Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आपने नहीं पढ़ी होगी ईसा मसीह की यह पवित्र जन्मकथा...

हमें फॉलो करें आपने नहीं पढ़ी होगी ईसा मसीह की यह पवित्र जन्मकथा...
प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाता है। सभी ईसाइयों का सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्योहार हैं क्रिसमस, जिसका शाब्दिक अर्थ है क्राइस्ट्स मास। ईसा के जन्म सम्मान में की जाने वाली सामूहिक प्रार्थना। वास्तव में यह मात्र प्रार्थना न होकर एक बड़ा त्योहार है। 
 
ईसा के पूर्व रोम राज्य में 25 दिसंबर को प्रतिवर्ष सूर्यदेव डायनोसियस की उपासना के लिए एक महान त्योहार मनाया जाता था। ईसा की प्रथम शताब्दी में ईसाई लोग महाप्रभु ईसा का जन्मदिवस इसी दिन मनाने लगे। इसे बड़ा दिन का त्योहार भी कहते हैं।
 
ईसा के जन्म को लेकर न्यू टेस्टामेंट में एक कहानी है, इस कथा में कहा गया है कि ईश्वर ने अपना एक दूत ग्रैबियल एक लड़की मैरी के पास भेजा। ग्रैबियल ने मैरी को बताया कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी। बच्चे का नाम जीसस होगा और वह ऐसा राजा होगा, जिसके साम्राज्य की कोई सीमा नहीं होगी। चूंकि मैरी एक कुंआरी, अविवाहित लड़की थी, इसलिए उसने पूछा कि यह सब कैसे संभव होगा। अपने जवाब में ग्रैबियल ने कहा कि एक पवित्र आत्मा उसके पास आएगी और उसे ईश्वर की शक्ति से संपन्न बनाएगी।
 
मैरी का जोसेफ नामक युवक से विवाह हुआ। देवदूत ने स्वप्न में जोसेफ को बताया कि जल्दी ही मैरी गर्भवती होगी, वह मैरी का पर्याप्त ध्यान रखे और उसका त्याग न करें।
 
जोसेफ और मैरी नाजरथ में रहा करते थे। नाजरथ आज के इसराइल में है, तब नाजरथ रोमन साम्राज्य में था और तत्कालीन रोमन सम्राट आगस्तस ने जिस समय जनगणना किए जाने की आज्ञा दी थी उस समय मैरी गर्भवती थी पर प्रत्येक व्यक्ति को बैथेलहम जाकर अपना नाम लिखाना जरूरी था, इसलिए बैथेलहम में बड़ी संख्या में लोग आए हुए थे। सारी धर्मशालाएं, सार्वजनिक आवास गृह पूरी तरह भरे हुए थे। शरण के लिए जोसेफ मेरी को लेकर जगह-जगह पर भटकता रहा। 
 
अंत में दम्पति को एक अस्तबल में जगह मिली और यहीं पर आधी रात के समय महाप्रभु ईसा या जीसस का जन्म हुआ। उन्हे एक चरनी में लिटाया गया। वहां कुछ गडरिये भेड़ चरा रहे थे। वहां एक देवदूत आया और उन लोगों से कहा- 'इस नगर में एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है, ये स्वयं भगवान ईसा हैं। अभी तुम कपड़ों में लिपटे एक शिशु को नाद में पड़ा देखोगे।' 
 
गडरियों ने जाकर देखा और घुटने टेककर ईसा की स्तुति की। उनके पास उपहार देने के लिए कुछ भी नहीं था। वे गरीब थे। उन्होंने ईसा को मसीहा स्वीकार कर लिया। ईसाइयों के लिए घटना का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि वे मानते हैं कि जीसस ईश्वर के पुत्र थे, इसलिए क्रिसमस, उल्लास और खुशी का त्योहार है, क्योंकि उस दिन ईश्वर का पुत्र कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया था।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ईसा मसीह ने किया था यूहन्ना के उपदेशों का चिंतन