइगर’ के नाम से प्रसिद्ध सलमा जुडूम के संस्थापक दिवंगत कांग्रेसी नेता महेन्द्र करमा की पत्नी के लिए 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव करमा की विरासत को बचाने की लड़ाई हैं।

करमा को माओवादियों के खिलाफ आदिवासियों की लड़ाई का प्रतीक समझा जाता था। माओवादियों ने करमा की इस साल मई में छत्तीसगढ़ के शीर्ष कांग्रेसी नेताओं के साथ हत्या कर दी थी।

करमा की पत्नी देवती करमा (51) और उनके 4 बेटों की सुरक्षा में दर्जनों सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। इन सभी लोगों को जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। देवती दंतेवाड़ा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। वे दंतेवाड़ा में मुश्किल हालातों से जूझते हुए अपने लिए वोट मांग रही हैं।

देवती ने अपनी जनसभा में कहा कि मेरे पति इलाके में शांति के लिए जिए और मरे। मैं उनके सपने पूरे करने के लिए जिऊंगी। इस इलाके में विधानसभा चुनाव के परिणामों से साफ हो जाएगा कि करमा की मौत के बाद नक्सलियों के इस गढ़ में उनकी विरासत रहेगी या खत्म हो जाएगी। दंतेवाड़ा पट्टी और आसपास के इलाकों में नक्सिलयों का राज चलता है जिस वजह से कांग्रेस को लगता है कि वे देवती को हराने के लिए पूरा प्रयास करेंगे।

आदिवासियों पर अत्याचारों की वजह से सलवा जुडूम के बदनाम होने और बाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा इसे भंग किए जाने के बाद करमा का राजनीतिक ग्राफ नीचे चला गया था। कई बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में वे तीसरे स्थान पर चले गए थे और उनकी चमक कम हो गई थी।

करमा कांग्रेस की ‘परिवर्तन रैली’ के साथ अपनी राजनीतिक चमक वापस पाने की कोशिश कर रहे थे तभी 25 मई को माओवादियों के एक हमले में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल समेत 30 अन्य लोगों के साथ वे मारे गए। (भाषा)

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