Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बच्चों के लिए 2 कोरोना टीके परीक्षण के शुरुआती चरण में दिखे कारगर

हमें फॉलो करें बच्चों के लिए 2 कोरोना टीके परीक्षण के शुरुआती चरण में दिखे कारगर
, बुधवार, 16 जून 2021 (20:38 IST)
न्यूयॉर्क। मॉडर्ना का कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 टीका और प्रोटीन आधारित एक अन्य प्रायोगिक टीका बंदर की एक प्रजाति रीसस मैकाक के बच्चों पर किए गए शुरुआती परीक्षण में सुरक्षित और सार्स-कोव-2 वायरस से लड़ने में कारगर एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाले साबित हुए हैं।

जर्नल साइंस इम्यूनोलॉजी में मंगलवार को प्रकाशित अनुसंधान संकेत करता है कि बच्चों के लिए टीका महामारी की विभीषिका को कम करने में कारगर हथियार साबित हो सकता है।

अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क-प्रेस्बाइटेरियन कॉमनस्काई चिल्ड्रन हॉस्पिटल की सेली पर्मर ने कहा, कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके से कोविड-19 के प्रसार को सीमित करने में मदद मिलेगी, क्योंकि हम जानते हैं कि भले ही बच्चे सार्स-कोव-2 के संक्रमण से बीमार हों या बिना लक्षण वाले हों, वे इसका प्रसार कर सकते हैं।

पर्मर ने कहा, इससे भी बड़ी बात है कि कई बच्चे बीमार हुए और यहां तक कि संक्रमण की वजह से कई की मौत तक हो गई। संक्रमण को रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों से बच्चों पर कई और नकारात्मक असर पड़े। इसलिए बच्चे कोविड-19 से बचाए जाने के लिए टीके के हकदार हैं।

शोध पत्र के मुताबिक, रीसस मैकाक प्रजाति के 16 नन्हे बंदरों में टीके की वजह से वायरस से लड़ने की क्षमता 22 हफ्तों तक बनी रही। अनुसंधानकर्ता इस साल टीके से लंबे समय तक संभावित सुरक्षा कवच उत्पन्न करने के लिए चुनौती पूर्ण अध्ययन कर रहे हैं।

अमेरिका स्थित नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर क्रिस्टीना डी पेरिस ने कहा, हम संभावित एंटीबॉडी का स्तर वयस्क मैकाक से तुलना कर देख रहे हैं, हालांकि मैकाक के बच्चों को महज 30 माइक्रोग्राम टीके की खुराक दी गई, जबकि वयस्कों के लिए यह मात्रा 100 माइक्रोग्राम थी।

डी पेरिस ने कहा, मॉडर्ना के टीके में हमने मजबूत ‘टी’ कोशिका की प्रतिक्रिया देखी, जिसके बारे में हम जानते हैं कि बीमारी की गंभीरता को सीमित करने में यह अहम है। अनुसंधानकर्ताओं ने इस अध्ययन के तहत लगभग दो महीने की उम्र के मैकाक के 16 बच्चों को आठ-आठ के दो समूहों में बांटकर उनका टीकाकरण किया और इसके चार हफ्ते बाद पुन: टीका लगाया।
ALSO READ: बड़ी खबर, चमगादड़ों में मिले Coronavirus के नए तरह के नमूने!
उन्होंने बताया कि प्रत्‍येक जानवर को मॉडर्ना एमआरएनए आधारित टीके का प्रीक्लीनिक प्रकार दिया गया या अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डीज़ीज़ (एनआईएआईएडी) द्वारा विकसित प्रोटीन आधारित टीका दिया गया।

एमआरएनए आधारित टीका शरीर को वायरस की सतह का प्रोटीन पैदा करने का निर्देश देता है, जिसे स्पाइक प्रोटीन भी कहते हैं। इससे मानव प्रतिरक्षण कोशिकाएं इन प्रोटीन की पहचान करती हैं और एंटीबॉडी पैदा करने के साथ प्रतिरक्षण के लिए अन्य उपाय करती है।
ALSO READ: Coronavirus Vaccination : कोरोना वैक्सीन से पहले और बाद में बिल्कुल न करें ये 7 काम
एनआईएआईडी का टीका वास्तव में स्पाइक प्रोटीन है, जिसकी पहचान प्रतिरक्षण प्रणाली उसी प्रकार करती है।अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि दोनों ही टीकों के बाद नन्हे बंदरों में एंटीबॉडी विकसित हुईं और स्पाइक प्रोटीन विशिष्ट टी कोशिकाओं की उल्लेखनीय प्रतिक्रिया सामने आई।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मृत पर मुकदमा दर्ज, आरोपी बनाए गए शख्स की दो साल पहले मौत