कोरोना (Corona) काल में जब सड़कों पर दिन में ही सन्नाटा रहता है तो रातों की कल्पना तो सहज ही की जा सकती है। इंदौर शहर के अलग-अलग इलाकों को रात के इसी सन्नाटे को दिखा रहे हैं हमारे फोटो जर्नलिस्ट धर्मेन्द्र सांगले। शायद ही किसी ने सोचा हो कि आमतौर पर वाहनों से गुत्थमगुत्था रहने वाली इंदौर की सड़कें रात 11-12 बजे इतनी सुनसान भी हो सकती हैं...
इंदौर की आदर्श सड़क : 'स्वच्छ इंदौर' की पलासिया स्थित इस सड़क पर कुछ समय पूर्व ही लोगों ने बैठकर पिकनिक मनाई थी।
वाहे गुरु दा खालसा, वाहे गुरु दी फतह : रोशनी से जगमगाता इंदौर का प्रसिद्ध गुरुद्वारा इमली साहब, जहां पास में सड़क पर लगे बेरिकेट्स बता रहे हैं कि सब कुछ बंद है।
जांच जारी है : अरबिन्दो अस्पताल के पास का चौराहा, जहां पुलिसकर्मी हर आने-जाने वाले की जांच कर रहे थे।
प्रार्थना : मंदिर भले ही श्रद्धालु नहीं हैं, लेकिन ईश्वर तो हैं। यही प्रार्थना है कि इंदौर जल्द ही कोरोना मुक्त हो और यहां फिर से भक्तों का तांता लगे।
प्रतीक्षा : जहां लोग बैठकर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए ट्रेनों की प्रतीक्षा करते थे, अब उसी स्टेशन को यात्रियों का इंतजार है।
यहां सब एक हैं : कोरोना की रात में शास्त्री ब्रिज पर सोते हुए इंसान और श्वान शायद यही संदेश दे रहे हैं कि हम में कोई भेद नहीं है। हम सभी ईश्वर की रचना हैं।
कर्म ही पूजा : रात 10 बजे के लगभग अरबिन्दो अस्पताल से ड्यूटी कर अकेले ही घर की ओर लौट रही महिला।
ईश्वर इनकी रक्षा करना : सन्नाटे को चीरती एम्बुलेंस जैसे ही नजर आई, होठ सहज ही बुदबुदाए, ईश्वर इसमें जो भी हो, इन्हें स्वस्थ अपने घर पहुंचाना।
एकांत : कितना सुकून है। न वाहनों का शोर है, न लोगों की किचकिच। शायद यही सोच रहा है बाणगंगा ब्रिज पर बैठा यह व्यक्ति।
उम्मीद : इन पटरियों को उम्मीद है कि जल्द ही इनकी छाती पर रेलगाड़ियां दौड़ेंगी और लोग अपने गंतव्य तक खुशी-खुशी जाएंगे।
मां तुझे प्रणाम : ...और अंत में मां अहिल्या को शत-शत प्रणाम, जिनकी कृपा और आशीष से इंदौर हमेशा शांत, स्वस्थ और समृद्ध रहेगा।