ईसा ने यूहन्ना से दीक्षा ले ली। यूहन्ना की बातों पर उन्होंने गहराई से चिंतन और मनन किया और अंत में निश्चय किया कि हमें प्रभु की इच्छा के अनुसार प्रभु की सेवा करनी चाहिए। इसके बाद प्रभु ईसा जगह-जगह प्रवचन करने लगे। उनके त्याग, सेवा और समर्पण की भावना से ईसा की प्रसिद्धि चारों ओर फैलने लगी, बारह लोग ईसा के शिष्य बने।
यीशु के कुल बारह शिष्य थे। उनके नाम ये हैं।
1. पीटर
2. एंड्रयू
3. जेम्स (जबेदी का बेटा)
4. जॉन
5. फिलिप
6. बर्थोलोमियू
7. मैथ्यू
8. थॉमस
9. जेम्स (अल्फाइयूज का बेटा)
10. संत जुदास
11. साइमन द जिलोट
12. मत्तिय्याह।