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भारत में क्रिसमस की चमक

- वेबदुनिया डेस्क

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क्रिसमस का आगमन काल शुरू हो गया है। भारतीय शहरों के ईसाई बहुल इलाके सजने-सँवरने लगे हैं। चर्चो में विशेष प्रार्थनाएँ शुरू हो चुकी हैं। बाजारों में क्रिसमस गिफ्ट, कार्ड, प्रभु ईशु की चित्राकृतियाँ, सांता क्लॉज की टोपी, सजावटी सामग्री और केक की बिक्री होने लगी है।

25 दिसंबर को ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इस दिन को क्रिसमस डे कहा जाता है और पूरे दिसंबर माह को क्राइस्टमास के नाम से जाना जाता है। क्राइस्टमास के खत्म होने के बाद ही ईसाई नववर्ष की शुरुआत होती है। इसी को देखते हुए बाजार, सड़के, पब और होटले सजधज कर तैयार रहती है।

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प्रत्येक देश में ईसा मसीह के जन्मदिन की धूम रहती है। हर देश में वहाँ की स्थानीय परंपरा के अनुसार जन्मदिन मनाया जाता है। भारतीय ईसाई समाज जन्मदिन को बड़े ही सादगीपूर्ण तरीके से मनाते हैं। भारत में खासकर गोवा के पणजी में इस त्योहार की धूम देखने लायक रहती है।

पणजी के समुद्र तट पर कई देशी-विदेशी सैलानियों की भीड़ जुट जाती है। दिसंबर माह का मौसम भी खुशनुमा रहता है। समुद्र पर राइडिंग करने का मजा ही कुछ और होता है। पब, चर्च या बीच पर सांता क्लॉज की टोपी पहने सभी धर्म के लोग अँग्रेजी प्रार्थनाओं और गानों की धुन पर थिरकते हुए नजर आ जाएँगे। चारों तरफ चर्च से केक की सुगंध आती रहती है। गोवा में इस उत्सव की धूम देखते ही बनती है। बेसिलिका ऑफ बॉम जीजस, सेंट एंटोनी चर्च, सेंट एंड्रू चर्च, नवेलिन आदि चर्च गोवा के प्रसिद्ध चर्च है।

केरल में कड़ाके की ठिठुरन के बीच जाति-धर्म का भेदभाव भुलाकर लोग क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं। ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार सर्वप्रथम
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भारत के इसी राज्य से ईसा मसीह के शिष्य सेंट थॉमस ने किया था, इसीलिए भारतीय राज्य केरल में ईसाई समाज के लोग बहुतायात में रहते हैं। सेंट जॉर्ज चर्च, होली फेमेली चर्च, सेंट फ्रांसिस चर्च, सेंट क्रूज बेसिलिका चर्च, सेंट जॉर्ज कैथेड्रल, पारुमाला आदि चर्च यहाँ के प्रसिद्ध चर्च है। केरल में सेंट थॉमस और माता मरियम के नाम पर ऐतिहासिक चर्च है। केरल के बाजारों में क्रिसमस की रौनक छाई रहती है। बच्चों के बीच सांता क्लॉज की मुखाकृति और टोपी को लेकर रोचकता और खुशी देखने को मिलती है।


पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी क्रिसमस की धूम रहती है। मदर टेरेसा द्वारा सेवा और ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के चलते पश्चिम बंगाल में ईसाई समाज की अच्छी-खासी जनसंख्या हो चली है। मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चेरिटी के तत्वाधान में यहाँ के सेंट पॉल कैथेड्रल, सेंट जॉन, बंदेल आदि सभी चर्चों में हिंदू और ईसाई समाज मिलकर क्रिसमस का त्योहार का मजा लेते हैं। पश्चिम बंगाल और असम में बहुत सारे चर्च हैं, जहाँ क्रिसमस के दिन उनकी सजावट देखते ही बनती है।

इसी तरह देशभर के प्रमुख शहरों में क्रिसमस के दिन शॉपिंग मॉल और सड़के सजी-धजी रहती है। ईसाई समाज के लोग सांता क्लॉज की टोपी और मुखाकृति पहनकर सड़कों पर जुलूस निकालते हैं। घर-घर में सुंदर-सा क्रिसमस ट्री सजाते हैं। एक-दूसरे को केक और मिठाइयाँ बाँटते हैं। चर्च में विशेष प्रार्थना करते हैं।

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