नई दिल्ली। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने कुछ शर्तों के साथ कोविड-19 के रूसी टीके स्पूतनिक वी के देश में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है और इसके साथ ही भारत में कोविशील्ड तथा कोवैक्सीन के बाद तीसरे टीके के उपयोग का रास्ता साफ हो गया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने मंगलवार को अन्य टीकों के आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने की प्रक्रिया भी तेज कर दी। टीकों के बारे में जानकारी निम्न प्रकार है-
कोवैक्सीन : भारत बायोटैक कंपनी द्वारा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ साझेदारी में इस टीके का विकास किया गया है जिसमें निष्क्रिय किए गए वायरस का इस्तेमाल किया जाता है। टीके की दोनों खुराक 4 सप्ताह के अंतर पर दी जाती हैं और इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जा सकता है। इस टीके के तीसरे चरण के परीक्षण के प्रारंभिक आंकड़े दिखाते हैं कि टीके का प्रभाव 81 प्रतिशत है।
कोविशील्ड : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्रोजेनेका द्वारा विकसित इस टीके को भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है। इसमें एक वायरल वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है। इसमें भी 4 सप्ताह के अंतर पर 2 खुराक देने का प्रावधान है। पहली खुराक के बाद टीके का प्रभाव 70 प्रतिशत देखा गया। टीके के वैश्विक क्लिनिकल परीक्षण दिखाते हैं कि जब किसी को इसकी आधी खुराक देने के बाद पूरी खुराक दी जाती है तो प्रभावशीलता 90 प्रतिशत तक हो जाती है। इसे भी 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में सुरक्षित रखा जा सकता है।
स्पूतनिक वी : रूस के गैमेलिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने टीके का विकास किया है जिसके भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। स्पूतनिक वी में कोल्ड-टाइप वायरस वेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। स्पूतनिक वी का प्रभाव 92 प्रतिशत है। इसे भी 3 सप्ताह के अंतराल पर 2 खुराकों में दिया जाता है। इसे भी 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है।
भविष्य में जिन टीकों के भारत में आने की संभावना हैं, उनमें निम्नलिखित हैं-
मॉडर्ना : अमेरिका की कंपनी मॉडर्ना ने एमआरएनए तकनीक पर इस टीके का विकास किया है जिसका प्रभाव 94.1 प्रतिशत है। इस तरह के टीके में मैसेंजर आरएनए या एमआरएनए, कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन के उत्पादन के लिए ब्लूप्रिंट की तरह काम करता है। इसकी 2 खुराक 28 दिन के अंतराल पर दी जाती हैं। मॉडर्ना के टीके को 30 दिन तक 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है। इसे 0 से 20 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
फाइजर-बायोएनटेक : अमेरिका समर्थित फाइजर-बायोएनटेक का कोविड-19 टीका मॉडर्ना टीके की तरह ही है। यह नोवेल कोरोनावायरस के जेनेटिक पदार्थ के खंडों पर आधारित है। क्लिनिकल परीक्षण के प्रारंभिक आंकड़े दिखाते हैं कि इस टीके की 2 खुराक 3 सप्ताह के अंतराल पर दी जाती हैं और इसका प्रभाव 94 प्रतिशत है। फाइजर के टीके को लेकर सबसे बड़ी समस्या इसे 0 से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान में रखने की आवश्यकता है।
जॉनसन एंड जॉनसन : अमेरिकी कंपनी द्वारा विकसित यह टीका 1 खुराक में दिया जाता है। कंपनी के अनुसार इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में 3 महीने तक रखा जा सकता है और 0 से 20 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर इसे 2 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस टीके का प्रभाव दुनियाभर में 66 प्रतिशत तक और अमेरिका में 72 प्रतिशत पाया गया है। (भाषा)