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ऐसे थे पं. नेहरू

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* जवाहरलाल नेहरू के बाल्यकाल की घटना है। उनके घर पिंजरे में एक तोता पलता था। पिता मोतीलालजी ने तोते की देखभाल का जिम्मा अपने माली को सौंप रखा था। एक बार नेहरूजी स्कूल से वापस आए तो तोता उन्हें देखकर जोर-जोर से बोलने लगा।

नेहरूजी को लगा कि तोता पिंजरे से आजाद होना चाहता है। उन्होंने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। तोता आजाद होकर एक पेड़ पर जा बैठा और नेहरूजी की ओर देख-देखकर कृतज्ञ भाव से कुछ कहने लगा। उसी समय माली आ गया। उसने डाँटा- 'यह तुमने क्या किया! मालिक नाराज होंगे।'


बालक नेहरू ने कहा- 'सारा देश आजाद होना चाहता है। आजादी सभी को मिलनी चाहिए।'

* नेहरूजी तब इलाहाबाद नगर पालिका के अध्यक्ष थे। अधिशासी अधिकारी ने उनकी स्वीकृति से कुछ ऐसे लोगों के पानी की आपूर्ति काट दी, जिन्होंने काफी समय से जल कर जमा नहीं किया था। उनमें नेहरूजी के घर का कनेक्शन भी था, जो मोतीलालजी के नाम था। इस कटौती से उनके घर में भी समस्या उत्पन्न हो गई। मोतीलालजी ने इस बाबद जवाहरजी से दरयाफ्त किया, तो नेहरूजी ने सारी बात बता दी। इस पर मोतीलालजी ने कहा- 'अपने घर का भी ध्यान न रखा?' जवाहरजी ने कहा- 'लेकिन, नियम तो सभी के लिए हैं।'
एक बार नेहरूजी पंजाब में एक सिंचाई योजना का उद्घाटन करने गए, तो अधिकारियों ने उन्हें चाँदी का फावड़ा दिया। नेहरूजी ने चाँदी का फावड़ा फेंककर पास में पड़ा लोहे का फावड़ा उठाकर उद्घाटन करते हुए कहा- 'भारत का किसान क्या चाँदी के फावड़े से खेती करता है?'
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* एक बार नेहरूजी से एक अँगरेज युवती ने कहा- 'मैं हर समय विभिन्ना मंचों पर आपको देखने-सुनने की इच्छा रखती हूँ।' नेहरूजी मुस्कुराकर बोले- 'मेरे साथी कहते हैं कि मुझे चलने-फिरने और बोलने की बीमारी हो गई है। तुम कामना करो कि मेरी यह बीमारी अब और न बढ़े।'

* एक बार नेहरूजी पंजाब के एक स्थान पर एक सिंचाई योजना का उद्घाटन करने गए, तो अधिकारियों ने उन्हें चाँदी का फावड़ा थमाकर योजना का उद्घाटन करने का अनुरोध किया। नेहरूजी ने चाँदी का फावड़ा फेंककर पास में पड़ा लोहे का फावड़ा उठाकर उद्घाटन करते हुए कहा- 'भारत का किसान क्या चाँदी के फावड़े से खेती करता है?'

अधिकारीगण शर्मिंदा होकर रह गए

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