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बिलासपुर : भाजपा-कांग्रेस के बीच खंदक की लड़ाई

हमें फॉलो करें बिलासपुर : भाजपा-कांग्रेस के बीच खंदक की लड़ाई
बिलासपुर , बुधवार, 13 नवंबर 2013 (17:52 IST)
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा विधायक तथा प्रदेश के स्वास्थ्य एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल चौथी बार जीत का रिकॉर्ड बनाएंगे अथवा कांग्रेस प्रत्याशी वाणी राव इस चुनावी कुरुक्षेत्र में उनका किला फतह कर पाएंगी... शहर के जनमानस में यह प्रश्न कौंध रहा है और हर कोई इसका जवाब के लिए 6 दिसंबर का इंतजार कर रहा है, जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे।

छत्तीसगढ़ में 19 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव में राज्य की हाईप्रोफाइल सीटों में शुमार बिलासपुर में पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य भिड़ंत है, हालांकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी तथा अन्य निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं।

भाजपा ने केंद्र की कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार तथा पेट्रोलियम पदार्थों एवं खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों के चलते विकराल रूप ले चुकी महंगाई को विशेष मुद्दा बनाया है।

गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आने वाले (बीपीएल) हितग्राहियों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चावल तथा 25 पैसे प्रति किलोग्राम की दर से नमक वितरण की चालू योजना के साथ ही प्रदेश में लागू की गई सामाजिक खाद्य सुरक्षा योजना और स्मार्ट कार्ड के जरिए स्वास्थ्य सुरक्षा योजना को पार्टी की उपलब्धियों के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

भाजपा की पहली एवं दूसरी पंक्ति के प्रत्येक बड़े नेताओं ने छत्तीसगढ़ की चुनावी सभाओं में 60 वर्ष बनाम 10 वर्ष के तुलनात्मक संदर्भ में राज्य में भाजपा शासन के दौरान अनेक विकास कार्यों को बयान किया है।

बिलासपुर से भाजपा प्रत्याशी अमर अग्रवाल अपने कार्यकाल के दौरान हजारों करोड़ रुपए के विकास कार्यों की बदौलत अपनी जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। उल्लेखनीय है कि करीब 100 करोड़ रुपयों से अधिक की लागत वाली महत्वाकांक्षी एवं राज्य की पहली भूमिगत नाली संवर्धन (अंडरग्राउंड सीवरेज) का काम लगभग पूर्णता की ओर है।

आसन्न चुनाव में सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस भाजपा एवं उसके प्रत्याशी पर भ्रष्टाचार के आरोपों की घेराबंदी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर घोटालों सहित विकास कार्यों के क्रियान्वयन में ठेकों के जरिए अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने का भी हवाला दिया जा रहा है।

कांग्रेसी उम्मीदवार वाणी राव पिछले 15 वर्षों से बिलासपुर विधानसभा की बादशाहत संभाल रहे भाजपा विधायक को बिलासपुर के राजनीतिक दोहन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए जनता से इस बार सही निर्णय की अपेक्षा की अपील करती नजर आ रही हैं।

राव जनता के समक्ष यह सवाल भी उठा रही हैं कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री पद पर रहते हुए भी अग्रवाल बिलासपुर के मेडिकल कॉलेज छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) की दिशा में अपेक्षित सुधार नहीं कर सके।

आरोप-प्रत्यारोपों, वादों एवं सौगातों की होड़ लिए इस चुनावी दौड़ में कौन कितना आगे होगा, इसका फैसला तो ईवीएम ही करेगी। बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के 2 लाख 23 हजार 819 मतदाता इन प्रत्याशियों का भाग्य तय करेंगे।

अतीत में बहुत पीछे न जाते हुए नजदीकी मील के पत्थरों के पार देखा जाए तो बिलासपुर के पिछले 3 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा में जबरदस्त टक्कर की तस्वीर नजर आती है।

1998 और 2008 के कालखंड में भाजपा को सत्ता परिवर्तन में बदलाव की जनाकांक्षा और विकास कार्यों की लहर सत्ता के किनारे लाती रही है जबकि कांग्रेस अपने ही घर की गुटबंदी की लहरों में उलझकर पराजय के गर्त में समाती गई।

दिन-प्रतिदिन संक्रमण के दौर से गुजरती राजनीति के लिहाज से 1998 के विधानसभा चुनाव के दौरान बिलासपुर की कांग्रेसी राजनीति के प्याले में जबरदस्त उफान आया था।

अविभाजित मध्यप्रदेश में कांग्रेस शासन में वर्षों तक मंत्री पद पर काबिज रहे तत्कालीन विधायक बीआर यादव ने जबलपुर के मढ़ोताल भूमि घोटाले की वजह से टिकट से वंचित होने पर अपने पुत्र कृष्ण कुमार यादव को टिकट दिलवाया। पार्टी के प्रति निष्ठा की दुहाई देने वाले कांग्रेसियों को यह स्थिति काफी नागवार गुजरी।

ऐसे मौके पर कांग्रेस का टिकट चाहने वाले अनिल टाह ने बगावती रुख अख्तियार करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। इंजन चुनाव चिह्न लेकर चुनाव जंक्शन पहुंचने वाले टाह को दूसरे नंबर के प्लेटफॉर्म पर जगह मिली जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही और इसी चुनावी बेला से भाजपा के अमर अग्रवाल ने अपने विधायकी जीवन की शुरुआत की। (वार्ता)

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